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सुशासन राज में विकास का ये कैसा नमूना! टैक्स चुकाकर भी बदतर जिन्दगी जी रहे हैं लोग

अररिया नगर परिषद के वार्ड नंबर 29 का एक इलाका आज भी विकास से कोसों दूर है. यहां जाने के लिए लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता. टैक्स चुकाने के बावजूद भी लोगों के आवागमन के लिए पुल का निर्माण तक नहीं कराया जा सका है.

नाव के सहारे अररिया नगर परिषद के लोग
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Published : Jul 8, 2019, 4:16 AM IST

Updated : Jul 8, 2019, 11:15 AM IST

अररिया: केन्द्र और राज्य सरकार विकास का पुलिंदा बांधने से पीछे नहीं हटती है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे कही उलट दिखती है. अररिया का एक इलाका आज भी विकास की बाट जोह रहा है. शहरी क्षेत्र में होने के बावजूद भी इस इलाके के लोग नाव के सहारे आवागमन के लिए मजबूर हैं.

नाव से आवागमन के लिए मजबूर अररिया नगर परिषद के लोग

नगर परिषद को भरते हैं टैक्स, फिर भी पुल से हैं वंचित
यूं तो शहर में सड़क, नाले, बिजली की पुरी व्यवस्था है. सबकुछ चकाचक नजर आता है. लेकिन अररिया का वार्ड नंबर 29 का एक इलाका आज भी विकास नामक चिड़िया से वाकिफ नहीं है. दरअसल इस वार्ड के मरनाटोल तक जाने के लिए आज तक कोई सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. लोग परमान नदी पार कर आते-जाते हैं. नदी में कम पानी रहने पर चचरी पुल का सहारा लेना पड़ता है, वही बरसात में नाव का.

araria
स्थानीय निवासी

शहरी क्षेत्र का टैक्स जमा करते हैं लोग
कहने के तो यहां के लोग शहरी क्षेत्र में आते हैं, इसके बावजूद बदतर जिन्दगी जीने को मजबूर हैं. लोग बताते हैं कि शहरी क्षेत्र का टैक्स भी अदा करते हैं. लेकिन हमारे समस्याओं का समाधान करने वाला कोई नहीं है. पुल की मांग वर्षों से है. इस दंश को आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से झेलते आ रहे हैं. आलम यह है कि रात में बिमार पड़ने पर सुबह का इंतजार करना पड़ता है.

नदी पार जाने के लिए चुकाना पड़ता है पैसा
नदी पार करने के लिए नाव वाले को पैसा भी चुकाना पड़ता है. चाहे बच्चों को स्कूल जाना हो, रोजमर्रा का सामान लाने बाजार जाना हो, किसी बिमार को अस्पताल पहुंचाना हो, मजदूरी करने जाना हो, एक मात्र सहारा नाव ही है. अपनी मुसीबत के बारे में बताते हुए यहां के ग्रामीण कहते हैं, शायद हम लोग की जिंदगी इस तरह ही कट जाएगी.

अररिया: केन्द्र और राज्य सरकार विकास का पुलिंदा बांधने से पीछे नहीं हटती है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे कही उलट दिखती है. अररिया का एक इलाका आज भी विकास की बाट जोह रहा है. शहरी क्षेत्र में होने के बावजूद भी इस इलाके के लोग नाव के सहारे आवागमन के लिए मजबूर हैं.

नाव से आवागमन के लिए मजबूर अररिया नगर परिषद के लोग

नगर परिषद को भरते हैं टैक्स, फिर भी पुल से हैं वंचित
यूं तो शहर में सड़क, नाले, बिजली की पुरी व्यवस्था है. सबकुछ चकाचक नजर आता है. लेकिन अररिया का वार्ड नंबर 29 का एक इलाका आज भी विकास नामक चिड़िया से वाकिफ नहीं है. दरअसल इस वार्ड के मरनाटोल तक जाने के लिए आज तक कोई सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. लोग परमान नदी पार कर आते-जाते हैं. नदी में कम पानी रहने पर चचरी पुल का सहारा लेना पड़ता है, वही बरसात में नाव का.

