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Nobel in Literature : तंजानियाई लेखक अब्दुलरजाक गुरनाह को मिला सम्मान

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Published : Oct 7, 2021, 4:35 PM IST

Updated : Oct 7, 2021, 7:52 PM IST

नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) समिति ने साहित्य का नोबेल अब्दुलरजाक गुरनाह (Nobel in Literature Abdulrazak Gurnah) को देने का फैसला लिया है. जांजीबार मूल के उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुरनाह को 1994 में प्रकाशित उनके नोबेल पैराडाइज के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है. इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (11.4 लाख डॉलर से अधिक राशि) दिए जाते हैं. दिलचस्प है कि जब गुरनाह को नोबेल जीतने की सूचना दी गई तो वे दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड स्थित अपने घर की रसोई में काम कर रहे थे. पिछली बार इस पुरस्कार से कवयित्री लुइस ग्लुक को सम्मानित किया गया था.

नोबेल पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार

स्टॉकहोम : साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार अब्दुलरजाक गुरनाह (Abdulrazak Gurnah) को दिया गया है. अब्दुलरजाक गुरनाह का जन्म 1948 में हुआ था और वे जांजीबार द्वीप पर पले-बढ़े, लेकिन 1960 के दशक के अंत में एक शरणार्थी के रूप में इंग्लैंड पहुंचे. अपनी हाल की सेवानिवृत्ति तक वे केंट विश्वविद्यालय (University of Kent), कैंटरबरी में अंग्रेजी और उत्तर औपनिवेशिक साहित्य के प्रोफेसर रहे. पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया के मूल निवासी गुरनाह (Tanzanian Abdulrazak Gurnah ) फिलहाल यूनाइटेड किंगडम (UK) में रह रहे हैं.

अब्दुलरजाक गुरनाह अब तक 10 उपन्यास और कई लघु कथाएं लिख चुके हैं. शरणार्थी के सामने आने वाले व्यवधान (refugee's disruption) का विषय उनके पूरे साहित्यिक काम में झलकता है. 21 वर्ष की आयु में उन्होंने अंग्रेजी निर्वासन के रूप में लिखना शुरू किया. हालांकि, उनकी पहली भाषा स्वाहिली थी, लेकिन अंग्रेजी भाषा उनका साहित्यिक उपकरण (literary tool) बन गया.

2021 में साहित्य का नोबेल जीतने वाले अब्दुलरजाक गुरनाह (Nobel in Literature Abdulrazak Gurnah) का चौथा उपन्यास 'पैराडाइज' (1994) एक लेखक के रूप में उनकी उल्लेखनीय कृति है. यह 1990 के आसपास पूर्वी अफ्रीका की एक शोध यात्रा से विकसित हुई. यह उम्र का लेखा-जोखा और एक दुखद प्रेम कहानी है जिसमें विभिन्न दुनिया और विश्वास प्रणाली के टकराव की झलक मिलती है.

अब्दुलरजाक गुरनाह को मिला सम्मान
अब्दुलरजाक गुरनाह को मिला सम्मान

गुरनाह की प्रतिक्रिया
साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुरनाह को 'खाड़ी देश में संस्कृतियों और महाद्वीपों के बीच शरणार्थी के भाग्य के संदर्भ में उपनिवेशवाद के प्रभावों पर बिना समझौता किए और करुणामय प्रवेश के लिए' (for his uncompromising and compassionate penetration of the effects of colonialism and the fate of the refugee in the gulf between cultures and continents) सम्मानित किया गया है. नोबेल मिलने पर गुरनाह (Gurnah on Nobel Prize) ने कहा कि वे काफी उत्साहित हैं, उन्होंने खुद यह समाचार सुना.

बता दें कि अतीत में इस पुरस्कार से कवियों, उपन्यासकारों और यहां तक कि अमेरिकी गायक व गीतकार बॉब डिलन को सम्मानित किया गया है. स्वीडिश एकेडमी की तरफ से दिए जाने वाले इस बार के साहित्य के लिए पुरस्कार की दौड़ में ब्रिटिश पुस्तक प्रकाशकों के अनुसार मुख्य रूप से केन्या के नगुगी वा थियोंगओ, फ्रांसीसी लेखिका एनी एरनॉक्स, जापानी लेखक हरूकी मुराकामी, कनाडा की मार्गरेट एटवुड और एंटीगुआई-अमेरिकी लेखिका जमैका किनकैड भी शामिल थे.

