अररिया: बिहार के समस्तीपुर में पशु तस्करों की गोली का शिकार हुए शहीद दारोगा नंद किशोर यादव का आज अंतिम संस्कार उनके पैृतक गांव में किया गया. उनके बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी. वहीं शहीद दारोगा के अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी. बता दें कि 14 अगस्त को पशु तस्करों ने समस्तीपुर के दारोगा की गोलीमार कर हत्या कर दी थी.
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अररिया में शहीद दारोगा का अंतिम संस्कार : इससे पहले आज उनका पार्थिव शरीर लेकर समस्तीपुर पुलिस अररिया पहुंची. तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर के पहुंचते ही पूरे गांव में मातम का माहौल हो गया. परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल था. शहीद नंदकिशोर यादव के पार्थिव शरीर को अंतिम बार देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी. रोते बिलखते परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधवाने के लिए गांव के लोग जमा हो गए.
दारोगा के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी लोगों की भीड़: शहीद दारोगा नंदकिशोर यादव का आज अंतिम संस्कार उसके गांव दिघली में ही राजकीय सम्मान के साथ किया जा रहा है. दारोगा की हत्या पर जहां गांव के लोग गमगीन है. वहीं अररिया सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा कि बिहार में उनसे कानून व्यवस्था संभाल नहीं रहा है. इसलिए आए दिन पुलिस वालों की हत्या की जा रही है.
"बिहार में नीतीश कुमार से कानून व्यवस्था संभाल नहीं रहा है. इसलिए आए दिन पुलिस वालों की हत्या की जा रही है. बिहार में अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है. इससे साफ नजर आता है कि बिहार में कानून व्यवस्था चौपट हो गई है. जहां पुलिस वाले सुरक्षित नहीं हैं, वहां आम लोगों का सुरक्षा करने वाला कौन होगा."- प्रदीप कुमार सिंह, सांसद, अररिया
शहीद दारोगा के घर अररिया में मातम : शहीद दारोगा के के ग्रामीणों ने कहा कि नंदकिशोर यादव एक मृदु भाषी और आम लोगों को सहयोग करने वाले व्यक्ति थे. कभी उन्होंने गांव के लोगों पर ऐसा नहीं जाताते थे कि वह दारोगा हैं. वो हमेशा लोगों की मदद के लिए खड़े रहते थे. वह हर जाति के लोग में घुल मिलकर रहते थे, इसलिए यहां सभी उनके निधन पर गमगीन है. उनके चले जाने से गांव में मातम का माहौल है.
"जिसने भी इस हत्या जैसी घटना को अंजाम दिया है, वैसे व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए. शहीद दारोगा नंदकिशोर यादव के दो बच्चे हैं. ऐसे में अब उनके सामने पहाड़ जैसी जिंदगी पड़ी है. पलासी के दिघली गांव में शहीद दारोगा के अंतिम संस्कार किया गया. उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई."- बहादुर मांझी, दारोगा के पड़ोसी, दिघली गांव