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कचरा चूनते इन लोगों को नहीं मालूम क्या होता है मजदूर दिवस

पूरा देश मजदूर दिवस मना रहा है. लोकिन एक तबका ऐसा भी है जिसे इस मजदूर दिवस की जानकारी तक नहीं है.

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Published : May 1, 2019, 1:02 PM IST

बयान देती महिलाएं

अररियाः आज पूरा विश्व मजदूर दिवस मना रहा है. मजदूरों की जीवनशैली में सुधार को लेकर सरकार रोज नए-नए वादे करती हैं. लेकिन मजदूरी कर के अपना परिवार चलाने वाले कई लोगों को पता ही नहीं है कि मजदूर दिवस क्या होता है.

एक तरफ पूरा देश मजदूर दिवस मना रहा है. लेकिन एक तबका ऐसा भी है जिसे इस मजदूर दिवस की जानकारी तक नहीं. हम आपको दो ऐसी महिलाओं से मिलाते हैं जो कचरा चुनकर अपने परिवार को चलाती हैं.

कचरा चुनती महिलाएं

कचरा चुनती इन औरतों का कहना है कि इस काम में खतरा भी रहता है. लेकिन क्या करें सारा दिन कचरा चुनने से सौ डेढ़ सौ रुपये की कमाई हो जाती है. उनका कहना था कि आज तक हमें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया. जिस कारण बहुत मुश्किल से परिवार से परिवार का गुजारा हो पाता है. परिवार के जितने भी सदस्य हैं वह भी इसी काम से जुड़े हैं. कारी और सुगनी बताती हैं कि आज तक हमें वृद्धा पेंशन का लाभ भी नहीं मिला है. यही कचरा ही हमारी जिंदगी है.

मजदूर दिवस के मौके पर सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में छुट्टी होती है लेकिन इन कचरा चुनने वालों की कोई छुट्टी नहीं. आज के दिन लोग मजदूरों के हित और उनके उत्थान की बातें करते हैं. लेकिन इन जैसे मजदूरों के बारे में कोई नहीं सोचता है.

अररियाः आज पूरा विश्व मजदूर दिवस मना रहा है. मजदूरों की जीवनशैली में सुधार को लेकर सरकार रोज नए-नए वादे करती हैं. लेकिन मजदूरी कर के अपना परिवार चलाने वाले कई लोगों को पता ही नहीं है कि मजदूर दिवस क्या होता है.

एक तरफ पूरा देश मजदूर दिवस मना रहा है. लेकिन एक तबका ऐसा भी है जिसे इस मजदूर दिवस की जानकारी तक नहीं. हम आपको दो ऐसी महिलाओं से मिलाते हैं जो कचरा चुनकर अपने परिवार को चलाती हैं.

कचरा चुनती महिलाएं

कचरा चुनती इन औरतों का कहना है कि इस काम में खतरा भी रहता है. लेकिन क्या करें सारा दिन कचरा चुनने से सौ डेढ़ सौ रुपये की कमाई हो जाती है. उनका कहना था कि आज तक हमें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया. जिस कारण बहुत मुश्किल से परिवार से परिवार का गुजारा हो पाता है. परिवार के जितने भी सदस्य हैं वह भी इसी काम से जुड़े हैं. कारी और सुगनी बताती हैं कि आज तक हमें वृद्धा पेंशन का लाभ भी नहीं मिला है. यही कचरा ही हमारी जिंदगी है.

मजदूर दिवस के मौके पर सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में छुट्टी होती है लेकिन इन कचरा चुनने वालों की कोई छुट्टी नहीं. आज के दिन लोग मजदूरों के हित और उनके उत्थान की बातें करते हैं. लेकिन इन जैसे मजदूरों के बारे में कोई नहीं सोचता है.

Intro:( ख़बर पावर डाइरेक्टर से गई है)
कचरे से रोटी तलाशती दो बूढ़ी औरत को पता नहीं मजदूर दिवस क्या होता है । इसी कचरे को चुनकर परिवार को चलाती है कारी और सुगनी ।


Body: आज पूरा विश्व मजदूर दिवस मना रहा है । इस दिन मजदूरों की बेहतरी के लिए हमेशा नई नई बातें की जाती है । लेकिन एक तबका ऐसा भी है जिसे इस मजदूर दिवस की जानकारी तक नहीं । दो ऐसी महिलाओं से मिलाते हैं जो कचरा चुनकर अपने परिवार को चलाती हैं कहती है इस कचरे में खतरा भी रहता है लेकिन करें क्या । सारा दिन कचरा चुनने से सौ डेढ़ सौ रुपए की कमाई हो जाती है । आज तक हमें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया जिस कारण बहुत मुश्किल से परिवार चल पाता है परिवार के जितने सदस्य हैं वह भी इसी काम से जुड़े हैं । कारी और सुगनी बताती हैं कि आज तक हमें वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिला है । यही कचरा हमारी जिंदगी है ।
बाइट - कारी ।
बाइट - सुगनी ।


Conclusion:मजदूर दिवस के मौके पर सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में छुट्टी होती है लेकिन इन कचरा चुनने वालों की कोई छुट्टी नहीं । आज के दिन लोग मजदूरों के हित और उनके उत्थान की बातें करते हैं लेकिन इन जैसे मजदूरों के बारे में कोई नहीं सोचता है । जो गंदगी के कारण बीमारियों से जूझते हैं ।
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