बता दें कि साहित्य के क्षेत्र में नोबेल जीतने वाले सबसे वरिष्ठ व्यक्ति का नाम डोरिस लेस्सिंग है. 88 साल की उम्र में लेस्सिंग को साल 2007 में साहित्य के नोबेल से सम्मानित किया गया था.

सबसे कम और सबसे अधिक उम्र के नोबेल विजेताओं की सूची
सबसे कम और सबसे अधिक उम्र के नोबेल विजेताओं की सूची

दुनिया के इस शीर्ष सम्मान से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि साहित्य के क्षेत्र में नोबेल साल 1913 में भारत को मिला था. गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर को साहित्य के नोबेल से सम्मानित किया गया था.

भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के अन्य नोबेल विजेता-

  1. 1930 में भौतिक विज्ञान का नोबेल- सीवी रमन
  2. 1968 में मेडिसिन का नोबेल- हर गोविंद खुराना (भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक)
  3. 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार- मदर टेरेसा (अल्बानिया मूल की भारतीय नागरिक)
  4. 1983 में भौतिक विज्ञान का नोबेल- सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर (भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक)
  5. 1998 में अर्थशास्त्र का नोबेल- अमर्त्य सेन
  6. 2009 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार- वेंकटरमण रामाकृष्णन (भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक)
  7. 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार- कैलाश सत्यार्थी
  8. 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल- अभिजीत बनर्जी

बता दें कि 2021 का नोबेल वैज्ञानिक बेंजामिन लिस्ट (Benjamin List) और डेविड मैकमिलन (David W.C. MacMillan) को दिया गया है. दोनों को रसायन का नोबेल (Chemistry Nobel) ऐसिममैट्रिक ऑर्गेनोकैटलिसिस के विकास (development of asymmetric organocatalysis) के लिए दिया गया है.

स्टाकहोम में स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंसेज (Royal Swedish Academy of Sciences) के पैनल ने विजेताओं की घोषणा की है. पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल कमेटी ने कहा कि रसायन विज्ञान नोबेल पुरस्कार 2021 विजेता बेंजामिन लिस्ट और डेविड मैकमिलन ने अणु निर्माण के लिए एक नया और सरल उपकरण विकसित किया है, जिसका नाम ऑर्गेनोकैटलिसिस (organocatalysis) है. इसके उपयोगों में नए फार्मास्यूटिकल्स में अनुसंधान शामिल है और इसने रसायन विज्ञान को हरित (greener) बनाने में भी मदद की है.

यह भी पढ़ें- Nobel in Chemistry : दो वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से मिला पुरस्कार

बयान में कहा गया है कि शोधकर्ता लंबे समय से मानते थे कि केवल दो प्रकार के उत्प्रेरक उपलब्ध हैं- धातु और एंजाइम. मगर नोबेल पुरस्कार विजेता बेंजामिन लिस्ट और डेविड मैकमिलन ने एक तीसरे प्रकार का उत्प्रेरक- असममित (asymmetric) ऑर्गेनोकैटलिसिस विकास किया है, जो छोटे कार्बनिक अणुओं पर बनता है.

नोबेल विजेता बेंजामिन लिस्ट ने सोचा कि क्या उत्प्रेरक प्राप्त करने के लिए वास्तव में एक संपूर्ण एंजाइम की आवश्यकता होती है. उन्होंने परीक्षण किया कि क्या प्रोलाइन नामक अमीनो एसिड एक रासायनिक प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित कर सकता है. परीक्षण में उन्हें अच्छा परिणाम मिला और इसने शानदार काम किया. नोबेल समिति के एक सदस्य, पर्निला विटुंग-स्टाफशेड ने कहा, 'यह पहले से ही मानव जाति को बहुत लाभान्वित कर रहा है.'

विजेता की प्रतिक्रिया
पुरस्कार की घोषणा के बाद लिस्ट ने कहा कि उनके लिए पुरस्कार एक 'बहुत बड़ा आश्चर्य' है. उन्होंने कहा, 'मुझे इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी.' उन्होंने कहा कि जब स्वीडन से फोन आया तो वह अपने परिवार के साथ एम्स्टर्डम में छुट्टियां मना रहे थे. लिस्ट ने कहा कि उन्हें शुरू में नहीं पता था कि मैकमिलन उसी विषय पर काम कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि जब तक यह काम नहीं करता है तब तक उनका यह प्रयास एक खराब विचार हो सकता है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगा कि यह कुछ बड़ा हो सकता है.'

