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बांका के चांदन नदी पर बना पुल हुआ क्षतिग्रस्त, प्रशासन मौन

सूचना मिलने पर एसडीएम मनोज कुमार चौधरी क्षतिग्रस्त ​​​​​​​पुल देखने के लिए गए. लेकिन उन्होंने पुल को क्षतिग्रस्त देखकर कोई कार्रवाई नहीं की. पुल पर अब भी भारी वाहनों की आवाजाही जारी है.

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पुल हुआ क्षतिग्रस्त
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Published : Jan 12, 2020, 1:33 PM IST

Updated : Jan 12, 2020, 3:30 PM IST

बांका: जिले के चांदन नदी पर बने पुल का छह में से चार पाया क्षतिग्रस्त हो गया है. पुल का दो पाया आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस क्षतिग्रस्त पुल पर वाहनों की आवाजाही भी जारी है. जिसके चलते कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

बता दें कि यह पुल एनएच 333 ए में भी शामिल है. जो बांका को भागलपुर, झारखंड और बंगाल से जोड़ता है. चांदन नदी पर बने पुल का छह पाया क्षतिग्रस्त हो गया है. वहीं, इसके क्षतिग्रस्त हो जाने से लोगों की परेशानी बढ़ जाएगी. लोगों को कई किमी अतिरिक्त चक्कर लगाकर अपने गंतव्य पर जाना होगा.

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पुल क्षतिग्रस्त

प्रशासनिक विभाग मौन
बालू उठाव में संवेदक महादेव इंक्लेव की मनमानी जारी है. बालू संवेदक ना सिर्फ गलत तरीके से बालू का उठाव कर रहे हैं. बल्कि सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना भी लगा रहे हैं. इस पर पूरा प्रशासनिक विभाग मौन है, जिससे उनका मनोबल बढ़ता जा रहा है. इसी के चलते चांदन नदी पर बने पुल के पास लगातार बालू उठाव होता रहा है. वहीं, नियम के मुताबिक पुल के दोनों ओर तीन सौ मीटर तक बालू का उठाव वर्जित है.

चांदन नदी पर बना पुल हुआ क्षतिग्रस्त

भारी वाहनों की आवाजाही जारी है
जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है. वहीं, सूचना मिलने पर एसडीएम मनोज कुमार चौधरी क्षतिग्रस्त पुल देखने के लिए गए. लेकिन उन्होंने पुल को क्षतिग्रस्त देखकर कोई कार्रवाई नहीं की. पुल पर अब भी भारी वाहनों की आवाजाही जारी है. समय रहते इस पर रोक नहीं लगाया गया, तो किसी भी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

बांका: जिले के चांदन नदी पर बने पुल का छह में से चार पाया क्षतिग्रस्त हो गया है. पुल का दो पाया आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस क्षतिग्रस्त पुल पर वाहनों की आवाजाही भी जारी है. जिसके चलते कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

बता दें कि यह पुल एनएच 333 ए में भी शामिल है. जो बांका को भागलपुर, झारखंड और बंगाल से जोड़ता है. चांदन नदी पर बने पुल का छह पाया क्षतिग्रस्त हो गया है. वहीं, इसके क्षतिग्रस्त हो जाने से लोगों की परेशानी बढ़ जाएगी. लोगों को कई किमी अतिरिक्त चक्कर लगाकर अपने गंतव्य पर जाना होगा.

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पुल क्षतिग्रस्त

प्रशासनिक विभाग मौन
बालू उठाव में संवेदक महादेव इंक्लेव की मनमानी जारी है. बालू संवेदक ना सिर्फ गलत तरीके से बालू का उठाव कर रहे हैं. बल्कि सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना भी लगा रहे हैं. इस पर पूरा प्रशासनिक विभाग मौन है, जिससे उनका मनोबल बढ़ता जा रहा है. इसी के चलते चांदन नदी पर बने पुल के पास लगातार बालू उठाव होता रहा है. वहीं, नियम के मुताबिक पुल के दोनों ओर तीन सौ मीटर तक बालू का उठाव वर्जित है.

