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जलवायु परिवर्तन और महामारी की तरह ही आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो वैश्विक समुदाय : भारत

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर...

Jaishankar
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Published : Oct 12, 2021, 4:54 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 8:22 PM IST

नूर-सुल्तान : भारत ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ गंभीरता से उसी तरह एकजुट होना चाहिए जिस तरह वह जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसे मुद्दों पर एकजुट होता है क्योंकि सीमा पार से संचालित होने वाली यह बुराई कोई शासन कला नहीं, बल्कि दहशतगर्दी का ही एक अन्य स्वरूप है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एशिया में वार्ता और विश्वास निर्माण उपाय सम्मेलन (सीआईसीए) के विदेश मंत्रियों की छठी बैठक को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि आपसी संपर्क से संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सम्मान के सबसे बुनियादी सिद्धांत का पालन होना चाहिए.

उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, 'यदि शांति और विकास हमारा साझा लक्ष्य है, तो हमें आतंकवाद रूपी सबसे बड़े शत्रु की नकेल कसनी होगी. आज और इस युग में, हम एक देश द्वारा दूसरे देश के खिलाफ इसका इस्तेमाल किए जाने को बर्दाश्त नहीं कर सकते. सीमा पार से संचालित होने वाला आतंकवाद कोई शासन कला नहीं, बल्कि दहशतगर्दी का ही एक अन्य स्वरूप है.'

जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बुराई के खिलाफ उसी तरह एकजुट होना चाहिए जिस तरह वह जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसे मुद्दों पर एकजुट होता है.

विदेश मंत्री ने कहा, 'ऐसा कोई भी आकलन बहुत ही छोटी दृष्टि का परिचायक है कि चरमपंथ, कट्टरपंथ, हिंसा और अतिवाद का इस्तेमाल हितों को साधने के लिए किया जा सकता है. ऐसी ताकतें उन्हीं को शिकार बनाने के लिए वापस आएंगी जो उनका पालन-पोषण करते हैं. स्थिरता की कमी कोविड को नियंत्रण में लाने के हमारे सामूहिक प्रयासों को भी कमजोर करेगी. इसलिए अफगानिस्तान की स्थिति बेहद चिंताजनक है.'

जयशंकर ने इस सप्ताह के शुरु में कहा था कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर भारत करीब से नजर रखे हुए है. उन्होंने यह भी रेखांकित किया था कि तालिबान शासन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में वर्णित अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करे.

सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2593 स्पष्ट रूप से कहता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादियों को आश्रय देने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए. विशेष रूप से यह प्रस्ताव, लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों को संदर्भित करता है.

अमेरिका पर हुए 9/11 हमलों के कुछ समय बाद अफगानिस्तान से अपदस्थ किए गए तालिबान ने 20 साल बाद गत अगस्त के मध्य में पश्चिम समर्थित निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा कर लिया.

भारत ने यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि कोई भी देश 'अफगानिस्तान की नाजुक स्थिति का लाभ उठाने और अपने स्वार्थ के लिए इसका इस्तेमाल करने की कोशिश न करे.'

पढ़ें :- सीआईसीए बैठक में पाक ने उठाया कश्मीर मुद्दा, भारत ने दी नसीहत

जयशंकर ने कहा कि सीआईसीए की आवाज अफगानिस्तान के घटनाक्रम के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को आकार देने में सकारात्मक भूमिका निभा सकती है. उन्होंने ट्वीट किया, 'इस बात पर प्रकाश डाला कि अफगानिस्तान में हुए घटनाक्रम ने समझ में आने वाली चिंता पैदा की है. सीआईसीए की आवाज वैश्विक प्रतिक्रिया को आकार देने में एक सकारात्मक कारक हो सकती है.'

जयशंकर ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि प्रगति और समृद्धि के लिए आर्थिक एवं सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि एशिया में, विशेष रूप से, कनेक्टिविटी की कमी है जो इस उद्देश्य के लिए बहुत जरूरी है.

उन्होंने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन का आक्रामक व्यवहार जारी रहने के बीच कहा, 'जब हम वाणिज्य के लिए इन आधुनिक प्रणालियों का निर्माण करते हैं तो यह अत्यावश्यक हो जाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सबसे बुनियादी सिद्धांतों पर ध्यान दिया जाए. राष्ट्रों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान उनके लिए सर्वाधिक महत्व रखता है.'

