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डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहा बांका सदर अस्पताल, मरीजों को करना पड़ता है रेफर

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Published : Aug 31, 2020, 11:48 PM IST

स्थानीय रवि रंजन कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में जो भी चिकित्सक हैं, सभी अपना निजी क्लीनिक चलाने में व्यस्त रहते हैं. घंटे 2 घंटे के लिए अस्पताल पहुंचते हैं और कोरम पूरा कर निजी क्लीनिक चलाने चले जाते हैं. मरीजों से उनका कोई लेना देना नहीं है.

बांका
बांका

बांका: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. इन दिनों जिले के तमाम अस्पताल डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहे हैं. खासकर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी के चलते अस्पताल आने वाले ज्यादातर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. जिले में डॉक्टरों के 189 पद स्वीकृत है. मात्र 64 डॉक्टरों के भरोसे ही काम चल रहा है. जहां 72 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की जरूरत वहां मात्र 7 की तैनाती की गई है.

कमोबेश यही स्थिति सर्जन की भी है. 16 के बदले 3 सर्जन से जिले के सदर अस्पताल, पीएचसी, रेफरल अस्पताल और हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर का काम चल रहा है. सिविल सर्जन डॉक्टर सुधीर महतो का कहना है कि इस मामले को लेकर सरकार संवेदनशील है. 50 प्रतिशत डॉक्टर भी मुहैया करा दिया जाए तो काम चल सकता है.

बांका
बांका सदर अस्पताल

डॉक्टरों का घोर अभाव
अपनी आंख का इलाज कराने पहुंचे रॉबिन कुमार ने बताया कि अस्पताल में स्पेशलिस्ट डॉक्टर का घोर अभाव है. अगर आपकी अंगुली भी टूट जाए तो डॉक्टर के अभाव में भागलपुर रेफर कर दिया जाता है. बगैर जांच के ही डॉक्टर मरीज से पूछताछ के आधार पर दवा लिखकर कोरम पूरा कर देते हैं. मरीजों को संतुष्टि भी नहीं मिलती है.

बांका
सदर अस्पताल में चिकित्सक

'भागलपुर किया जाता है रेफर'
स्थानीय रवि रंजन कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में जो भी चिकित्सक हैं, सभी अपना निजी क्लीनिक चलाने में व्यस्त रहते हैं. घंटे 2 घंटे के लिए अस्पताल पहुंचते हैं. और कोरम पूरा कर निजी क्लीनिक चलाने चले जाते हैं. मरीजों से उनका कोई लेना देना नहीं है. कुछ भी होने पर भागलपुर रेफर कर दिया जाता है. खासकर प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को लेडी डॉक्टर नहीं रहने की वजह से समस्याओं से जूझना पड़ता है. अस्पताल में नर्स ही प्रसव कराती है, जो कि खतरे से भरा रहता है.

बांका
बांका सदर अस्पताल

लेडी डॉक्टर नहीं होने से होती है समस्या
जिले का सबसे बड़े सदर अस्पताल में डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ की घोर कमी है. अस्पताल के प्रबंधक अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि यहां डॉक्टर 38 स्वीकृत पद है. मात्र 16 डॉक्टर ही कार्यरत है. अस्पताल में सर्जन की भी कमी है. खासकर प्रसव कराने को लेकर लेडी डॉक्टर की कमी के चलते समस्या उत्पन्न होती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'मरीजों को करना पड़ता है रेफर'
अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि पैथोलॉजिस्ट से लेकर रेडियोलॉजिस्ट तक की अस्पताल में कमी है. साथ ही स्पेशलिस्ट डॉक्टर का भी घोर अभाव है. 50 प्रतिशत से भी कम संसाधनों काम करना पड़ रहा है. जिले में एएनएम का 583 स्वीकृत पद है. जिसमें मात्र 376 ही पदस्थापित हैं. जबकि ग्रेड ए नर्स की जरूरत 67 हैं. इसके अलावा दर्जनों ऐसे महत्वपूर्ण विभाग हैं. जिनमें डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को रेफर करना पड़ जाता है.

'80 एएनएम और 41ए ग्रेड नर्स'
सिविल सर्जन डॉ. सुधीर महतो ने बताया कि जिले में डॉक्टरों के 189 डॉक्टरों का पद स्वीकृत है. इसका 50 फीसदी भी उपलब्ध करा दिया जाए तो कुछ हद तक काम चलाया जा सकता है. हालांकि डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए सरकार गंभीर है. हाल के दिनों में जिले को तीन डॉक्टर आए हैं. जिले को 80 एएनएम और 41 ए ग्रेड नर्स मिला है. इसके अलावा पूर्व से ही 42 एएनएम कार्यरत हैं. दिन प्रतिदिन इसमें सुधार हो रहा है. जिले के अस्पतालों को और स्टाफ मिलने का अनुमान है.

