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Banka Airport : 1847 में अंग्रेजों ने बांका के इस गांव में बनाया था एयरपोर्ट, जानिए आखिर क्यों?

बिहार का बांका एयरपोर्ट अपने अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहा है. 1847 में अंग्रेजों ने इसे क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए बनाया था (Banka Airport Established In 1847), लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण आज यह खंडहर बन गया है. आखिर अंग्रेजी हुकूमत को बांका में क्यों एयरपोर्ट बनाना पड़ा था. पढ़ें पूरी खबर

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 19, 2023, 12:43 PM IST

बांका एयरपोर्ट
बांका एयरपोर्ट
बांका एयरपोर्ट

बांकाः कभी बिहार के बांका में एयरपोर्ट (Airport in Banka) हुआ करता था, लेकिन आज खंडर बना हुआ है. पहले यह एयपोर्ट 15 एकड़ में फैला हुआ था, लेकिन आज अतिक्रमण की वजह और सरकार की अनदेखी के कारण 6 एकड़ में सिमट गया है. आज इसका अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है, लेकिन इसे कोई देखने वाला नहीं है. शायद लोगों को इस एयरपोर्ट से जुड़ी कहानी भी याद नहीं होगी.

यह भी पढ़ेंः बिहार विधानसभा में उठी भागलपुर एयरपोर्ट विस्तार की मांग, MLA ने कहा- सरकार चाहे तो कहलगांव में निर्माण संभव

अंग्रेजों ने बांका में बनाया था एयरपोर्ट : दरअसल बांका जिले के लकड़ी कोला पंचायत के पास खंडहर में तब्दिल यह एयरपोर्ट आज अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहा है. स्थानीय योगेंद्र मंडल बताते हैं कि ''इस एयरपोर्ट पर आजादी के समय कई नेताओं का हवाई जहाज उतरा था, लेकिन आज इसे कोई देखने वाला नहीं है. 1847 में बना यह एयरपोर्ट 176 साल के बाद भी पहचान नहीं बना पाया. सरकार ने इसका देखरेख करना छोड़ दिया, तब से खंडहर बन गया.''

बांका में यहां बना था एयरपोर्ट
बांका में यहां बना था एयरपोर्ट

खजाना लूटकर गरीबों में बांट देता था श्रीगोप : बांका एयरपोर्ट का इतिहास अंग्रेजों के समय से जुड़ा है. आखिर अंग्रेजों ने इस एयरपोर्ट का निर्माण क्यों कराया था. इसपर योगेंद्र मंडल ने कहा कि आजादी के एक सौ साल पहले से यहां इस गांव में दो क्रांतिकारी परशुराम सिंह और श्रीगोप थे. इन्होंने अंग्रेजों को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया था. जानकार बताते हैं कि श्रीगोप ब्रिटिश सरकार के सरकारी खजाने को लूटकर गरीबों के बीच बांट दिया करते थे.

श्रीगोप को पकड़ने के लिए बना था एयरपोर्टः श्रीगोप के इस काम से लोगों में उस्ताह और साहस देखा जाता था. इसके उपरांत ब्रिटिश शासक को समय-समय पर इस कार्यों के कारण विरोधों का समाना करना पड़ता था. ब्रिटिश शासक ने श्रीगोप को पकड़ने के अपने सिपाहियों को आदेश दिया, लेकिन श्रीगोप ब्रिटिश सरकार के हाथ नहीं लगे. इसके बाद ब्रिटिश सरकार के द्वारा इस गांव में एयरपोर्ट का निर्माण कराया गया.

हेलीकॉप्टर से श्रीगोप की तलाशी : एयरपोर्ट बन जाने के बाद अंग्रेज हेलीकॉप्टर से श्रीगोप की तलाश करते थे. महीनों सर्च ऑपरेशन चलाने बाद श्रीगोप को पकड़ने में ब्रिटिश सरकार असमर्थ रही थी, लेकिन अंत में अंग्रेजों ने श्रीगोप को पकड़ कर उसी समय गोली मार दी थी. श्रीगोप के पकड़े जाने का कारण उनका कुत्ता था. जब हेलीकॉप्टर जंगल के ऊपर उड़ रहा था तो इनका कुत्ता भौंकने लगता था. इससे अंग्रेजों को पता चल गया था कि श्रीगोप इसी के आसपास हैं.

