अररिया: असम के बाद बिहार में भी एनआरसी की मांग उठने लगी है. इस मुद्दे को लेकर इन दिनों बिहार की सियासत गरमाई हुई है. एक ओर जहां एनडीए के दलों में ही इसको लेकर अलग राय है. तो वहीं, विपक्ष हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहा है. बीजेपी नेताओं ने बिहार के सीमावर्ती इलाकों में एनआरसी की जरूरत बताई है. लेकिन, जेडीयू ने इस पर आपत्ति जताई है.
एनआरसी को लेकर अररिया में अफवाहों का बाजार गर्म है. स्थानीय एनडीए के नेताओं में भी मतभेद है. अररिया से बीजेपी के सांसद प्रदीप सिंह का मानना है कि जिस तरह एनआरसी असम में लागू किया गया है, उसी की तर्ज पर बिहार सहित पूरे देश में लागू होना चाहिए. उनका मानना है कि सीमांचल के जिले किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार में काफी सारे घुसपैठियों ने शरण ले रखी है.
सांसद ने बताई अररिया में एनआरसी की जरूरत
सांसद का कहना है कि सीमावर्ती इलाकों में हजारों ऐसे लोग हैं, जिनके पास किसी भी प्रकार का कोई आधार या पहचान पत्र नहीं है. नतीजतन इसका खामियाजा यहां के मूल निवासी को झेलनी पड़ रही है. उन्हें सरकारी लाभ से वंचित होना पड़ रहा है. तो वहीं, एनडीए गठबंधन में जेडीयू के चुनाव प्रभारी रेशम लाल पासवान ने कहा कि हम अपने पार्टी के स्टैंड के साथ हैं.
जेडीयू अपने स्टैंड पर कायम
जेडीयू का कहना है कि घुसपैठिए केवल बिहार में ही हैं ऐसा नहीं है. घुसपैठिए तो बंगाल में भी हैं, यहां तक की पूरे भारत में हैं. इसलिए किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाए जो भी यहां है, वो यहां के मूल निवासी हैं. उन्हें कोई नहीं भगा सकता है.
धर्म विशेष का टारगेट कर रही बीजेपी- आरजेडी
इधर, आरजेडी के युवा जिला प्रवक्ता कमाल ए हक ने बताया कि बीजेपी के लोग धर्म विशेष को टारगेट कर रहे हैं. देश की अर्थव्यवस्था, नौजवान बेरोजगार, इंडस्ट्रीज बंद होने की कगार पर है, उन्हें ये नहीं दिख रहा है. वह मुद्दे से भटका रहे हैं. कभी एनआरसी तो कभी तीन तलाक, कभी पाकिस्तान के नाम पर देश को बर्बाद करने पर उतारू हैं. लोगों के अंदर भय का माहौल बनाया जा रहा है.