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Araria News: 1984 में बना भरगामा महाविद्यालय देखरेख के अभाव में बना खंडहर, दबंगों ने जमीन पर किया कब्जा - etv bharat news

1984 में बना भरगामा महाविद्यालय गुमनामी की गर्त में समा गया है. खंडहर बन चुके कॉलेज की जमीन पर खेती हो रही है और इलाके छात्र-छत्राएं उच्च शिक्षा के लिए कोसों दूर जा रहे हैं. हालांकि की यहां के लोग अब जागे हैं और दोबारा इसे पुनर्जीवित करने की मांग कर रहे हैं.

1984 में बना भरगामा महाविद्यालय बना खंडहर
1984 में बना भरगामा महाविद्यालय बना खंडहर
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Published : Apr 11, 2023, 10:36 AM IST

भरगामा महाविद्यालय देखरेख की अभाव में बना खंडहर

अररियाः बिहार के अररिया जिले के भरगामा प्रखंड स्थित महाविद्यालय अब खंडहर में तब्दील हो गया है. साथ ही महाविद्यालय की जमीन पर भूदाता के परिजनों ने कब्जा कर रखा है. इस महाविद्यालय को पुनर्जीवित करने के को लेकर भूदाता के पोते रेशम अभिषेक उर्फ बमबम यादव ने फारबिसगंज अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन देकर इसे कब्जे से मुक्त कराने अनुरोध किया है. ताकि इस कॉलेज को फिर से बनवाकर इसमें पढ़ाई शुरू करने की दिशा में आगे काम हो सके, क्योंकि यहां के छात्र-छात्राओं को इंटर से उपर की पढ़ाई करने के लिए काफी दूर या दूसरे जिले में जाना पड़ता है.

ये भी पढ़ेंः अररिया: गुमनामी के गर्त में डूबा प्रखंड का एकलौता संस्कृत महाविद्यालय

1984 में बना था महाविद्यालय: दरअसल भरगामा प्रखंड के सिरसिया हनुमानगंज स्थित शेखपुरा जगता जाने वाले सड़क के किनारे वर्ष 1984 में महाविद्यालय बनाया गया था. इस इलाके की बदहाल शिक्षा और गरीबी को देखकर इस कॉलेज में लगभग 7 एकड़ जमीन को स्वर्गीय मौजीलाल सिंह यादव ने दान किया था, जिसकी रजिस्ट्री बिहार के राज्यपाल के नाम की गई थी. उस जमीन पर कॉलेज का निर्माण भी हुआ और कई वर्षों तक पढ़ाई भी हुई. कॉलेज की देखरेख की जिम्मेदारी मौजीलाल सिंह यादव के पुत्र प्रो. कमलेश्वरी प्रसाद सिंह के जिम्मे थी. कॉलेज अच्छी तरह से चल रहा था, लेकिन दुर्भाग्यवश 2007 में कमलेश्वरी प्रसाद सिंह का देहांत हो गया और उस महाविद्यालय की देखरेख करने वाला कोई नहीं रहा.

बिहार सरकार की है महाविद्यालय की जमीन: वहीं, भूदाता के दूसरे पुत्रों ने महाविद्यालय के खाली पड़ी जमीन पर धीरे-धीरे कब्ज़ा कर खेती करनी शुरू कर दी, साथ ही महाविद्यालय के भवन को भी तोड़फोड़ कर दिया गया. इस मामले में आवेदन के आधार पर फारबिसगंज एसडीओ ने भरगामा सीओ को जांच के आदेश दिए. तब सीओ ने स्थल पर जाकर वस्तु स्थित का जायजा लेने के लिए राजस्व कर्मचारी रौनक कुमार को भेजा. स्थल जांच में सभी आरोप सही साबित हुए और कर्मचारी रौनक कुमार ने बताया कि इस महाविद्यालय की जमीन बिहार सरकार की है. अगर इसका कोई भी व्यक्ति उपयोग करता है वो गैरकानूनी होगा.

"ये सरकार की जमीन है, इस पर कब्जा करना ठीक नहीं है, सीओ ने मुझे भेजा है इसकी जांच के लिए इसको खाली कराया जाएगा. खेती करने वालों पर रोक लगाई जाएगी"- रौनक कुमार, राजस्व कर्मचारी

कॉलेज की जमीन पर की जा रही खेतीः खाली पड़ी जमीन पर कब्ज़ा करने वालों ने मक्के की फसल लगा रखी है. जिस पर राजस्व कर्मचारी ने रोक लगा दी है. वहीं आवेदक रेशम अभिषेक ने बताया कि पिता के मृत्यु के समय मैं छोटा था इसलिए मुझे जानकारी नहीं थी, लेकिन अब हमारे साथ यहां के ग्रामीण भी चाहते हैं कि ये महाविद्यालय पुनर्जीवित हो. इसकी खास वजह है कि भरगामा प्रखंड में एक भी महाविद्यालय नहीं है. यहां के बच्चों को पढ़ाई करने मधेपुरा, पूर्णियां, फारबिसगंज जाना पड़ता है. इसलिए जल्द से जल्द इस महाविद्यालय की जमीन को मुक्त कराकर दोबारा बनवाया जाए.