araria
स्थानीय निवासी

शहरी क्षेत्र का टैक्स जमा करते हैं लोग
कहने के तो यहां के लोग शहरी क्षेत्र में आते हैं, इसके बावजूद बदतर जिन्दगी जीने को मजबूर हैं. लोग बताते हैं कि शहरी क्षेत्र का टैक्स भी अदा करते हैं. लेकिन हमारे समस्याओं का समाधान करने वाला कोई नहीं है. पुल की मांग वर्षों से है. इस दंश को आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से झेलते आ रहे हैं. आलम यह है कि रात में बिमार पड़ने पर सुबह का इंतजार करना पड़ता है.

नदी पार जाने के लिए चुकाना पड़ता है पैसा
नदी पार करने के लिए नाव वाले को पैसा भी चुकाना पड़ता है. चाहे बच्चों को स्कूल जाना हो, रोजमर्रा का सामान लाने बाजार जाना हो, किसी बिमार को अस्पताल पहुंचाना हो, मजदूरी करने जाना हो, एक मात्र सहारा नाव ही है. अपनी मुसीबत के बारे में बताते हुए यहां के ग्रामीण कहते हैं, शायद हम लोग की जिंदगी इस तरह ही कट जाएगी.

Intro: एक तरफ पूरे देश में सिर्फ विकास की ही बातें होरही है । ऐसे में अररिया का एक इलाका विकास की बाट जोह रहा है । शहरी क्षेत्र होने के बावजूद भी इस इलाके में नाव ही एक आवागमन का सहारा है यहां के लोगों का ।


Body: यूं तो अररिया शहर में विकास के कई काम हुए हैं सड़के बनी है नाले बने हैं बिजली के खंभे लगाए गए हैं जिनमें रोशनी तो नजर आती है । लेकिन वही अररिया का वार्ड नंबर 29 का एक इलाका आज भी इस विकास की कमी का दंश झेल रहा है । दरअसल वार्ड नंबर 29 के मरनाटोल तक जाने के लिए कोई सड़क की व्यवस्था नहीं है लोगों को परमान नदी पार कर जाना पड़ता है । पानी जब नदी में कम होती है तो लोग चचरी का पुल बनाते हैं जब पानी बढ़ जाता है तो नाव ही इनका एक सहारा होता है । चाहे बीमार पड़ा हो या स्कूल जाना हो या अपने रोजमर्रा की जिंदगी का सामान लाना हो या फिर मजदूरी करने शहर आना हो सभी का आनाजाना नाव से ही होता है । और इस नाव में पार करने पर उन्हें वहां पैसा भी चुकता करना पड़ता है । वर्षों से यहां के लोगों की मांग रही है किस इस नदी पर एक पुल बना दिया जाए ताकि आवागमन में सहूलियत हो सके लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है । यहां के लोग बताते हैं शहरी क्षेत्र का टैक्स अदा करने के बावजूद भी हमें गांव से भी बदतर जिंदगी जीने पड़ती है । अगर कोई बीमार पड़ जाए तो सुबह होने का इंतजार करना पड़ता है तब नाव से अस्पताल ला पाते हैं नहीं तो उनकी मृत्यु भी हो जाती है । यह मुसीबत इन लोगों को कोई एक-दो दिन से नहीं बल्कि बरसों से झेलनी पड़ रही है । अपनी मुसीबत बताते हुए यहां के ग्रामीण में बताया कि हम लोग की जिंदगी इस तरह ही कट जाएगी।
बाइट - मो. इज़हार, स्थानीय मरनाटोल, नगर परिषद अररिया ।


Conclusion:सरकार के साथ जिला प्रशासन को चाहिए कि इन लोगों की आवाजाही का कोई उचित व्यवस्था करें या फिर पूल नहीं बनता है तब तक इस जगह सरकारी नाव की व्यवस्था ही कर दे ताकि उन्हें कम से कम आने जाने में पैसे तो खर्च नहीं करने पड़ेगें।
Last Updated : Jul 8, 2019, 11:15 AM IST
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