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बांका में भूमाफिया ने सरकारी पोखर का अपने नाम करा लिया म्यूटेशन, सीओ ने दिया जांच का भरोसा

बांका जिले के चांदन प्रखंड में सरकारी पोखर का अंचल कार्यालय ने भूमाफिया की मिलीभगत से दाखिल खारिज (mutation of government pond in Banka) कर दिया है. इसके बारे में जानकारी एवं आंदोलन की तैयारी देख सीओ ने जांच कराने और आरोप सही पाये जाने पर जमाबंदी रद्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Feb 6, 2022, 10:18 AM IST

बांका: बिहार सरकार आम लोगों से पोखर बचाने को लेकर लगातार प्रयासरत है. लगभग गायब हो चुके या अतिक्रमित हो चुके पोखरों को मुक्त कराने की पहल हो रही है. वहीं, भूमाफिया की मिलीभगत से बांका के चांदन प्रखंड (Chandan Block of Banka) में दलालों (Banka land mafia) द्वारा एक सरकारी पोखर का ही दाखिल खारिज कर रसीद उसके (Mutation of Government Pond) नाम से निर्गत कर दिया गया है. इस बात की जानकारी इलाके के लोगों के बीच आग की तरफ फैल गयी.

किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए अंचलाधिकारी प्रशांत शांडिल्य ने कहा कि यह कैसे हुआ और इसमे दोषी कौन है, इसकी रिपोर्ट अंचल निरीक्षक से मांगी गई है. रिपोर्ट आते ही जमाबंदी रद्द कर दोषी पर कार्यवाई भी की जाएगी. ज्ञात हो कि प्रखंड मुख्यालय के पास देवघर चांदन पक्की सड़क के किनारे पीएचईडी पानी टंकी के बगल में काफी पुराना चौधरी बांध था. इसका खाता 176 खसरा 970,971,973 रकवा 2 एकड़ 74 डिसमिल गैर मजरुआ मोकरीरदार खतियान में पोखर एवं पोखर का पिड दर्ज है.

ये भी पढ़ें: बकाया मांगने गये दुकानदार पर 'गंदे' आरोप लगाकर बनाया बंधक, की पिटाई, बगैर शिकायत के हाजत में गुजरी रात

इस पोखर में सरकारी योजना से मिट्टी कटाई और सड़क निर्माण के लिए अंचल कार्यालय द्वारा पत्रांक 8 दिनांक 3 जनवरी 2019 में अनापत्ति प्रमाणपत्र के बाद काम भी पूरा किया गया है लेकिन अंचल कार्यालय में तैनात कुछ दलाल किस्म के लोगों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से उसी पोखर की जमाबंदी सीसीए के आरोपी सह भूमाफिया रूपसान शेख के पिता अजीम शेख के नाम से दर्ज कर दिया गया. 2015 से रसीद भी निर्गत कर दिया गया है जबकि अजीम शेख की मृत्यु भी काफी पहले चुकी है.

अब अगर दाखिल खारिज अजीम शेख के नाम पूर्व में था तो अनापत्ति 2019 में कैसे निर्गत किया गया. इससे साफ जाहिर है कि अंचल कार्यालय की मिलीभगत से सरकारी पोखर को बिना किसी जांच पड़ताल के मोटी रकम लेकर कर दिया गया है. काफी विवाद होने के बाद आनन-फानन में अंचल कार्यालय द्वारा उस जमाबंदी पर तत्काल रोक लगा दिया गया है. इतना ही नहीं, इन दिनों अंचल कार्यालय कई दलालों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से सरकारी जमीन के साथ-साथ किसी की भी जमाबंदी से नाम गायब करना, नया नाम चढ़ाना और खाता खसरा से भी छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार हो रही हैं.