"हम सभी लोग चाहते हैं कि ये महाविद्यालय पुनर्जीवित हो, ताकि इस कॉलेज के खुलने से इस क्षेत्र के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूर जाना न पड़े. सरकार भी चाहती है कि गांव गांव में उच्च शिक्षा की व्यवस्था हो, इसलिए जमीन को मुक्त कराकर दोबारा बनवाया जाए"- रेशम अभिषेक उर्फ बमबम यादव, आवेदनकर्ता

भरगामा महाविद्यालय देखरेख की अभाव में बना खंडहर

अररियाः बिहार के अररिया जिले के भरगामा प्रखंड स्थित महाविद्यालय अब खंडहर में तब्दील हो गया है. साथ ही महाविद्यालय की जमीन पर भूदाता के परिजनों ने कब्जा कर रखा है. इस महाविद्यालय को पुनर्जीवित करने के को लेकर भूदाता के पोते रेशम अभिषेक उर्फ बमबम यादव ने फारबिसगंज अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन देकर इसे कब्जे से मुक्त कराने अनुरोध किया है. ताकि इस कॉलेज को फिर से बनवाकर इसमें पढ़ाई शुरू करने की दिशा में आगे काम हो सके, क्योंकि यहां के छात्र-छात्राओं को इंटर से उपर की पढ़ाई करने के लिए काफी दूर या दूसरे जिले में जाना पड़ता है.

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1984 में बना था महाविद्यालय: दरअसल भरगामा प्रखंड के सिरसिया हनुमानगंज स्थित शेखपुरा जगता जाने वाले सड़क के किनारे वर्ष 1984 में महाविद्यालय बनाया गया था. इस इलाके की बदहाल शिक्षा और गरीबी को देखकर इस कॉलेज में लगभग 7 एकड़ जमीन को स्वर्गीय मौजीलाल सिंह यादव ने दान किया था, जिसकी रजिस्ट्री बिहार के राज्यपाल के नाम की गई थी. उस जमीन पर कॉलेज का निर्माण भी हुआ और कई वर्षों तक पढ़ाई भी हुई. कॉलेज की देखरेख की जिम्मेदारी मौजीलाल सिंह यादव के पुत्र प्रो. कमलेश्वरी प्रसाद सिंह के जिम्मे थी. कॉलेज अच्छी तरह से चल रहा था, लेकिन दुर्भाग्यवश 2007 में कमलेश्वरी प्रसाद सिंह का देहांत हो गया और उस महाविद्यालय की देखरेख करने वाला कोई नहीं रहा.

बिहार सरकार की है महाविद्यालय की जमीन: वहीं, भूदाता के दूसरे पुत्रों ने महाविद्यालय के खाली पड़ी जमीन पर धीरे-धीरे कब्ज़ा कर खेती करनी शुरू कर दी, साथ ही महाविद्यालय के भवन को भी तोड़फोड़ कर दिया गया. इस मामले में आवेदन के आधार पर फारबिसगंज एसडीओ ने भरगामा सीओ को जांच के आदेश दिए. तब सीओ ने स्थल पर जाकर वस्तु स्थित का जायजा लेने के लिए राजस्व कर्मचारी रौनक कुमार को भेजा. स्थल जांच में सभी आरोप सही साबित हुए और कर्मचारी रौनक कुमार ने बताया कि इस महाविद्यालय की जमीन बिहार सरकार की है. अगर इसका कोई भी व्यक्ति उपयोग करता है वो गैरकानूनी होगा.

"ये सरकार की जमीन है, इस पर कब्जा करना ठीक नहीं है, सीओ ने मुझे भेजा है इसकी जांच के लिए इसको खाली कराया जाएगा. खेती करने वालों पर रोक लगाई जाएगी"- रौनक कुमार, राजस्व कर्मचारी

कॉलेज की जमीन पर की जा रही खेतीः खाली पड़ी जमीन पर कब्ज़ा करने वालों ने मक्के की फसल लगा रखी है. जिस पर राजस्व कर्मचारी ने रोक लगा दी है. वहीं आवेदक रेशम अभिषेक ने बताया कि पिता के मृत्यु के समय मैं छोटा था इसलिए मुझे जानकारी नहीं थी, लेकिन अब हमारे साथ यहां के ग्रामीण भी चाहते हैं कि ये महाविद्यालय पुनर्जीवित हो. इसकी खास वजह है कि भरगामा प्रखंड में एक भी महाविद्यालय नहीं है. यहां के बच्चों को पढ़ाई करने मधेपुरा, पूर्णियां, फारबिसगंज जाना पड़ता है. इसलिए जल्द से जल्द इस महाविद्यालय की जमीन को मुक्त कराकर दोबारा बनवाया जाए.

"हम सभी लोग चाहते हैं कि ये महाविद्यालय पुनर्जीवित हो, ताकि इस कॉलेज के खुलने से इस क्षेत्र के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूर जाना न पड़े. सरकार भी चाहती है कि गांव गांव में उच्च शिक्षा की व्यवस्था हो, इसलिए जमीन को मुक्त कराकर दोबारा बनवाया जाए"- रेशम अभिषेक उर्फ बमबम यादव, आवेदनकर्ता

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