ETV Bharat / international

Physics Nobel Prize : जर्मनी, जापान और इटली के वैज्ञानिकों को मिला सम्मान - Physics Nobel Prize

भौतिकी का नोबेल पुरस्कार (Physics Nobel Prize) जर्मनी, जापान और इटली के वैज्ञानिकों को मिला है. तीनों ने जटिल प्रणालियों पर काम किया है, जिनमें से जलवायु एक उदाहरण है.

Physics Nobel Prize
भौतिका का नोबेल पुरस्कार
author img

By

Published : Oct 5, 2021, 3:48 PM IST

Updated : Oct 5, 2021, 9:00 PM IST

स्टॉकहोम : जलवायु परिवर्तन की समझ को बढ़ाने समेत जटिल प्रणालियों पर काम करने के लिए जापान, जर्मनी और इटली के तीन वैज्ञानिकों को इस वर्ष भौतकी के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.

जापान के रहने वाले स्यूकूरो मनाबे (90) और जर्मनी के क्लॉस हैसलमैन (89) को ‘पृथ्वी की जलवायु की भौतिक ‘मॉडलिंग’, ग्लोबल वॉर्मिंग के पूर्वानुमान की परिवर्तनशीलता और प्रामाणिकता के मापन’ क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए चुना गया है.

पुरस्कार के दूसरे भाग के लिए इटली के जॉर्जियो पारिसी (73) को चुना गया है. उन्हें ‘परमाणु से लेकर ग्रहों के मानदंडों तक भौतिक प्रणालियों में विकार और उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया की खोज’ के लिए चुना गया है.

तीनों ने ‘जटिल प्रणालियों’ पर काम किया है जिनमें से जलवायु एक उदाहरण है.

निर्णायक मंडल ने कहा कि मनाबे और हैसलमैन ने ‘पृथ्वी की जलवायु और मनुष्य के इस पर प्रभाव के बारे में हमारे ज्ञान की बुनियाद रखी’. अब न्यूजर्सी के प्रिंसटन विश्वविद्यालय में रहने वाले मनाबे ने 1960 के दशक की शुरुआत में दर्शाया था कि वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से वैश्विक तापमान किस तरह बढ़ेगा और इस तरह उन्होंने मौजूदा जलवायु मॉडलों की बुनियाद रखी थी.

इसके करीब एक दशक बाद जर्मनी के हैमबर्ग स्थित मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर मीटियोरोलॉजी के हैसलमैन ने एक मॉडल बनाया जिसमें मौसम और जलवायु को जोड़ा गया. इससे यह समझने में मदद मिली कि मौसम की तेजी से बदलाव वाली प्रकृति के बाद भी जलवायु संबंधी मॉडल किस तरह प्रामाणिक हो सकते हैं.

उन्होंने जलवायु पर मनुष्य के प्रभाव के विशेष संकेतों का पता करने के तरीके भी खोजे.

रोम की सैपियेंजा विश्वविद्यालय के पारिसी ने एक गहन भौतिक और गणितीय मॉडल तैयार किया जिससे जटिल प्रणालियों को समझना आसान हुआ.

पढ़ें- डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार

पुरस्कारों की घोषणा के बाद पारिसी ने कहा, ‘‘इस बात की बहुत आवश्यकता है कि हम जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बहुत कठोर फैसले लें और बहुत तेज रफ्तार से बढ़ें.’’

उन्होंने कहा, ‘‘भावी पीढ़ियों के लिए संदेश है कि हमें अब काम करना होगा.’’

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव गोरन हैन्सन ने मंगलवार को विजेताओं के नाम घोषित किये.किसी एक विषय के संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले एक से अधिक वैज्ञानिकों को साझा तरीके से पुरस्कार दिया जाना आम बात है.

इस प्रतिष्ठित पुरस्कार में एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनोर (11.4 लाख डॉलर से अधिक) की राशि दी जाती है. पुरस्कारों की स्थापना 1895 में स्वीडिश नागरिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी.

नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों डेविड जूलियस और आर्डम पातापूशियन को नोबेल पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की थी.

आने वाले दिनों में रसायन विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम घोषित किये जाएंगे.

स्टॉकहोम : जलवायु परिवर्तन की समझ को बढ़ाने समेत जटिल प्रणालियों पर काम करने के लिए जापान, जर्मनी और इटली के तीन वैज्ञानिकों को इस वर्ष भौतकी के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.

जापान के रहने वाले स्यूकूरो मनाबे (90) और जर्मनी के क्लॉस हैसलमैन (89) को ‘पृथ्वी की जलवायु की भौतिक ‘मॉडलिंग’, ग्लोबल वॉर्मिंग के पूर्वानुमान की परिवर्तनशीलता और प्रामाणिकता के मापन’ क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए चुना गया है.

पुरस्कार के दूसरे भाग के लिए इटली के जॉर्जियो पारिसी (73) को चुना गया है. उन्हें ‘परमाणु से लेकर ग्रहों के मानदंडों तक भौतिक प्रणालियों में विकार और उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया की खोज’ के लिए चुना गया है.

तीनों ने ‘जटिल प्रणालियों’ पर काम किया है जिनमें से जलवायु एक उदाहरण है.

निर्णायक मंडल ने कहा कि मनाबे और हैसलमैन ने ‘पृथ्वी की जलवायु और मनुष्य के इस पर प्रभाव के बारे में हमारे ज्ञान की बुनियाद रखी’. अब न्यूजर्सी के प्रिंसटन विश्वविद्यालय में रहने वाले मनाबे ने 1960 के दशक की शुरुआत में दर्शाया था कि वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से वैश्विक तापमान किस तरह बढ़ेगा और इस तरह उन्होंने मौजूदा जलवायु मॉडलों की बुनियाद रखी थी.

इसके करीब एक दशक बाद जर्मनी के हैमबर्ग स्थित मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर मीटियोरोलॉजी के हैसलमैन ने एक मॉडल बनाया जिसमें मौसम और जलवायु को जोड़ा गया. इससे यह समझने में मदद मिली कि मौसम की तेजी से बदलाव वाली प्रकृति के बाद भी जलवायु संबंधी मॉडल किस तरह प्रामाणिक हो सकते हैं.

उन्होंने जलवायु पर मनुष्य के प्रभाव के विशेष संकेतों का पता करने के तरीके भी खोजे.

रोम की सैपियेंजा विश्वविद्यालय के पारिसी ने एक गहन भौतिक और गणितीय मॉडल तैयार किया जिससे जटिल प्रणालियों को समझना आसान हुआ.

पढ़ें- डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार

पुरस्कारों की घोषणा के बाद पारिसी ने कहा, ‘‘इस बात की बहुत आवश्यकता है कि हम जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बहुत कठोर फैसले लें और बहुत तेज रफ्तार से बढ़ें.’’

उन्होंने कहा, ‘‘भावी पीढ़ियों के लिए संदेश है कि हमें अब काम करना होगा.’’

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव गोरन हैन्सन ने मंगलवार को विजेताओं के नाम घोषित किये.किसी एक विषय के संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले एक से अधिक वैज्ञानिकों को साझा तरीके से पुरस्कार दिया जाना आम बात है.

इस प्रतिष्ठित पुरस्कार में एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनोर (11.4 लाख डॉलर से अधिक) की राशि दी जाती है. पुरस्कारों की स्थापना 1895 में स्वीडिश नागरिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी.

नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों डेविड जूलियस और आर्डम पातापूशियन को नोबेल पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की थी.

आने वाले दिनों में रसायन विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम घोषित किये जाएंगे.

Last Updated : Oct 5, 2021, 9:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.