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मिलिए बिहार की 'मैडम' से, जिन्हें फरवरी तो छोड़िए STUDY तक की स्पेलिंग मालूम नहीं - pathetic condition of primary schools

ईटीवी भारत ने विद्यालय की शिक्षिका से पूछताछ की तो पता चला कि शिक्षिका को सप्ताह के 7 दिनों का नाम भी ठीक से मालूम नहीं है. शिक्षिका से बिहार के राज्यपाल का नाम पूछा गया तो उन्होंने इसे हास्यास्पद तरीके से टाल दिया.

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प्राथमिक विद्यालय की खराब हालत
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Published : Mar 6, 2020, 7:18 PM IST

Updated : Mar 6, 2020, 11:42 PM IST

अरवल: राज्य सरकार बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का लाख दावा करे, लेकिन विद्यालयों की स्थिति बदहाल है. जिससे बच्चों के भविष्य पर तलवार लटकती नजर आती है. विद्यालयों की स्थिति जानने के लिए ईटीवी भारत की ओर से रियालिटी चेक किया गया. जहां ईटीवी भारत जिले के कलेर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय दिलावर में पहुंचा. विद्यालय में कक्षा 5 तक की पढ़ाई होती है, लेकिन वहां एक भी बच्चे मौजूद नहीं थे. बच्चों के बारे में पूछे जाने पर शिक्षिका रीता कुमारी ने बताया कि बच्चे खिचड़ी खाने के बाद भाग जाते हैं, जहां वे रोके जाने पर भी नहीं रुकते.

रियालिटी चेक में फेल हुईं शिक्षिका
रियालिटी चेक के दौरान ईटीवी भारत ने विद्यालय की शिक्षिका से पूछताछ की तो पता चला कि शिक्षिका को सप्ताह के 7 दिनों की भी ठीक से जानकारी नहीं है. शिक्षिका से बिहार के राज्यपाल का नाम पूछा गया तो उन्होंने इसे हास्यास्पद तरीके से टाल दिया. इसके अलावा शिक्षिका को जिले के डीएम के बारे में भी जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि डीएम तो रोज बदलते रहते हैं.

देखें रिपोर्ट

शिक्षा विभाग कराता है शिक्षकों को ट्रेनिंग
कहा जाता है कि बच्चे एक कोरे कागज की तरह होते हैं. उन्हें जिस तरह सिखाया जाए, वे उसी तरह से चीजों को सीखते हैं. यहां सरकार ने बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए जिन शिक्षकों के कंधों पर जवाबदेही दी गई है, वे शिक्षक बिहार के राज्यपाल का नाम भी नहीं जानते हैं. हालांकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन इसके बावजूद स्थिति खराब है.

अरवल: राज्य सरकार बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का लाख दावा करे, लेकिन विद्यालयों की स्थिति बदहाल है. जिससे बच्चों के भविष्य पर तलवार लटकती नजर आती है. विद्यालयों की स्थिति जानने के लिए ईटीवी भारत की ओर से रियालिटी चेक किया गया. जहां ईटीवी भारत जिले के कलेर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय दिलावर में पहुंचा. विद्यालय में कक्षा 5 तक की पढ़ाई होती है, लेकिन वहां एक भी बच्चे मौजूद नहीं थे. बच्चों के बारे में पूछे जाने पर शिक्षिका रीता कुमारी ने बताया कि बच्चे खिचड़ी खाने के बाद भाग जाते हैं, जहां वे रोके जाने पर भी नहीं रुकते.

रियालिटी चेक में फेल हुईं शिक्षिका
रियालिटी चेक के दौरान ईटीवी भारत ने विद्यालय की शिक्षिका से पूछताछ की तो पता चला कि शिक्षिका को सप्ताह के 7 दिनों की भी ठीक से जानकारी नहीं है. शिक्षिका से बिहार के राज्यपाल का नाम पूछा गया तो उन्होंने इसे हास्यास्पद तरीके से टाल दिया. इसके अलावा शिक्षिका को जिले के डीएम के बारे में भी जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि डीएम तो रोज बदलते रहते हैं.

देखें रिपोर्ट

शिक्षा विभाग कराता है शिक्षकों को ट्रेनिंग
कहा जाता है कि बच्चे एक कोरे कागज की तरह होते हैं. उन्हें जिस तरह सिखाया जाए, वे उसी तरह से चीजों को सीखते हैं. यहां सरकार ने बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए जिन शिक्षकों के कंधों पर जवाबदेही दी गई है, वे शिक्षक बिहार के राज्यपाल का नाम भी नहीं जानते हैं. हालांकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन इसके बावजूद स्थिति खराब है.

Last Updated : Mar 6, 2020, 11:42 PM IST
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