ETV Bharat / state

बांका पहुंचे मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया प्रशासन, भूखे-प्यासे पैदल ही निकल पड़े घर

author img

By

Published : May 6, 2020, 12:39 PM IST

Updated : May 6, 2020, 9:06 PM IST

दूसरे राज्यों से पटना पहुंचे मजदूरों का जत्था बांका पहुंच गया. प्रशासन की ओर से उनके रहने खाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है. बांका से मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े.

बांका
बांका

बांकाः प्रदेश लौट रहे मजदूरों को लेकर सरकार की कथनी और करनी में काफी अंतर देखने को मिल रही है. सरकार ने ट्रेनों से घर आ रहे मजदूरों का किराया देने का निर्णय लिया था, लेकिन बंगलुरु से पटना आए मजदूरों से किराया वसूला गया. टिकट पर 960 रुपए अंकित था, जबकि मजदूरों से 1 हजार 50 रुपए लिए गए. फिर बस से 40 से अधिक मजदूर पटना से बांका लाए गए. मंगलवार देर रात बांका पहुंचे मजदूरों को ना तो पीने का पानी दिया गया और ना ही खाना मिला. उनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. मजदूरों को बस पर ही रात गुजरनी पड़ी.

'तीन दिन के सफर में दो बार ही मिला खाना'
बांका लौटे मजदूरों ने बताया कि बंगलुरु से बांका के 3 दिनों के सफर में मात्र 2 बार ही खाना दिया गया. अंतिम बार खाना दानापुर में मिला था. बस के माध्यम से देर रात बांका पहुंचे तो सभी की स्क्रीनिंग कर हाथ पर मुहर लगाया गया. और सभी को उनके हाल पर छोड़ दिया गया. इनके रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. थके-हारे मजदूर बस में रात बिताए. सुबह भी खाने-पीने को कुछ नहीं दिया गया.

देखें रिपोर्ट

भूखे-प्यासे पैदल ही निकल पड़े घर
बंगलुरु से आए प्रवासी मजदूर मो. सलमान ने बताया कि बांका में मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. खाना मांगने पर जिला प्रशासन की ओर से हाथ खड़े कर दिए गए. रास्ते में भी खाना सही से नहीं मिला था. बांका पहुंच कर भी रात भर भूखे रहना पड़ा. उन्होंने बताया कि मजबूरन भूखे-प्यासे पैदल ही घर की ओर निकल पड़े. रास्ते में एक सत्तू वाले ने सत्तू पिलाया तो जान में जान आई.

बांकाः प्रदेश लौट रहे मजदूरों को लेकर सरकार की कथनी और करनी में काफी अंतर देखने को मिल रही है. सरकार ने ट्रेनों से घर आ रहे मजदूरों का किराया देने का निर्णय लिया था, लेकिन बंगलुरु से पटना आए मजदूरों से किराया वसूला गया. टिकट पर 960 रुपए अंकित था, जबकि मजदूरों से 1 हजार 50 रुपए लिए गए. फिर बस से 40 से अधिक मजदूर पटना से बांका लाए गए. मंगलवार देर रात बांका पहुंचे मजदूरों को ना तो पीने का पानी दिया गया और ना ही खाना मिला. उनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. मजदूरों को बस पर ही रात गुजरनी पड़ी.

'तीन दिन के सफर में दो बार ही मिला खाना'
बांका लौटे मजदूरों ने बताया कि बंगलुरु से बांका के 3 दिनों के सफर में मात्र 2 बार ही खाना दिया गया. अंतिम बार खाना दानापुर में मिला था. बस के माध्यम से देर रात बांका पहुंचे तो सभी की स्क्रीनिंग कर हाथ पर मुहर लगाया गया. और सभी को उनके हाल पर छोड़ दिया गया. इनके रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. थके-हारे मजदूर बस में रात बिताए. सुबह भी खाने-पीने को कुछ नहीं दिया गया.

देखें रिपोर्ट

भूखे-प्यासे पैदल ही निकल पड़े घर
बंगलुरु से आए प्रवासी मजदूर मो. सलमान ने बताया कि बांका में मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. खाना मांगने पर जिला प्रशासन की ओर से हाथ खड़े कर दिए गए. रास्ते में भी खाना सही से नहीं मिला था. बांका पहुंच कर भी रात भर भूखे रहना पड़ा. उन्होंने बताया कि मजबूरन भूखे-प्यासे पैदल ही घर की ओर निकल पड़े. रास्ते में एक सत्तू वाले ने सत्तू पिलाया तो जान में जान आई.

Last Updated : May 6, 2020, 9:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.