बांका: बिहार के बांका जिला अन्तर्गत बौंसी प्रखंड में अंग क्षेत्र का प्रसिद्ध मंदार तीन धर्मों का संगम स्थलीय (Confluence of Three Religions in Mandar) है. कई पौराणिक कथाएं भी मंदार पर्वत से जुड़ी हुई हैं. देव और दानवों के बीच हुई लड़ाई में समुद्र मंथन यहीं पर हुआ था. देश के कोन-कोने से विभिन्न धर्मों के अनुयायी यहां पहुंचते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) आज यहां पहुंचें और 700 फुट ऊंची मंदार पर्वत तक जाने के लिए 377.36 मीटर लंबे रोपवे का उद्घाटन कर आम जनता को समर्पित किया.
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बता दें कि मंदार पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का चरण पादुका अवस्थित है. जहां बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से जैन धर्म के अनुयायी पहुंचते हैं. वहीं पर्वत के बीच में भगवान नरसिंह का मंदिर है. जहां हिंदू धर्म के लोग पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा मंदार की तराई में सफा धर्मावलंबियों का सेंटर है. जहां भारत के अलावा नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष मकर सक्रांति के अवसर पर पूजा-अर्चना के लिए जुटते हैं.
मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर तीनों धर्मावलंबियों के आस्थावान उत्साहित हैं. दरअसल सीएम यहां के श्रद्धालुओं को 377.36 मीटर लंबे रोपवे की सौगात देगें. जिससे यहां आने वाले विभिन्न धर्मों को पहाड़ी पर चढ़ने से छुटकारा मिलेगा.
सफा धर्म के मानने वाले संत निर्मल बाबा ने बताया कि सफा धर्म अध्यात्म और ज्ञान का मार्ग है. वैदिक धर्म से ही सनातन धर्म का उत्थान हुआ है. संत चंदर दास ने अपने शरीर में योगाभ्यास और तप से ज्ञान प्राप्ति की. ज्ञान प्राप्ति होने के बाद गांव-गांव जाकर लोगों के बीच उपदेश दिये. इसी स्थान पर भगवान चंदर दास ने ज्ञान प्राप्त किया था. इसी वजह से बड़ी संख्या में सफा धर्मावलंबी बिहार के साथ-साथ झारखंड और नेपाल से प्रत्येक वर्ष पूजा अर्चना के लिए यहां पहुंचते हैं.
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वहीं, जैन धर्म के मानद सदस्य पराग जैन ने बताया कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकर हुए. जिसमें 12वे तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का चरण पादुका मंदार पर्वत चोटी पर अवस्थित है. उन्होंने तप कर ज्ञान के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति की थी. यही वजह है कि मंदार में दुनियाभर से जैन धर्म के अनुयायी यहां आते हैं. सरकार द्वारा रोपवे शुरू कराए जाने के बाद वृद्ध लोगों को पर्वत की ऊंचाई पर जाने में आसानी होगी और अच्छी तरीके से पूजा पाठ कर पाएंगे.
मंदार के तराई में स्थित पापहरणी सरोवर के बीचोंबीच अष्ट कमल मंदिर के पुजारी भवेश झा ने बताया कि सभी हिंदू धर्म से अलग होकर ही बना है. यहां जो सत्संग भवन है, वह सत्य के मार्ग पर चलना सिखाता है और उसे अनुसरण करना सिखाता है. जिसका मन निर्मल है, वही सफा धर्म है. जैन धर्म के साधु महात्मा भी यहां आकर तपस्या कर ज्ञान की प्राप्ति की थी. मुख्यमंत्री के मंदार आगमन से चार चांद लग जाएगा. मंदार पर्वत की चढ़ाई करने में लोगों को जो कठिनाइयां होती थी. वह रोपवे शुरू होने से नहीं होगी. यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी अभिलाषा को पूर्ण कर सकेंगे.