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कर्नाटक से बिहार पहुंचा हिजाब, बोलीं प्रदर्शनकारी महिलाएं- मजहबी भावनाओं को ठेस ना पहुचाएं

कर्नाटक में हिजाब पर शुरू हुआ विवाद गहराता जा रहा है. कर्नाटक के बाद अब अन्य राज्यों में भी इसे लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है. इस पूरे मामले पर राजनीति भी जमकर हो रही है. इसी बीच बिहार के अररिया में भी महिलाएं हिजाब के समर्थन में उतर आईं हैं. पढ़ें पूरी खबर....

कर्नाटक से बिहार पहुंचा हिजाब
अररिया में महिलाओं का प्रदर्शन
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Published : Feb 11, 2022, 7:29 PM IST

अररियाः कर्नाटक से उठे हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) का असर अब बिहार में भी दिखने लगा है. हिजाब के समर्थन में शुक्रवार को बिहार के अररिया शहर की सैकड़ों महिलाएं और छात्राएं सड़क पर उतरीं. हाथों में हिजाब मेरा अधिकार और हमें न्याय चाहये की तख्तियां लेकर महिलाओं ने प्रदर्शन (Women Protest In Araria) किया. इस दौरान प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि हिजाब हमारा अधिकार है, हमारी मजहबी भावनाओं को ठेस ना पहुंचाया जाए.

ये भी पढ़ेंः हिजाब विवाद पर अनोखा विरोधः कांग्रेस विधायक के कॉलेज की छात्राओं ने बुर्का पहन खेला फुटबाॅल

हिजाब के समर्थन में निकाले गए जुलूस की शुरूआत बर्मा सेल के करीब यतीमखाना मदरसा प्रांगण से हुई. जुलूस में महिलाएं हिजाब के समर्थन में लिखे बैनर लेकर चांदनी चौक तक पहुंची. जहां महिलाओं ने कहा कि हिजाब हमारे खूबसूरती की नहीं बल्कि पर्दे की चीज है. इसलिए इसको लेकर कोई भी अगर अपशब्दों का इस्तेमाल करेगा तो ये हमें बर्दाशत नहीं होगा. महिलाओं ने बताया कि इस्लाम धर्म में लड़कियों के लिए सबसे पहले पर्दे की बात कही गई है. इस हिजाब से सिर्फ पर्दा नहीं होता, बल्कि बुरी नजरों से भी बचा जा सकता है.

'इस्लाम धर्म हिजाब, बुर्का और पर्दे को अहमियत देता है. इसलिए इसमें किसी की दखलअंदाजी सही नहीं है. आज साउथ में कई स्कूलों में छात्राओं के हिजाब लगाने पर विरोध जताया जा रहा है. ये सरासर किसी के मजहबी भावनाओं को ठेस पहुंचाना है'- प्रदर्शनकारी

वहीं, जुलूस में शामिल छात्राओं ने कहा कि सरकार को चाहिये की ऐसे लोगों पर कार्रवाई करे, जो इसमें दखलअंदाजी कर रहे हैं. जुलूस में शामिल महिलाओं ने बताया कि हमारे देश के कानून ने जब हिजाब पर पाबंदी नहीं लगाया है, तो किसी का अधिकार नहीं होता है कि इसका विरोध करे. खुद को पर्दे में रखने का अधिकार सभी मजहब को है, इस पर इतना बखेड़ा क्यों खड़ा किया जा रहा है.

बता दें कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में कर्नाटक एजुकेशन एक्ट-1983 की धारा 133 लागू कर दी है. इस वजह से सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनी ही जाएगी. जबकि निजी स्कूल अपनी खुद की एक यूनिफॉर्म चुन सकते हैं. इस फैसले को लेकर विवाद पिछले महीने जनवरी में तब शुरू हुआ था, जब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में एंट्री की थी, जिन्हें नकाब लगाकर आने से मना किया गया. उसके बाद से ही पूरे कर्नाटक और अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी है. इस मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. अब मामला को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई है.

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अररियाः कर्नाटक से उठे हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) का असर अब बिहार में भी दिखने लगा है. हिजाब के समर्थन में शुक्रवार को बिहार के अररिया शहर की सैकड़ों महिलाएं और छात्राएं सड़क पर उतरीं. हाथों में हिजाब मेरा अधिकार और हमें न्याय चाहये की तख्तियां लेकर महिलाओं ने प्रदर्शन (Women Protest In Araria) किया. इस दौरान प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि हिजाब हमारा अधिकार है, हमारी मजहबी भावनाओं को ठेस ना पहुंचाया जाए.

ये भी पढ़ेंः हिजाब विवाद पर अनोखा विरोधः कांग्रेस विधायक के कॉलेज की छात्राओं ने बुर्का पहन खेला फुटबाॅल

हिजाब के समर्थन में निकाले गए जुलूस की शुरूआत बर्मा सेल के करीब यतीमखाना मदरसा प्रांगण से हुई. जुलूस में महिलाएं हिजाब के समर्थन में लिखे बैनर लेकर चांदनी चौक तक पहुंची. जहां महिलाओं ने कहा कि हिजाब हमारे खूबसूरती की नहीं बल्कि पर्दे की चीज है. इसलिए इसको लेकर कोई भी अगर अपशब्दों का इस्तेमाल करेगा तो ये हमें बर्दाशत नहीं होगा. महिलाओं ने बताया कि इस्लाम धर्म में लड़कियों के लिए सबसे पहले पर्दे की बात कही गई है. इस हिजाब से सिर्फ पर्दा नहीं होता, बल्कि बुरी नजरों से भी बचा जा सकता है.

'इस्लाम धर्म हिजाब, बुर्का और पर्दे को अहमियत देता है. इसलिए इसमें किसी की दखलअंदाजी सही नहीं है. आज साउथ में कई स्कूलों में छात्राओं के हिजाब लगाने पर विरोध जताया जा रहा है. ये सरासर किसी के मजहबी भावनाओं को ठेस पहुंचाना है'- प्रदर्शनकारी

वहीं, जुलूस में शामिल छात्राओं ने कहा कि सरकार को चाहिये की ऐसे लोगों पर कार्रवाई करे, जो इसमें दखलअंदाजी कर रहे हैं. जुलूस में शामिल महिलाओं ने बताया कि हमारे देश के कानून ने जब हिजाब पर पाबंदी नहीं लगाया है, तो किसी का अधिकार नहीं होता है कि इसका विरोध करे. खुद को पर्दे में रखने का अधिकार सभी मजहब को है, इस पर इतना बखेड़ा क्यों खड़ा किया जा रहा है.

बता दें कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में कर्नाटक एजुकेशन एक्ट-1983 की धारा 133 लागू कर दी है. इस वजह से सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनी ही जाएगी. जबकि निजी स्कूल अपनी खुद की एक यूनिफॉर्म चुन सकते हैं. इस फैसले को लेकर विवाद पिछले महीने जनवरी में तब शुरू हुआ था, जब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में एंट्री की थी, जिन्हें नकाब लगाकर आने से मना किया गया. उसके बाद से ही पूरे कर्नाटक और अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी है. इस मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. अब मामला को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई है.

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