बांका: बिहार के रोहतास जिले में कुछ दिन पहले ही एक पुल चोरी की घटना सामने आयी थी. जिसके बाद बिहार में जैसे पुल चोरी का सिलसिला ही शुरू हो गया. रोहतास के बाद जहानाबाद और अब बांका में भी 2004 में बना लोहे का पुल चोरी (kanwariya Bridge Theft In Banka) कर लिया गया. यहां भी चोर लोहे के पुल को 70 प्रतिशत गैस कटर से काटकर चोरी कर ली. वहीं, इस घटना की जानकारी मिलने पर स्थानीय प्रशासन ने पुल का जायजा लिया. जिसके बाद पुल निगम को आवेदन देकर बाकी बचे पुल को सुरक्षित करने की मांग की गई है.
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बांका में लोहे की पुल की चोरी: बता दें कि कांवरिया पथ पर लोहे की पुल चोरी की खबर मिलने के बाद जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक के पदाधिकारियों की नींद उड़ गई. स्थानीय पदाधिकारी पुल का जायजा लेने पहुंचे और बाकी बचे पुल को सुरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. जिलाधिकारी ने ईटीवी भारत की खबर पर संज्ञान लेते हुए पुल का जायजा लेने स्थानीय पदाधिकारी को भेजा. सबसे पहले पुल पर बीडीओ राकेश कुमार और थानाध्यक्ष नसीम खान ने पहुंचकर पूरी स्थिति का जायजा लिया.
बीडीओ ने मानी चोरी की बात: वहीं, बीडीओ ने भी माना कि पुल के उपयोग में नहीं रहने की वजह से चोरों की नजर इस पर पड़ी और अधिकतर भाग को काट कर चोर ले गए. जबकि लगभग सभी लोहे का नट बोल्ट खोलकर ले जाने की तैयारी भी की जा रही थी. इस संबंध में बड़े पदाधिकारियों से संपर्क करने के बाद बीडीओ ने बताया कि इस पुल को चोरी से बचाने के लिए बिहार सरकार के पुल निगम से संपर्क किया गया है. आवेदन देकर शेष बचे पुल के लोहे को खोलकर सुरक्षित रखने की बात कही गई है. पुल निगम से बनाए गए इस पुल को निगम ही सुरक्षित रख सकता है.अब इस पुल की कोई आवश्यकता नहीं है. पदाधिकारियों के पुल पर पहुंचने के बाद ग्रामीण भी पुल पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि पहले इस पुल का कांवरिया बहुत उपयोग करते थे. लेकिन साल 2012 में नया कांवरिया पथ बन जाने के बाद पुल उपयोग में नहीं रहा. जिससे चोरों की नजर इस पुल पर पड़ी और धीरे-धीरे पुल की चोरी शुरू हो गई.
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मामले में होगी कार्रवाई: इस मामले में थानाध्यक्ष नसीम खान ने भी बताया कि कुछ दिन पहले ही गैस कटर से काटकर पुल का कुछ भाग ले जाया गया है. अब इसकी सुरक्षा के लिए इसको खोल कर रखना ही एकमात्र उपाय है. साथ ही कहा कि इस मामले में वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं, ग्रामीण इंद्रदेव यादव, पप्पू यादव, बलराम यादव, गिरिधारी यादव समेत अन्य ने बताया कि इस पुल को खोलकर अगर कांवरिया पथ के भूल भुलैया पुलिया पर लगा दिया जाए तो इसका फिर से उपयोग हो सकेगा. ग्रामीणों ने बताया कि अभी-भी भूल भुलैया में पानी आ जाने पर कांवरिया को रोक दिया जाता है.
2004 में तत्कालीन डीएम ने कराया था निर्माणः यह पुल कांवरिया पथ के झाझा और पटनिया को जोड़ने के लिए 2004 में तत्कालीन जिला अधिकारी रशीद अहमद के अथक प्रयास से बनवाया गया था. दरअसल 1995 में आई भीषण बाढ़ के समय विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले में कांवरिया को झाझा गांव से पटनिया धर्मशाला जाने के लिए एक बड़े पोखर के बीच से गुजरना पड़ता था. जिसमें अत्यधिक पानी होने के कारण कई बार घटनाएं भी हो जाती थीं. उसी वक्त से यहां एक पुल निर्माण की मांग चल रही थी. कांवरिया की सुविधा को देखते हुए तत्कालीन डीएम द्वारा बेली ब्रिज के तौर पर इस पुलिया का निर्माण कराया गया.
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