अररिया: केन्द्र और राज्य सरकार विकास का पुलिंदा बांधने से पीछे नहीं हटती है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे कही उलट दिखती है. अररिया का एक इलाका आज भी विकास की बाट जोह रहा है. शहरी क्षेत्र में होने के बावजूद भी इस इलाके के लोग नाव के सहारे आवागमन के लिए मजबूर हैं.
नगर परिषद को भरते हैं टैक्स, फिर भी पुल से हैं वंचित
यूं तो शहर में सड़क, नाले, बिजली की पुरी व्यवस्था है. सबकुछ चकाचक नजर आता है. लेकिन अररिया का वार्ड नंबर 29 का एक इलाका आज भी विकास नामक चिड़िया से वाकिफ नहीं है. दरअसल इस वार्ड के मरनाटोल तक जाने के लिए आज तक कोई सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. लोग परमान नदी पार कर आते-जाते हैं. नदी में कम पानी रहने पर चचरी पुल का सहारा लेना पड़ता है, वही बरसात में नाव का.
शहरी क्षेत्र का टैक्स जमा करते हैं लोग
कहने के तो यहां के लोग शहरी क्षेत्र में आते हैं, इसके बावजूद बदतर जिन्दगी जीने को मजबूर हैं. लोग बताते हैं कि शहरी क्षेत्र का टैक्स भी अदा करते हैं. लेकिन हमारे समस्याओं का समाधान करने वाला कोई नहीं है. पुल की मांग वर्षों से है. इस दंश को आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से झेलते आ रहे हैं. आलम यह है कि रात में बिमार पड़ने पर सुबह का इंतजार करना पड़ता है.
नदी पार जाने के लिए चुकाना पड़ता है पैसा
नदी पार करने के लिए नाव वाले को पैसा भी चुकाना पड़ता है. चाहे बच्चों को स्कूल जाना हो, रोजमर्रा का सामान लाने बाजार जाना हो, किसी बिमार को अस्पताल पहुंचाना हो, मजदूरी करने जाना हो, एक मात्र सहारा नाव ही है. अपनी मुसीबत के बारे में बताते हुए यहां के ग्रामीण कहते हैं, शायद हम लोग की जिंदगी इस तरह ही कट जाएगी.