बता दें, नोबेल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है. रसायन विज्ञान और साहित्य के अलावा शांति और अर्थशास्त्र जैसे क्षेत्रों में भी सराहनीय कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाता है.

गौरतलब है कि साल 2020 में रसायन का नोबेल (Nobel in Chemistry) इमैनुएल चारपोनियर और जेनिफर डूडना को दिया गया था. जीनोम एडिटिंग पद्धति का विकास करने के लिए वैज्ञानिकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बता दें कि जीनोम एडिटिंग एक ऐसी पद्धति है, जिसके जरिए वैज्ञानिक जीव-जंतु के डीएनए में बदलाव करते हैं. यह प्रौद्योगिकी एक कैंची की तरह काम करती है, जो डीएनए को किसी खास स्थान से काटती है. इसके बाद वैज्ञानिक उस स्थान से डीएनए के काटे गये हिस्से को बदलते हैं. इससे रोगों के उपचार में मदद मिलती है.

यह भी पढ़ें- रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार, दो महिला वैज्ञानिकों को मिला सम्मान

इससे पहले मंगलवार को जलवायु परिवर्तन की समझ को बढ़ाने समेत जटिल प्रणालियों पर काम करने के लिए जापान, जर्मनी और इटली के तीन वैज्ञानिकों को इस वर्ष भौतकी के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. जापान के रहने वाले स्यूकूरो मनाबे (90) और जर्मनी के क्लॉस हैसलमैन (89) को 'पृथ्वी की जलवायु की भौतिक 'मॉडलिंग', ग्लोबल वॉर्मिंग के पूर्वानुमान की परिवर्तनशीलता और प्रामाणिकता के मापन' क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए चुना गया है.

यह भी पढ़ें- Physics Nobel Prize : जर्मनी, जापान और इटली के वैज्ञानिकों को मिला सम्मान

पुरस्कार के दूसरे भाग के लिए इटली के जॉर्जियो पारिसी (73) को चुना गया है. उन्हें 'परमाणु से लेकर ग्रहों के मानदंडों तक भौतिक प्रणालियों में विकार और उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया की खोज' के लिए चुना गया है. तीनों ने 'जटिल प्रणालियों' पर काम किया है जिनमें से जलवायु एक उदाहरण है.

यह भी पढ़ें- डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार

इसके अलावा सोमवार को डेविड जूलियस (David Julius) और अर्देम पटापाउटियन (Ardem Patapoutian) को चिकित्सा के क्षेत्र में संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) 2021 मिला. उन्हें रीसेप्टर फॉर टेम्परचर एंड टच (receptors for temperature and touch) की खोज के लिए अवार्ड दिया गया.

(एजेंसी इनपुट)

स्टॉकहोम : साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार अब्दुलरजाक गुरनाह (Abdulrazak Gurnah) को दिया गया है. अब्दुलरजाक गुरनाह का जन्म 1948 में हुआ था और वे जांजीबार द्वीप पर पले-बढ़े, लेकिन 1960 के दशक के अंत में एक शरणार्थी के रूप में इंग्लैंड पहुंचे. अपनी हाल की सेवानिवृत्ति तक वे केंट विश्वविद्यालय (University of Kent), कैंटरबरी में अंग्रेजी और उत्तर औपनिवेशिक साहित्य के प्रोफेसर रहे. पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया के मूल निवासी गुरनाह (Tanzanian Abdulrazak Gurnah ) फिलहाल यूनाइटेड किंगडम (UK) में रह रहे हैं.

अब्दुलरजाक गुरनाह अब तक 10 उपन्यास और कई लघु कथाएं लिख चुके हैं. शरणार्थी के सामने आने वाले व्यवधान (refugee's disruption) का विषय उनके पूरे साहित्यिक काम में झलकता है. 21 वर्ष की आयु में उन्होंने अंग्रेजी निर्वासन के रूप में लिखना शुरू किया. हालांकि, उनकी पहली भाषा स्वाहिली थी, लेकिन अंग्रेजी भाषा उनका साहित्यिक उपकरण (literary tool) बन गया.

2021 में साहित्य का नोबेल जीतने वाले अब्दुलरजाक गुरनाह (Nobel in Literature Abdulrazak Gurnah) का चौथा उपन्यास 'पैराडाइज' (1994) एक लेखक के रूप में उनकी उल्लेखनीय कृति है. यह 1990 के आसपास पूर्वी अफ्रीका की एक शोध यात्रा से विकसित हुई. यह उम्र का लेखा-जोखा और एक दुखद प्रेम कहानी है जिसमें विभिन्न दुनिया और विश्वास प्रणाली के टकराव की झलक मिलती है.