ये भी पढ़ें: बांका में अवैध बालू खनन मामले में रजौन थानाध्यक्ष निलंबित, सर्किल इंस्पेक्टर राजेश कुमार का तबादला

इसकी शिकायत पर अंचल में सुधार के नाम पर भी वही दलाल वसूली अभियान चलाते हैं. लोगों को बेवजह परेशानी के साथ-साथ आर्थिक दोहन का भी शिकार होना पड़ता है. अंचलाधिकारी प्रशांत शांडिल्य ने लोगों में लगातार बढ़ रहे आक्रोश को देखते हुए अविलम्ब जांच का आदेश दिया हैं. उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया है कि अगर यह गलत हुआ है तो उसे रद्द कर दोषी पर कार्यवाई भी होगी.

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बांका: बिहार सरकार आम लोगों से पोखर बचाने को लेकर लगातार प्रयासरत है. लगभग गायब हो चुके या अतिक्रमित हो चुके पोखरों को मुक्त कराने की पहल हो रही है. वहीं, भूमाफिया की मिलीभगत से बांका के चांदन प्रखंड (Chandan Block of Banka) में दलालों (Banka land mafia) द्वारा एक सरकारी पोखर का ही दाखिल खारिज कर रसीद उसके (Mutation of Government Pond) नाम से निर्गत कर दिया गया है. इस बात की जानकारी इलाके के लोगों के बीच आग की तरफ फैल गयी.

किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए अंचलाधिकारी प्रशांत शांडिल्य ने कहा कि यह कैसे हुआ और इसमे दोषी कौन है, इसकी रिपोर्ट अंचल निरीक्षक से मांगी गई है. रिपोर्ट आते ही जमाबंदी रद्द कर दोषी पर कार्यवाई भी की जाएगी. ज्ञात हो कि प्रखंड मुख्यालय के पास देवघर चांदन पक्की सड़क के किनारे पीएचईडी पानी टंकी के बगल में काफी पुराना चौधरी बांध था. इसका खाता 176 खसरा 970,971,973 रकवा 2 एकड़ 74 डिसमिल गैर मजरुआ मोकरीरदार खतियान में पोखर एवं पोखर का पिड दर्ज है.

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इस पोखर में सरकारी योजना से मिट्टी कटाई और सड़क निर्माण के लिए अंचल कार्यालय द्वारा पत्रांक 8 दिनांक 3 जनवरी 2019 में अनापत्ति प्रमाणपत्र के बाद काम भी पूरा किया गया है लेकिन अंचल कार्यालय में तैनात कुछ दलाल किस्म के लोगों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से उसी पोखर की जमाबंदी सीसीए के आरोपी सह भूमाफिया रूपसान शेख के पिता अजीम शेख के नाम से दर्ज कर दिया गया. 2015 से रसीद भी निर्गत कर दिया गया है जबकि अजीम शेख की मृत्यु भी काफी पहले चुकी है.

अब अगर दाखिल खारिज अजीम शेख के नाम पूर्व में था तो अनापत्ति 2019 में कैसे निर्गत किया गया. इससे साफ जाहिर है कि अंचल कार्यालय की मिलीभगत से सरकारी पोखर को बिना किसी जांच पड़ताल के मोटी रकम लेकर कर दिया गया है. काफी विवाद होने के बाद आनन-फानन में अंचल कार्यालय द्वारा उस जमाबंदी पर तत्काल रोक लगा दिया गया है. इतना ही नहीं, इन दिनों अंचल कार्यालय कई दलालों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से सरकारी जमीन के साथ-साथ किसी की भी जमाबंदी से नाम गायब करना, नया नाम चढ़ाना और खाता खसरा से भी छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार हो रही हैं.

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इसकी शिकायत पर अंचल में सुधार के नाम पर भी वही दलाल वसूली अभियान चलाते हैं. लोगों को बेवजह परेशानी के साथ-साथ आर्थिक दोहन का भी शिकार होना पड़ता है. अंचलाधिकारी प्रशांत शांडिल्य ने लोगों में लगातार बढ़ रहे आक्रोश को देखते हुए अविलम्ब जांच का आदेश दिया हैं. उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया है कि अगर यह गलत हुआ है तो उसे रद्द कर दोषी पर कार्यवाई भी होगी.

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