बांका: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. इन दिनों जिले के तमाम अस्पताल डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहे हैं. खासकर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी के चलते अस्पताल आने वाले ज्यादातर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. जिले में डॉक्टरों के 189 पद स्वीकृत है. मात्र 64 डॉक्टरों के भरोसे ही काम चल रहा है. जहां 72 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की जरूरत वहां मात्र 7 की तैनाती की गई है.

कमोबेश यही स्थिति सर्जन की भी है. 16 के बदले 3 सर्जन से जिले के सदर अस्पताल, पीएचसी, रेफरल अस्पताल और हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर का काम चल रहा है. सिविल सर्जन डॉक्टर सुधीर महतो का कहना है कि इस मामले को लेकर सरकार संवेदनशील है. 50 प्रतिशत डॉक्टर भी मुहैया करा दिया जाए तो काम चल सकता है.

बांका
बांका सदर अस्पताल

डॉक्टरों का घोर अभाव
अपनी आंख का इलाज कराने पहुंचे रॉबिन कुमार ने बताया कि अस्पताल में स्पेशलिस्ट डॉक्टर का घोर अभाव है. अगर आपकी अंगुली भी टूट जाए तो डॉक्टर के अभाव में भागलपुर रेफर कर दिया जाता है. बगैर जांच के ही डॉक्टर मरीज से पूछताछ के आधार पर दवा लिखकर कोरम पूरा कर देते हैं. मरीजों को संतुष्टि भी नहीं मिलती है.

बांका
सदर अस्पताल में चिकित्सक

'भागलपुर किया जाता है रेफर'
स्थानीय रवि रंजन कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में जो भी चिकित्सक हैं, सभी अपना निजी क्लीनिक चलाने में व्यस्त रहते हैं. घंटे 2 घंटे के लिए अस्पताल पहुंचते हैं. और कोरम पूरा कर निजी क्लीनिक चलाने चले जाते हैं. मरीजों से उनका कोई लेना देना नहीं है. कुछ भी होने पर भागलपुर रेफर कर दिया जाता है. खासकर प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को लेडी डॉक्टर नहीं रहने की वजह से समस्याओं से जूझना पड़ता है. अस्पताल में नर्स ही प्रसव कराती है, जो कि खतरे से भरा रहता है.

बांका
बांका सदर अस्पताल

लेडी डॉक्टर नहीं होने से होती है समस्या
जिले का सबसे बड़े सदर अस्पताल में डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ की घोर कमी है. अस्पताल के प्रबंधक अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि यहां डॉक्टर 38 स्वीकृत पद है. मात्र 16 डॉक्टर ही कार्यरत है. अस्पताल में सर्जन की भी कमी है. खासकर प्रसव कराने को लेकर लेडी डॉक्टर की कमी के चलते समस्या उत्पन्न होती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'मरीजों को करना पड़ता है रेफर'
अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि पैथोलॉजिस्ट से लेकर रेडियोलॉजिस्ट तक की अस्पताल में कमी है. साथ ही स्पेशलिस्ट डॉक्टर का भी घोर अभाव है. 50 प्रतिशत से भी कम संसाधनों काम करना पड़ रहा है. जिले में एएनएम का 583 स्वीकृत पद है. जिसमें मात्र 376 ही पदस्थापित हैं. जबकि ग्रेड ए नर्स की जरूरत 67 हैं. इसके अलावा दर्जनों ऐसे महत्वपूर्ण विभाग हैं. जिनमें डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को रेफर करना पड़ जाता है.

'80 एएनएम और 41ए ग्रेड नर्स'
सिविल सर्जन डॉ. सुधीर महतो ने बताया कि जिले में डॉक्टरों के 189 डॉक्टरों का पद स्वीकृत है. इसका 50 फीसदी भी उपलब्ध करा दिया जाए तो कुछ हद तक काम चलाया जा सकता है. हालांकि डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए सरकार गंभीर है. हाल के दिनों में जिले को तीन डॉक्टर आए हैं. जिले को 80 एएनएम और 41 ए ग्रेड नर्स मिला है. इसके अलावा पूर्व से ही 42 एएनएम कार्यरत हैं. दिन प्रतिदिन इसमें सुधार हो रहा है. जिले के अस्पतालों को और स्टाफ मिलने का अनुमान है.

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