चांदन नदी पर बना पुल हुआ क्षतिग्रस्त

भारी वाहनों की आवाजाही जारी है
जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है. वहीं, सूचना मिलने पर एसडीएम मनोज कुमार चौधरी क्षतिग्रस्त पुल देखने के लिए गए. लेकिन उन्होंने पुल को क्षतिग्रस्त देखकर कोई कार्रवाई नहीं की. पुल पर अब भी भारी वाहनों की आवाजाही जारी है. समय रहते इस पर रोक नहीं लगाया गया, तो किसी भी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

Intro:बांका के चांदन नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। पुल का छह में से चार पाया बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। भारी वाहनों की आवाजाही जारी है। इसपर रोक नहीं लगाया गया तो कभी भी बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है। प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है



Body:- चांदन नदी पर बने पुल का छह पाया हुआ क्षतिग्रस्त

- छह में से चार पाया बुरी तरह से हुआ है क्षतिग्रस्त

- एनएच 333ए बांका के लिए माना जाता है लाइफलाइन वाली सड़क

- पुल क्षतिग्रस्त होने के बावजूद भारी वाहनों की आवाजाही जारी

- प्रशासनिक स्तर पर अब तक नहीं की जा सकी है कोई पहल

- बेतरतीब बालू उठाव भी पुल के क्षतिग्रस्त होने की है वजह

- पुल के दोनों ओर तीन सौ मीटर तक बाल उठाव है वर्जित

- नियमों को ताक पर रखकर बालू संवेदक कर रहे बालू का उठाव

- जिम्मेदार भी कुछ बोलने को नहीं है तैयार

- एसडीएम ने क्षतिग्रस्त पुल का किया निरीक्षण

- भारी वाहनों की आवाजाही पर नहीं लगा रोक तो कभी भी घटित हो सकती है बड़ी दुर्घटना

बांका। जिले का लाइफलाइन माने जाने वाला चांदन नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। पुल का छह में से चार पाया पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है। जबकि दो पाया आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुआ है। यह एनएच 333 ए में भी शामिल है। बांका को भागलपुर, झारखंड और बंगाल से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क मार्ग है। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस पहल अब तक नहीं की जा सकी है। पुल क्षतिग्रस्त होने के बावजूद भारी वाहनों की आवाजाही जारी है। जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना घटित होने की आशंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
पुल क्षतिग्रस्त होने के पीछे बालू का बेतरतीब उठा भी माना जा रहा है। पुल के दोनों तरफ तीन सौ मीटर तक बालू उठाव वर्जित है। फिर भी बालू संवेदक महादेव इंकलब नियम को ताक पर रखकर बालू का उठाव कर रहे हैं।

पुल का छिपाया हुआ क्षतिग्रस्त
चांदन नदी पर बने पुल का छह पाया क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसमें चार पाया बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है। लगातार व भारी वाहनों के आवाजाही का दबाव पुल नहीं झेल सका और क्षतिग्रस्त हो गया। आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण सड़क मार्ग है। एनएच 333ए का यह सड़क मार्ग भागलपुर के साथ-साथ झारखंड और बंगाल को जोड़ती है। इसके क्षतिग्रस्त हो जाने से परेशानी बढ़ेगी और लोगों को कई किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर अपने गंतव्य पर जाना होगा।

बेतरतीब बालू उठाव को भी है कारण
बालू संवेदक महादेव इंक्लेव के द्वारा पुल के समीप ही बेतरतीब तरीके से बालू का उठाव किया किया जा रहा है। नियम के मुताबिक पुल के दोनों ओर तीन सौ मीटर तक बालू का उठाव वर्जित है। सारे नियम को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से बालू संवेदक महादेव इंक्लेव पुल के समीप ही बालू उठाव बेतरतीब तरीके से कर रहे हैं। लगातार बाल उठाव की वजह से पुल का नीव खोखला खोखला होते चला गया। लगातार भारी वाहनों के आवाजाही को झेल नहीं सका और क्षतिग्रस्त हो गया।

बालू संवेदक के मनमानी पर जिम्मेदार मौन
बालू उठाव में संवेदक महादेव इंक्लेव की मनमानी जारी है। बालू संवेदक ना सिर्फ गलत तरीके से बालू का उठाव कर रहे हैं बल्कि सरकार को करोड़ों का राजस्व का चूना भी लगा रहे हैं। इसपर पूरा प्रशासनिक महकमा इस पर मौन है। जिम्मेदार लोग भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। जिससे उनका मनोबल बढ़ता जा रहा है। यही वजह रहा कि वर्जित क्षेत्र रहने के बावजूद चांदन नदी पर बने पुल के समीप लगातार बालू उठाव होते रहा। जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि पुल कमजोर होते गया और रविवार को क्षतिग्रस्त हो गया।




Conclusion:प्रशासनिक स्तर पर अब तक नहीं हुई है पहल
जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। हालांकि एसडीएम मनोज कुमार चौधरी ने क्षतिग्रस्त पाया को देख कर चले गए। भारी वाहनों की आवाजाही अब भी जारी है। समय रहते इस पर रोक नहीं लगाया गया तो किसी भी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है। स्थानीय लोग इस आशंका से सहमे हुए हैं।

Last Updated : Jan 12, 2020, 3:30 PM IST
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