"इस एयरपोर्ट का निर्माण अंग्रेजों ने क्रांतिकारी श्रीगोप को पकड़ने के लिए 1847 में किया था. आजादी के बाद यहां कई नेताओं का हवाई जहाज उतरा था. धीरे धीरे इसका अस्तित्व खत्म होने लगा. सरकार इस ओर ध्यान देना छोड़ दी, जिस कारण 15 एकड़ में अब मात्र 6 एकड़ जमीन बची है. पहले यहां एक कर्मी तैनात था, जिसकी मौत के बाद कोई नियुक्ति नहीं हुई." - योगेंद्र मंडल, ग्रामीण

बांका एयरपोर्ट

बांकाः कभी बिहार के बांका में एयरपोर्ट (Airport in Banka) हुआ करता था, लेकिन आज खंडर बना हुआ है. पहले यह एयपोर्ट 15 एकड़ में फैला हुआ था, लेकिन आज अतिक्रमण की वजह और सरकार की अनदेखी के कारण 6 एकड़ में सिमट गया है. आज इसका अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है, लेकिन इसे कोई देखने वाला नहीं है. शायद लोगों को इस एयरपोर्ट से जुड़ी कहानी भी याद नहीं होगी.

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अंग्रेजों ने बांका में बनाया था एयरपोर्ट : दरअसल बांका जिले के लकड़ी कोला पंचायत के पास खंडहर में तब्दिल यह एयरपोर्ट आज अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहा है. स्थानीय योगेंद्र मंडल बताते हैं कि ''इस एयरपोर्ट पर आजादी के समय कई नेताओं का हवाई जहाज उतरा था, लेकिन आज इसे कोई देखने वाला नहीं है. 1847 में बना यह एयरपोर्ट 176 साल के बाद भी पहचान नहीं बना पाया. सरकार ने इसका देखरेख करना छोड़ दिया, तब से खंडहर बन गया.''

बांका में यहां बना था एयरपोर्ट
बांका में यहां बना था एयरपोर्ट

खजाना लूटकर गरीबों में बांट देता था श्रीगोप : बांका एयरपोर्ट का इतिहास अंग्रेजों के समय से जुड़ा है. आखिर अंग्रेजों ने इस एयरपोर्ट का निर्माण क्यों कराया था. इसपर योगेंद्र मंडल ने कहा कि आजादी के एक सौ साल पहले से यहां इस गांव में दो क्रांतिकारी परशुराम सिंह और श्रीगोप थे. इन्होंने अंग्रेजों को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया था. जानकार बताते हैं कि श्रीगोप ब्रिटिश सरकार के सरकारी खजाने को लूटकर गरीबों के बीच बांट दिया करते थे.

श्रीगोप को पकड़ने के लिए बना था एयरपोर्टः श्रीगोप के इस काम से लोगों में उस्ताह और साहस देखा जाता था. इसके उपरांत ब्रिटिश शासक को समय-समय पर इस कार्यों के कारण विरोधों का समाना करना पड़ता था. ब्रिटिश शासक ने श्रीगोप को पकड़ने के अपने सिपाहियों को आदेश दिया, लेकिन श्रीगोप ब्रिटिश सरकार के हाथ नहीं लगे. इसके बाद ब्रिटिश सरकार के द्वारा इस गांव में एयरपोर्ट का निर्माण कराया गया.

हेलीकॉप्टर से श्रीगोप की तलाशी : एयरपोर्ट बन जाने के बाद अंग्रेज हेलीकॉप्टर से श्रीगोप की तलाश करते थे. महीनों सर्च ऑपरेशन चलाने बाद श्रीगोप को पकड़ने में ब्रिटिश सरकार असमर्थ रही थी, लेकिन अंत में अंग्रेजों ने श्रीगोप को पकड़ कर उसी समय गोली मार दी थी. श्रीगोप के पकड़े जाने का कारण उनका कुत्ता था. जब हेलीकॉप्टर जंगल के ऊपर उड़ रहा था तो इनका कुत्ता भौंकने लगता था. इससे अंग्रेजों को पता चल गया था कि श्रीगोप इसी के आसपास हैं.

"इस एयरपोर्ट का निर्माण अंग्रेजों ने क्रांतिकारी श्रीगोप को पकड़ने के लिए 1847 में किया था. आजादी के बाद यहां कई नेताओं का हवाई जहाज उतरा था. धीरे धीरे इसका अस्तित्व खत्म होने लगा. सरकार इस ओर ध्यान देना छोड़ दी, जिस कारण 15 एकड़ में अब मात्र 6 एकड़ जमीन बची है. पहले यहां एक कर्मी तैनात था, जिसकी मौत के बाद कोई नियुक्ति नहीं हुई." - योगेंद्र मंडल, ग्रामीण

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