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ग्राउंड रिपोर्ट: बाढ़ पीड़ितों ने कहा 2016 में भी बहा था घर, अब तक नहीं मिली कोई मदद

अररिया के फारबिसगंज के गूर्मी गांव में बाढ़ का पानी एक तरफ घटना शुरू हुआ तो दूसरी तरफ आधा दर्जन कच्चे और पक्के मकान परमान नदी में समाने लगे. ऐसे में लोग दहशत में है और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

डराने लगी नदियां
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Published : Aug 1, 2019, 3:27 PM IST

अररिया: जिले में आई बाढ़ के बाद पानी घटना शुरू हुआ तो वहीं कटान की समस्याओं में बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई है. इस वक्त फारबिसगंज अनुमंडल के आरटी मोहन पंचायत के गूर्मी गांव में बाढ़ की चपेट में आने से आधा दर्जन कच्चे और पक्के मकान परमान नदी में समा गए हैं. इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है. लोगों को किसी भी तरह से कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिल रही है.


न कोई जनप्रतिनिधि, न कोई अफसर देख रहा
परमान से जो तबाही मची हुई है, उससे कई कच्चे और पक्के मकान जद में आ गए है. कटान से ग्रामीण दहशत में हैं. ऐसे में बांस और करची से कटान रोकने का असफ़ल प्रयास जारी है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अब तक कोई जनप्रतिनिधि या अफसर इस बदहाल स्थिति को देखने नहीं पहुंचा है.

अररिया से बाढ़ पर विशेष रिपोर्ट.


2016 से अब तक डूबे कई मकान
2016 से अब तक कई पक्के और कच्चे मकान परमान नदी में डूब चुके हैं, पर अब तक प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिल पाई है ना ही इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. अगर यही हाल रहा तो हर साल तबाही इसी तरह से होती रहेगी और कागजों पर बस सहायता की खानापूर्ति कर दी जाएगी.

अररिया: जिले में आई बाढ़ के बाद पानी घटना शुरू हुआ तो वहीं कटान की समस्याओं में बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई है. इस वक्त फारबिसगंज अनुमंडल के आरटी मोहन पंचायत के गूर्मी गांव में बाढ़ की चपेट में आने से आधा दर्जन कच्चे और पक्के मकान परमान नदी में समा गए हैं. इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है. लोगों को किसी भी तरह से कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिल रही है.


न कोई जनप्रतिनिधि, न कोई अफसर देख रहा
परमान से जो तबाही मची हुई है, उससे कई कच्चे और पक्के मकान जद में आ गए है. कटान से ग्रामीण दहशत में हैं. ऐसे में बांस और करची से कटान रोकने का असफ़ल प्रयास जारी है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अब तक कोई जनप्रतिनिधि या अफसर इस बदहाल स्थिति को देखने नहीं पहुंचा है.

अररिया से बाढ़ पर विशेष रिपोर्ट.


2016 से अब तक डूबे कई मकान
2016 से अब तक कई पक्के और कच्चे मकान परमान नदी में डूब चुके हैं, पर अब तक प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिल पाई है ना ही इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. अगर यही हाल रहा तो हर साल तबाही इसी तरह से होती रहेगी और कागजों पर बस सहायता की खानापूर्ति कर दी जाएगी.

Intro:परमान से फ़िर तबाही, कई कच्चे और पक्के मकान आए ज़द में, कटान से दहशत में ग्रामीण, बांस और करची से कटान रोकने का असफ़ल प्रयास जारी। अब तक कोई जनप्रतिनिधि या अफसर देखने नहीं पहुंचा है। 2016 से अब तक कई पक्के और कच्चे मकान परमान में डूब चुके हैं, पर अब तक कोई सहायता नहीं मिल पाया है ना ही इसे रोकने के लिए कोई ठोस क़दम उठाया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो हर साल तबाही इसी तरह से होता रहेगा और काग़ज़ों पर सहायता का खानापूर्ति कर दिया जाएगा।


Body:अररिया में आए बाढ़ के बाद पानी घटना शुरू हुआ तो वहीं कटान की समस्याओं में बढ़ोतरी होना शुरू हो गया है। इस वक़्त फारबिसगंज अनुमंडल के आरटी मोहन पंचायत के गूर्मी गांव में हैं जहां बाढ़ के चपेट में आने से आधा दर्जन कच्चे और पक्के मकान परमान में समा गए हैं। इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। लोगों को किसी भी तरह से कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिल रहा है। 2016 से अब तक कई पक्के और कच्चे मकान परमान नदी में डूब चुके हैं, पर अब तक कोई सहायता नहीं मिल पाया है ना ही इसे रोकने के लिए कोई ठोस क़दम उठाया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो हर साल तबाही इसी तरह से होता रहेगा और काग़ज़ों पर सहायता का खानापूर्ति कर दिया जाएगा।


Conclusion:संबंधित विसुअल वॉइस ओवर के साथ
बाइट ग्रामीण
वॉक थ्रू
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