अब्दुलरजाक गुरनाह को मिला सम्मान
अब्दुलरजाक गुरनाह को मिला सम्मान

गुरनाह की प्रतिक्रिया
साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुरनाह को 'खाड़ी देश में संस्कृतियों और महाद्वीपों के बीच शरणार्थी के भाग्य के संदर्भ में उपनिवेशवाद के प्रभावों पर बिना समझौता किए और करुणामय प्रवेश के लिए' (for his uncompromising and compassionate penetration of the effects of colonialism and the fate of the refugee in the gulf between cultures and continents) सम्मानित किया गया है. नोबेल मिलने पर गुरनाह (Gurnah on Nobel Prize) ने कहा कि वे काफी उत्साहित हैं, उन्होंने खुद यह समाचार सुना.

बता दें कि अतीत में इस पुरस्कार से कवियों, उपन्यासकारों और यहां तक कि अमेरिकी गायक व गीतकार बॉब डिलन को सम्मानित किया गया है. स्वीडिश एकेडमी की तरफ से दिए जाने वाले इस बार के साहित्य के लिए पुरस्कार की दौड़ में ब्रिटिश पुस्तक प्रकाशकों के अनुसार मुख्य रूप से केन्या के नगुगी वा थियोंगओ, फ्रांसीसी लेखिका एनी एरनॉक्स, जापानी लेखक हरूकी मुराकामी, कनाडा की मार्गरेट एटवुड और एंटीगुआई-अमेरिकी लेखिका जमैका किनकैड भी शामिल थे.

बता दें कि साहित्य के क्षेत्र में नोबेल जीतने वाले सबसे वरिष्ठ व्यक्ति का नाम डोरिस लेस्सिंग है. 88 साल की उम्र में लेस्सिंग को साल 2007 में साहित्य के नोबेल से सम्मानित किया गया था.

सबसे कम और सबसे अधिक उम्र के नोबेल विजेताओं की सूची
सबसे कम और सबसे अधिक उम्र के नोबेल विजेताओं की सूची

दुनिया के इस शीर्ष सम्मान से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि साहित्य के क्षेत्र में नोबेल साल 1913 में भारत को मिला था. गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर को साहित्य के नोबेल से सम्मानित किया गया था.

भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के अन्य नोबेल विजेता-

  1. 1930 में भौतिक विज्ञान का नोबेल- सीवी रमन
  2. 1968 में मेडिसिन का नोबेल- हर गोविंद खुराना (भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक)
  3. 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार- मदर टेरेसा (अल्बानिया मूल की भारतीय नागरिक)
  4. 1983 में भौतिक विज्ञान का नोबेल- सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर (भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक)
  5. 1998 में अर्थशास्त्र का नोबेल- अमर्त्य सेन
  6. 2009 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार- वेंकटरमण रामाकृष्णन (भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक)
  7. 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार- कैलाश सत्यार्थी
  8. 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल- अभिजीत बनर्जी

बता दें कि 2021 का नोबेल वैज्ञानिक बेंजामिन लिस्ट (Benjamin List) और डेविड मैकमिलन (David W.C. MacMillan) को दिया गया है. दोनों को रसायन का नोबेल (Chemistry Nobel) ऐसिममैट्रिक ऑर्गेनोकैटलिसिस के विकास (development of asymmetric organocatalysis) के लिए दिया गया है.

स्टाकहोम में स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंसेज (Royal Swedish Academy of Sciences) के पैनल ने विजेताओं की घोषणा की है. पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल कमेटी ने कहा कि रसायन विज्ञान नोबेल पुरस्कार 2021 विजेता बेंजामिन लिस्ट और डेविड मैकमिलन ने अणु निर्माण के लिए एक नया और सरल उपकरण विकसित किया है, जिसका नाम ऑर्गेनोकैटलिसिस (organocatalysis) है. इसके उपयोगों में नए फार्मास्यूटिकल्स में अनुसंधान शामिल है और इसने रसायन विज्ञान को हरित (greener) बनाने में भी मदद की है.

