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Araria News: अररिया में रेणु महोत्सव, आंचलिक कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की मनायी गयी 102वीं जयंती - Araria News

कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की जयंती (Phanishwar Nath Renu birth anniversary) पर अररिया में रेणु महोत्सव का आयोजन किया गया. उनकी जनशताब्दी को बिहार सरकार ने महोत्सव के रूप में मना रही है. इस कार्यक्रम में उनकी जीवनी और साहित्य पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Mar 4, 2023, 9:23 PM IST

अररिया: बिहार के अररिया में महान आंचलिक कथाकार शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की 102वीं जयंती रेणु महोत्सव (Renu Festival in Araria ) के रूप में मनाई गई. 4 मार्च 1921 को फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म अररिया जिले के हिंगना गांव में हुआ था. उनकी जनशताब्दी को बिहार सरकार ने महोत्सव के रूप से मनाने का निर्णय लिया है. उसी को लेकर आज रेणु महोत्सव 2023 मनाया जा रहा है. इस महोत्सव का थीम है- रेणु जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर साहित्यिक परिचर्चा.

ये भी पढ़ेंः अररिया में फणीश्वर नाथ रेणु के 101वें जन्म महोत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन

रेणु महोत्सव का आयोजनः रेणु महोत्सव में कार्यक्रम को तीन सत्रों में बांटा गया है. पहला सत्र महोत्सव का उद्घाटन, साहित्यकारों को सम्मान, अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम. यहां जिले के कई कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. वहीं वक्ताओं ने बताया कि रेणु जी एक क्षेत्रीय, आंचलिक व्यक्तित्व के धनी थे, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं. उनके साहित्य को पढ़कर आज युवा नए राह पर चल रहे हैं. कई वक्ताओं ने बताया कि रेणु जी के साहित्य पर आज देश ही नहीं विदेश से भी लोग आकर रिसर्च कर रहे हैं. उनके साहित्य को ट्रांसलेट कर जापान अमेरिका जैसे यूनिवर्सिटी में भी चलाया जा रहा है.

एसपी और डीएम ने भी रखे विचारः फनीश्वर नाथ रेणु के जीवन वृत पर डीएम इनायत खान और एसपी अशोक कुमार सिंह ने भी प्रकाश डाला. एसपी ने कहा कि उनके द्वारा लिखे गए शब्द हमेशा प्रासंगिक रहेंगे. उन्होंने दो पंक्तियों में ही कितना अच्छा और कितने सरल तरीके से झूठ नहीं बोलने का संदेश दिया है. उन्होंने लिखा है- 'सजन रे झूठ मत बोले.. खुदा के पास जाना है'..इसमें सजन शब्द किसी खास नारी या प्रेमिका के लिए नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए इस्तेमाल किया है और इसके माध्यम से एक बड़ा संदेश दिया है कि हमे झूठ नहीं बोलना चाहिए.

"उन्होंने लिखा है सजन रे झूठ मत बोले. उन्होंने 'सजन' शब्द का प्रयोग किसी खास के लिए नहीं लिखा है, बल्कि सभी को संबोधित करते हुए इसके माध्यम से एक संदेश दिया है कि 'सजन रे झूठ मत बोले..खुदा के पास जाना है..' इन दो पंक्तियों से ही मैं उनकी प्रासंगिकता के बारे में बोलना चाहता हूं कि जबतक यह पृथ्वी है. उनके शब्द प्रासंगिक हैं"- अशोक कुमार सिंह, एसपी, अररिया

अररिया: बिहार के अररिया में महान आंचलिक कथाकार शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की 102वीं जयंती रेणु महोत्सव (Renu Festival in Araria ) के रूप में मनाई गई. 4 मार्च 1921 को फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म अररिया जिले के हिंगना गांव में हुआ था. उनकी जनशताब्दी को बिहार सरकार ने महोत्सव के रूप से मनाने का निर्णय लिया है. उसी को लेकर आज रेणु महोत्सव 2023 मनाया जा रहा है. इस महोत्सव का थीम है- रेणु जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर साहित्यिक परिचर्चा.

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रेणु महोत्सव का आयोजनः रेणु महोत्सव में कार्यक्रम को तीन सत्रों में बांटा गया है. पहला सत्र महोत्सव का उद्घाटन, साहित्यकारों को सम्मान, अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम. यहां जिले के कई कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. वहीं वक्ताओं ने बताया कि रेणु जी एक क्षेत्रीय, आंचलिक व्यक्तित्व के धनी थे, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं. उनके साहित्य को पढ़कर आज युवा नए राह पर चल रहे हैं. कई वक्ताओं ने बताया कि रेणु जी के साहित्य पर आज देश ही नहीं विदेश से भी लोग आकर रिसर्च कर रहे हैं. उनके साहित्य को ट्रांसलेट कर जापान अमेरिका जैसे यूनिवर्सिटी में भी चलाया जा रहा है.

एसपी और डीएम ने भी रखे विचारः फनीश्वर नाथ रेणु के जीवन वृत पर डीएम इनायत खान और एसपी अशोक कुमार सिंह ने भी प्रकाश डाला. एसपी ने कहा कि उनके द्वारा लिखे गए शब्द हमेशा प्रासंगिक रहेंगे. उन्होंने दो पंक्तियों में ही कितना अच्छा और कितने सरल तरीके से झूठ नहीं बोलने का संदेश दिया है. उन्होंने लिखा है- 'सजन रे झूठ मत बोले.. खुदा के पास जाना है'..इसमें सजन शब्द किसी खास नारी या प्रेमिका के लिए नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए इस्तेमाल किया है और इसके माध्यम से एक बड़ा संदेश दिया है कि हमे झूठ नहीं बोलना चाहिए.

"उन्होंने लिखा है सजन रे झूठ मत बोले. उन्होंने 'सजन' शब्द का प्रयोग किसी खास के लिए नहीं लिखा है, बल्कि सभी को संबोधित करते हुए इसके माध्यम से एक संदेश दिया है कि 'सजन रे झूठ मत बोले..खुदा के पास जाना है..' इन दो पंक्तियों से ही मैं उनकी प्रासंगिकता के बारे में बोलना चाहता हूं कि जबतक यह पृथ्वी है. उनके शब्द प्रासंगिक हैं"- अशोक कुमार सिंह, एसपी, अररिया

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