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वाकई में गजब की नदी है भाई ! पुल बनाओ इधर, बहने लगती है उधर, इसे ही कहते हैं 'बकरा' बनाना

अररिया की बकरा नदी गजब है! इंजीनियर भी इसके धार की रफ्तार को वश में नहीं कर पा रहे हैं. यू कहें कि बकरा नदी बिहार के इंजनियरों की 'औकात' से बाहर हो चुकी है. ऐसा लग रहा है कि नदी इंजीनियरों को सबक सिखा रही है. वो इधर पुल बना रहे होते हैं और नदी उधर से बहने लगती है. ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीसरी बार होने जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 17, 2023, 6:02 AM IST

रास्ता बदलने में माहिर है बकरा नदी
रास्ता बदलने में माहिर है बकरा नदी
इंजीनियरों और ग्रामीणों को 'बकरा' बना रही नदी

अररिया : बिहार में एक ऐसी नदी है जिसकी वजह से सरकार भी परेशान है और लोग भी. जब इस नदी पर पहली बार पुल बना तो स्थानीय लोगों को लगा कि पुल निर्माण के बाद उनके इलाके की सूरत बदल जाएगी. लेकिन बकरा नदी ने यहां के लोगों को ऐसा गच्चा दिया कि सरकार के बड़े से बड़ा इंजीनियर भी फेल हो गया. हुआ ये कि, अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर साल 2012 में पुल बना. जितनी नदी की चौड़ाई थी उसके मुताबिक पुल 2019 में बनकर तैयार भी हो गया. जैसे ही पुल बनकर तैयार हुआ नदी ने अपना रुख मोड़ लिया और नदी पूरब की और खिसक कर बहने लगी.

रास्ता बदलने में माहिर है बकरा नदी : सरकार भी हार मानने वाली नहीं थी. उसने दूसरी बार 11 करोड़ खर्च करके 200 मीटर तक पुल का निर्माण किया. फिर स्थानीय लोगों के मुरझाए चेहरे खिल उठे. कुछ दिन की समस्या मानकर, लोगों में पुल बनते ही सारे दुख दूर होने की उम्मीद जग गई. लेकिन सभी के अरमानों को रौंदकर बकरा नदी ने फिर रास्ता बदल दिया. नदी इस बार इस पुल के पश्चिम में बहने लगी. पुल के दोनों ओर बहती नदी के बीच ग्रामीण चचरी पुल बनाकर आर-पार होते हैं.

बकरा नदी ने बेकार किया बना बनाया पुल
बकरा नदी ने बेकार किया बना बनाया पुल

इंजीनियर्स को चकमा दे रही नदी : पुल के दोनों हिस्से अब सूखे में खड़े हैं. हर कोई बिहार के इंजीनियर की इंजीनियरिंग की दाद दे रहा है. इधर बकरा नदी है कि इंजीनियरों की 'औकात' से बाहर हो चुकी है. गांव वाले बता रहे हैं कि बकरा नदी एक बार फिर अपना रास्ता बदल रही है. बार-बार मार्ग बदले जाने की वजह से 31 करोड़ की लागत से तैयार खड़ा पुल अब किसी काम का नहीं रहा. लोगों के अरमान फिर एक बार नदी की धारा में गुम हो गए हैं. अगर ये पुल निर्माण पूरा हो जाता तो इस रास्ते के कुर्साकांटा और सिकटी प्रखंड से लेकर नेपाल सीमा तक के लाखों लोगों को इसका फायदा मिलता.

नदी का मार्ग बदलने से कई घरों की जल समाधि : स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि बकरा नदी के धारा बदलने से सिर्फ पुल का ही नहीं बल्कि कई घरों को भी नुकसान पहुंचा है. इसकी धारा में कई घर विलीन हो गए. एक पूरी की पूरी बस्ती ही बकरा नदी के बदले रास्ते में आ गई. लोगों को काफी दिक्कते उठानी पड़ रही है. सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है.

नदी पर बना पुल धारा बदलने से हो गया किनारे
नदी पर बना पुल धारा बदलने से हो गया किनारे

"बकरा नदी की धारा बदलने से गांव के गांव बह गए. कई घर पानी में विलीन हो गए. पूरा का पूरा बस्ती ही जल में बह गई. हमारी कोई सुध लेने वाला नहीं है. पुल बना तो जरूर लेकिन नदी के दोनों किनारों पर बोल्डर नहीं लगने की वजह से नदी ने रास्ता बदल लिया."- स्थानीय ग्रामीण, बरदाहा, अररिया

पुल बनने के बावजूद चचरी पुल पार होती जिंदगी : एक ही नदी पर दो-दो पुल बनने के बावजूद लोगों को चचरी पुल के सहारे ही पार होना पड़ रहा है. सिकटी विधायक विजय कुमार ने बताया कि नदी को बनाए गए पुल के नीचे से निकालने का प्लान है. लेकिन बकरा नदी की धारा को पुल के नीचे लाना टेढ़ी खीर साबित होगी. देखना है कि सरकार आखिर कब तक बकरा नदी को बांधकर उसके ऊपर से आवागमन को सुचारू रूप से कर पाती है.

''सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर दो-दो बार पुल बना लेकिन दोनों बार नदी की धारा बदलने से अब दोनों पुल सूखे में खड़े हैं. नदी की धारा इन दोनों पुलों के बीच से निकल रही है. इंजीनियर की प्लानिंग ये है कि बकरा नदी की वर्तमान धारा को मिट्टी से पाटकर नदी को पुल के नीचे से निकाला जाए. इस पुल के बनने से कई प्रखंड के लोगों को और नेपाल से आना जाना आसान हो जाएगा''- विजय कुमार मंडल, विधायक सिकटी

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इंजीनियरों और ग्रामीणों को 'बकरा' बना रही नदी

अररिया : बिहार में एक ऐसी नदी है जिसकी वजह से सरकार भी परेशान है और लोग भी. जब इस नदी पर पहली बार पुल बना तो स्थानीय लोगों को लगा कि पुल निर्माण के बाद उनके इलाके की सूरत बदल जाएगी. लेकिन बकरा नदी ने यहां के लोगों को ऐसा गच्चा दिया कि सरकार के बड़े से बड़ा इंजीनियर भी फेल हो गया. हुआ ये कि, अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर साल 2012 में पुल बना. जितनी नदी की चौड़ाई थी उसके मुताबिक पुल 2019 में बनकर तैयार भी हो गया. जैसे ही पुल बनकर तैयार हुआ नदी ने अपना रुख मोड़ लिया और नदी पूरब की और खिसक कर बहने लगी.

रास्ता बदलने में माहिर है बकरा नदी : सरकार भी हार मानने वाली नहीं थी. उसने दूसरी बार 11 करोड़ खर्च करके 200 मीटर तक पुल का निर्माण किया. फिर स्थानीय लोगों के मुरझाए चेहरे खिल उठे. कुछ दिन की समस्या मानकर, लोगों में पुल बनते ही सारे दुख दूर होने की उम्मीद जग गई. लेकिन सभी के अरमानों को रौंदकर बकरा नदी ने फिर रास्ता बदल दिया. नदी इस बार इस पुल के पश्चिम में बहने लगी. पुल के दोनों ओर बहती नदी के बीच ग्रामीण चचरी पुल बनाकर आर-पार होते हैं.

बकरा नदी ने बेकार किया बना बनाया पुल
बकरा नदी ने बेकार किया बना बनाया पुल

इंजीनियर्स को चकमा दे रही नदी : पुल के दोनों हिस्से अब सूखे में खड़े हैं. हर कोई बिहार के इंजीनियर की इंजीनियरिंग की दाद दे रहा है. इधर बकरा नदी है कि इंजीनियरों की 'औकात' से बाहर हो चुकी है. गांव वाले बता रहे हैं कि बकरा नदी एक बार फिर अपना रास्ता बदल रही है. बार-बार मार्ग बदले जाने की वजह से 31 करोड़ की लागत से तैयार खड़ा पुल अब किसी काम का नहीं रहा. लोगों के अरमान फिर एक बार नदी की धारा में गुम हो गए हैं. अगर ये पुल निर्माण पूरा हो जाता तो इस रास्ते के कुर्साकांटा और सिकटी प्रखंड से लेकर नेपाल सीमा तक के लाखों लोगों को इसका फायदा मिलता.

नदी का मार्ग बदलने से कई घरों की जल समाधि : स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि बकरा नदी के धारा बदलने से सिर्फ पुल का ही नहीं बल्कि कई घरों को भी नुकसान पहुंचा है. इसकी धारा में कई घर विलीन हो गए. एक पूरी की पूरी बस्ती ही बकरा नदी के बदले रास्ते में आ गई. लोगों को काफी दिक्कते उठानी पड़ रही है. सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है.

नदी पर बना पुल धारा बदलने से हो गया किनारे
नदी पर बना पुल धारा बदलने से हो गया किनारे

"बकरा नदी की धारा बदलने से गांव के गांव बह गए. कई घर पानी में विलीन हो गए. पूरा का पूरा बस्ती ही जल में बह गई. हमारी कोई सुध लेने वाला नहीं है. पुल बना तो जरूर लेकिन नदी के दोनों किनारों पर बोल्डर नहीं लगने की वजह से नदी ने रास्ता बदल लिया."- स्थानीय ग्रामीण, बरदाहा, अररिया

पुल बनने के बावजूद चचरी पुल पार होती जिंदगी : एक ही नदी पर दो-दो पुल बनने के बावजूद लोगों को चचरी पुल के सहारे ही पार होना पड़ रहा है. सिकटी विधायक विजय कुमार ने बताया कि नदी को बनाए गए पुल के नीचे से निकालने का प्लान है. लेकिन बकरा नदी की धारा को पुल के नीचे लाना टेढ़ी खीर साबित होगी. देखना है कि सरकार आखिर कब तक बकरा नदी को बांधकर उसके ऊपर से आवागमन को सुचारू रूप से कर पाती है.

''सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर दो-दो बार पुल बना लेकिन दोनों बार नदी की धारा बदलने से अब दोनों पुल सूखे में खड़े हैं. नदी की धारा इन दोनों पुलों के बीच से निकल रही है. इंजीनियर की प्लानिंग ये है कि बकरा नदी की वर्तमान धारा को मिट्टी से पाटकर नदी को पुल के नीचे से निकाला जाए. इस पुल के बनने से कई प्रखंड के लोगों को और नेपाल से आना जाना आसान हो जाएगा''- विजय कुमार मंडल, विधायक सिकटी

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