यह भी पढ़ें- Nobel in Chemistry : दो वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से मिला पुरस्कार

बयान में कहा गया है कि शोधकर्ता लंबे समय से मानते थे कि केवल दो प्रकार के उत्प्रेरक उपलब्ध हैं- धातु और एंजाइम. मगर नोबेल पुरस्कार विजेता बेंजामिन लिस्ट और डेविड मैकमिलन ने एक तीसरे प्रकार का उत्प्रेरक- असममित (asymmetric) ऑर्गेनोकैटलिसिस विकास किया है, जो छोटे कार्बनिक अणुओं पर बनता है.

नोबेल विजेता बेंजामिन लिस्ट ने सोचा कि क्या उत्प्रेरक प्राप्त करने के लिए वास्तव में एक संपूर्ण एंजाइम की आवश्यकता होती है. उन्होंने परीक्षण किया कि क्या प्रोलाइन नामक अमीनो एसिड एक रासायनिक प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित कर सकता है. परीक्षण में उन्हें अच्छा परिणाम मिला और इसने शानदार काम किया. नोबेल समिति के एक सदस्य, पर्निला विटुंग-स्टाफशेड ने कहा, 'यह पहले से ही मानव जाति को बहुत लाभान्वित कर रहा है.'

विजेता की प्रतिक्रिया
पुरस्कार की घोषणा के बाद लिस्ट ने कहा कि उनके लिए पुरस्कार एक 'बहुत बड़ा आश्चर्य' है. उन्होंने कहा, 'मुझे इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी.' उन्होंने कहा कि जब स्वीडन से फोन आया तो वह अपने परिवार के साथ एम्स्टर्डम में छुट्टियां मना रहे थे. लिस्ट ने कहा कि उन्हें शुरू में नहीं पता था कि मैकमिलन उसी विषय पर काम कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि जब तक यह काम नहीं करता है तब तक उनका यह प्रयास एक खराब विचार हो सकता है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगा कि यह कुछ बड़ा हो सकता है.'

बता दें, नोबेल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है. रसायन विज्ञान और साहित्य के अलावा शांति और अर्थशास्त्र जैसे क्षेत्रों में भी सराहनीय कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाता है.

गौरतलब है कि साल 2020 में रसायन का नोबेल (Nobel in Chemistry) इमैनुएल चारपोनियर और जेनिफर डूडना को दिया गया था. जीनोम एडिटिंग पद्धति का विकास करने के लिए वैज्ञानिकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बता दें कि जीनोम एडिटिंग एक ऐसी पद्धति है, जिसके जरिए वैज्ञानिक जीव-जंतु के डीएनए में बदलाव करते हैं. यह प्रौद्योगिकी एक कैंची की तरह काम करती है, जो डीएनए को किसी खास स्थान से काटती है. इसके बाद वैज्ञानिक उस स्थान से डीएनए के काटे गये हिस्से को बदलते हैं. इससे रोगों के उपचार में मदद मिलती है.

यह भी पढ़ें- रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार, दो महिला वैज्ञानिकों को मिला सम्मान

इससे पहले मंगलवार को जलवायु परिवर्तन की समझ को बढ़ाने समेत जटिल प्रणालियों पर काम करने के लिए जापान, जर्मनी और इटली के तीन वैज्ञानिकों को इस वर्ष भौतकी के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. जापान के रहने वाले स्यूकूरो मनाबे (90) और जर्मनी के क्लॉस हैसलमैन (89) को 'पृथ्वी की जलवायु की भौतिक 'मॉडलिंग', ग्लोबल वॉर्मिंग के पूर्वानुमान की परिवर्तनशीलता और प्रामाणिकता के मापन' क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए चुना गया है.

यह भी पढ़ें- Physics Nobel Prize : जर्मनी, जापान और इटली के वैज्ञानिकों को मिला सम्मान

पुरस्कार के दूसरे भाग के लिए इटली के जॉर्जियो पारिसी (73) को चुना गया है. उन्हें 'परमाणु से लेकर ग्रहों के मानदंडों तक भौतिक प्रणालियों में विकार और उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया की खोज' के लिए चुना गया है. तीनों ने 'जटिल प्रणालियों' पर काम किया है जिनमें से जलवायु एक उदाहरण है.

यह भी पढ़ें- डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार

इसके अलावा सोमवार को डेविड जूलियस (David Julius) और अर्देम पटापाउटियन (Ardem Patapoutian) को चिकित्सा के क्षेत्र में संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) 2021 मिला. उन्हें रीसेप्टर फॉर टेम्परचर एंड टच (receptors for temperature and touch) की खोज के लिए अवार्ड दिया गया.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Oct 7, 2021, 7:52 PM IST
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