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60 हजार रुपये में मिनी ट्रक रिजर्व कर हैदराबाद से बांका पहुंचे मजदूर

15 मजदूरों का जत्था 60 हजार रुपये में मिनी ट्रक रिजर्व कर हैदराबाद से बांका पहुंचे. आने के क्रम में उनलोगों को खाने के लिए कुछ नहीं मिला. सिर्फ बिस्कुट और पानी के सहारे सभी बांका तक पहुंचे.

बांका
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Published : May 17, 2020, 6:30 PM IST

Updated : May 18, 2020, 8:33 PM IST

बांका: लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों की घर वापसी के लिए सरकार लगातार ट्रेन और बसें चलवा रही है. इसके बावजूद हजारों मजदूर इस सुविधा से वंचित है. इसी कारण से ये मजदूर तपती धूप में पैदल चलकर या मोटी रकम चुकाकर घर की ओर आ रहे हैं. ऐसे ही 15 प्रवासी मजदूर 60 हजार रुपये में मिनी ट्रक रिजर्व कर हैदराबाद से बांका पहुंचे.

बांका
हैदारबाद से बांका पहुंचे प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वो सभी हैदराबाद में रंगारेड्डी जिले में बीएल कश्यप कंपनी में भवन निर्माण का काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान जमा पैसे से ही इतने दिनों तक खाना खाया. लेकिन धीरे-धीरे पैसे खत्म होने लगे. वहीं, लाला का ऊपर से 14 हजार रुपये कर्ज हो गया. इसलिए हम सभी 15 मजदूरों ने मिलकर 60 हजार रुपये में मिनी ट्रक रिजर्व कर 13 मई को हैदराबाद से निकल पड़े. शनिवार की देर शाम कटोरिया और बौंसी पहुंचे. आने के क्रम में खाने को कुछ नहीं मिला. सिर्फ बिस्कुट और पानी के सहारे यहां तक पहुंचे हैं.

पेश है रिपोर्ट

क्वॉरेंटाइन में रहने के बाद जाएंगे घर
प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उत्तर प्रदेश और झारखंड बॉर्डर पर उनलोगों को जांच के लिए रोका गया था. जांच के बाद सभी की कलाई पर मुहर लगाया गया फिर आगे जाने दिया गया. वहीं, कटोरिया आने पर एक दुकानदार ने सभी को खाने के लिए बिस्कुट और पीने के लिए पानी दिया. साथ ही उनलोगों ने बताया कि सभी मजदूर अपने-अपने प्रखंड के क्वॉरेंटाइन सेंटर जा रहे हैं. जहां जांच के बाद 14 दिनों तक क्वॉरेंटाइन रहेंगे. उसके बाद अपने-अपने घर जाएंगे.

बांका: लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों की घर वापसी के लिए सरकार लगातार ट्रेन और बसें चलवा रही है. इसके बावजूद हजारों मजदूर इस सुविधा से वंचित है. इसी कारण से ये मजदूर तपती धूप में पैदल चलकर या मोटी रकम चुकाकर घर की ओर आ रहे हैं. ऐसे ही 15 प्रवासी मजदूर 60 हजार रुपये में मिनी ट्रक रिजर्व कर हैदराबाद से बांका पहुंचे.

बांका
हैदारबाद से बांका पहुंचे प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वो सभी हैदराबाद में रंगारेड्डी जिले में बीएल कश्यप कंपनी में भवन निर्माण का काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान जमा पैसे से ही इतने दिनों तक खाना खाया. लेकिन धीरे-धीरे पैसे खत्म होने लगे. वहीं, लाला का ऊपर से 14 हजार रुपये कर्ज हो गया. इसलिए हम सभी 15 मजदूरों ने मिलकर 60 हजार रुपये में मिनी ट्रक रिजर्व कर 13 मई को हैदराबाद से निकल पड़े. शनिवार की देर शाम कटोरिया और बौंसी पहुंचे. आने के क्रम में खाने को कुछ नहीं मिला. सिर्फ बिस्कुट और पानी के सहारे यहां तक पहुंचे हैं.

पेश है रिपोर्ट

क्वॉरेंटाइन में रहने के बाद जाएंगे घर
प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उत्तर प्रदेश और झारखंड बॉर्डर पर उनलोगों को जांच के लिए रोका गया था. जांच के बाद सभी की कलाई पर मुहर लगाया गया फिर आगे जाने दिया गया. वहीं, कटोरिया आने पर एक दुकानदार ने सभी को खाने के लिए बिस्कुट और पीने के लिए पानी दिया. साथ ही उनलोगों ने बताया कि सभी मजदूर अपने-अपने प्रखंड के क्वॉरेंटाइन सेंटर जा रहे हैं. जहां जांच के बाद 14 दिनों तक क्वॉरेंटाइन रहेंगे. उसके बाद अपने-अपने घर जाएंगे.

Last Updated : May 18, 2020, 8:33 PM IST
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