बांका: जिले की प्राणदायिनी कही जाने वाली चांदन नदी के अस्तित्व पर खतरे का बादल मंडराने लगा है. इस नदी की अविरल धारा से कभी बांका और आस-पास की हजारों एकड़ भूमि संचित होती थी. पहले तो चंद रुपये की लालच में इस नदी के प्राकृतिक संसाधन यानी बालू का जमकर दोहन किया गया. उसके बाद नगर प्रशासन ने चांदन नदी को ही कचरे का डंपिंग जोन बना दिया है. शहर से निकलने वाला 5 से 7 टन कचरा रोजाना इसी नदी में डंप किया जा रहा है.
लोगों का जीना हुआ मुश्किल
वहीं, कचरे की दुर्गंध से आस-पास के रिहायसी इलाकों के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. चांदन नदी से बेतरतीब तरीके से बालू उठाव और रोजाना डाले जा रहे कचरे को लेकर विरोध में स्वर उठने लगे हैं.
युवा समाजसेवी मान ठाकुर ने बताया कि पहले तो बालू माफियाओं ने इस नदी को खोखला कर दिया. अब नगर प्रशासन ने चांदन नदी को ही कचरे का डंपिंग जोन बना दिया है. शहर से निकलने वाले तमाम कचरे को इसी नदी में डाला जा रहा है. यह सिर्फ एक नदी नहीं है, बल्कि जिले वासियों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र भी है.
नगर प्रशासन के सभी दावे खोखले
तमाम धार्मिक अनुष्ठान से लेकर छठ पूजा तक इसी नदी के तट पर होती है. यहां से गुजरने पर दुर्गंध से लोगों को काफी परेशानी होती है. जिला और नगर प्रशासन के सारे वादे और दावे खोखले साबित हो रहे हैं. लोगों को जागने और इसके विरोध में आवाज बुलंद करने के लिए आगे आने की जरूरत है. नगर परिषद बांका के कार्यपालक पदाधिकारी अभिनव कुमार ने बताया कि सफाई करने वाले एजेंसी को नदी में कचरा नहीं डालने की सख्त हिदायत दी गई है.
कंपोस्ट पिट का निर्माण
अभिनव कुमार ने बताया कि कचरा डालने के लिए शहर से सटे दो स्थानों को चिह्नित किया गया है. स्थाई कचरा डंप करने के लिए लकड़ीकोला पंचायत में 5 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है. जहां दो तरह के काम किए जाएंगे. गीले कचरे से खाद बनाने के लिए कंपोस्ट पिट का निर्माण होगा. वहीं सूखे कचरे के लिए सेडर मशीन लगवाया जा रहा है. साथ ही पथ निर्माण विभाग से करार किया जा रहा है कि सूखे कचरे का स्ट्रेडिंग बनाकर सड़क निर्माण के उपयोग में लाया जाए.