उल्लेखनीय है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का भारत विरोध करता रहा है क्योंकि यह कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से से होकर गुजरता है.

विदेश मंत्री ने कहा, 'यह भी महत्वपूर्ण है कि कनेक्टिविटी निर्माण एक सहभागितापूर्ण और पारस्परिक सहमति वाली कवायद हो जो वित्तीय व्यवहार्यता और स्थानीय स्वामित्व पर आधारित हो. इसका उद्देश्य कोई अन्य एजेंडा नहीं होना चाहिए.'

दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन का अन्य देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद है तथा इसने पिछले कुछ वर्षों में अपने मानव निर्मित द्वीपों पर सेना की काफी तैनाती की है.

जयशंकर ने महामारी और विश्व में लोगों की सुरक्षा सहित समसामयिक चुनौतियों से निपटने में मंच की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया.

पढ़ें :- भारत ने UNGA में कहा- शांति, सुरक्षा के लिए आतंकवाद सबसे गंभीर खतरा

उन्होंने कहा, 'यहां तक ​​​​कि जब दुनिया महामारी पर काबू पाने की कोशिश कर रही है, तो समान रूप से दबाव वाली चुनौतियां भी हैं जिनका समाधान होना चाहिए. इनमें जलवायु कार्रवाई काफी अहम है. महामारी और जलवायु परिवर्तन दोनों से निपटने के लिए वास्तविक और ईमानदार अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है.'

यह रेखांकित करते हुए कि महामारी के बाद की दुनिया को विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता है, जयशंकर ने कहा, 'यह आर्थिक विकास के अतिरिक्त माध्यमों को प्रोत्साहित करता है. यह अधिक विश्वास और पारदर्शिता पर भी जोर देता है. सीआईसीए इन सभी प्रयासों में उल्लेखनीय योगदान दे सकता है जिससे एशिया में सुरक्षा और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा.'

उन्होंने कहा, 'हमने हमेशा दुनिया को एक परिवार के रूप में देखा है, जिसे 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा में व्यक्त किया गया है. स्वाभाविक रूप से, यह एशिया के लिए और भी अधिक जरूरी है. हमारा विश्वास विभिन्न तरीकों से प्रदर्शित होता है, जिसमें चुनौतियों का सामना करना और एक साथ समाधान खोजना शामिल है. यह स्पष्ट रूप से कोविड महामारी के दौरान दिखा, जब हमने हमने 150 से अधिक देशों को टीके, दवाएं और चिकित्सा आपूर्ति के साथ-साथ विशेषज्ञता प्रदान की.'

जयशंकर ने सीआईसीए फोरम को मजबूत करने में कजाकिस्तान की पहल की भी सराहना की और आतंकवाद, महामारी तथा विश्व के लोगों की सुरक्षा सहित समकालीन चुनौतियों का समाधान करने में इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया.

जयशंकर मध्य एशिया के अपने तीन देशों के दौरे के दूसरे चरण में सोमवार को किर्गिस्तान से कजाकिस्तान पहुंचे थे.

(पीटीआई-भाषा)

नूर-सुल्तान : भारत ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ गंभीरता से उसी तरह एकजुट होना चाहिए जिस तरह वह जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसे मुद्दों पर एकजुट होता है क्योंकि सीमा पार से संचालित होने वाली यह बुराई कोई शासन कला नहीं, बल्कि दहशतगर्दी का ही एक अन्य स्वरूप है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एशिया में वार्ता और विश्वास निर्माण उपाय सम्मेलन (सीआईसीए) के विदेश मंत्रियों की छठी बैठक को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि आपसी संपर्क से संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सम्मान के सबसे बुनियादी सिद्धांत का पालन होना चाहिए.

उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, 'यदि शांति और विकास हमारा साझा लक्ष्य है, तो हमें आतंकवाद रूपी सबसे बड़े शत्रु की नकेल कसनी होगी. आज और इस युग में, हम एक देश द्वारा दूसरे देश के खिलाफ इसका इस्तेमाल किए जाने को बर्दाश्त नहीं कर सकते. सीमा पार से संचालित होने वाला आतंकवाद कोई शासन कला नहीं, बल्कि दहशतगर्दी का ही एक अन्य स्वरूप है.'

जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बुराई के खिलाफ उसी तरह एकजुट होना चाहिए जिस तरह वह जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसे मुद्दों पर एकजुट होता है.

विदेश मंत्री ने कहा, 'ऐसा कोई भी आकलन बहुत ही छोटी दृष्टि का परिचायक है कि चरमपंथ, कट्टरपंथ, हिंसा और अतिवाद का इस्तेमाल हितों को साधने के लिए किया जा सकता है. ऐसी ताकतें उन्हीं को शिकार बनाने के लिए वापस आएंगी जो उनका पालन-पोषण करते हैं. स्थिरता की कमी कोविड को नियंत्रण में लाने के हमारे सामूहिक प्रयासों को भी कमजोर करेगी. इसलिए अफगानिस्तान की स्थिति बेहद चिंताजनक है.'

जयशंकर ने इस सप्ताह के शुरु में कहा था कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर भारत करीब से नजर रखे हुए है. उन्होंने यह भी रेखांकित किया था कि तालिबान शासन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में वर्णित अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करे.

सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2593 स्पष्ट रूप से कहता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादियों को आश्रय देने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए. विशेष रूप से यह प्रस्ताव, लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों को संदर्भित करता है.

अमेरिका पर हुए 9/11 हमलों के कुछ समय बाद अफगानिस्तान से अपदस्थ किए गए तालिबान ने 20 साल बाद गत अगस्त के मध्य में पश्चिम समर्थित निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा कर लिया.

भारत ने यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि कोई भी देश 'अफगानिस्तान की नाजुक स्थिति का लाभ उठाने और अपने स्वार्थ के लिए इसका इस्तेमाल करने की कोशिश न करे.'

पढ़ें :- सीआईसीए बैठक में पाक ने उठाया कश्मीर मुद्दा, भारत ने दी नसीहत

जयशंकर ने कहा कि सीआईसीए की आवाज अफगानिस्तान के घटनाक्रम के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को आकार देने में सकारात्मक भूमिका निभा सकती है. उन्होंने ट्वीट किया, 'इस बात पर प्रकाश डाला कि अफगानिस्तान में हुए घटनाक्रम ने समझ में आने वाली चिंता पैदा की है. सीआईसीए की आवाज वैश्विक प्रतिक्रिया को आकार देने में एक सकारात्मक कारक हो सकती है.'

जयशंकर ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि प्रगति और समृद्धि के लिए आर्थिक एवं सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि एशिया में, विशेष रूप से, कनेक्टिविटी की कमी है जो इस उद्देश्य के लिए बहुत जरूरी है.

उन्होंने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन का आक्रामक व्यवहार जारी रहने के बीच कहा, 'जब हम वाणिज्य के लिए इन आधुनिक प्रणालियों का निर्माण करते हैं तो यह अत्यावश्यक हो जाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सबसे बुनियादी सिद्धांतों पर ध्यान दिया जाए. राष्ट्रों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान उनके लिए सर्वाधिक महत्व रखता है.'

उल्लेखनीय है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का भारत विरोध करता रहा है क्योंकि यह कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से से होकर गुजरता है.

विदेश मंत्री ने कहा, 'यह भी महत्वपूर्ण है कि कनेक्टिविटी निर्माण एक सहभागितापूर्ण और पारस्परिक सहमति वाली कवायद हो जो वित्तीय व्यवहार्यता और स्थानीय स्वामित्व पर आधारित हो. इसका उद्देश्य कोई अन्य एजेंडा नहीं होना चाहिए.'

दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन का अन्य देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद है तथा इसने पिछले कुछ वर्षों में अपने मानव निर्मित द्वीपों पर सेना की काफी तैनाती की है.

जयशंकर ने महामारी और विश्व में लोगों की सुरक्षा सहित समसामयिक चुनौतियों से निपटने में मंच की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया.

पढ़ें :- भारत ने UNGA में कहा- शांति, सुरक्षा के लिए आतंकवाद सबसे गंभीर खतरा

उन्होंने कहा, 'यहां तक ​​​​कि जब दुनिया महामारी पर काबू पाने की कोशिश कर रही है, तो समान रूप से दबाव वाली चुनौतियां भी हैं जिनका समाधान होना चाहिए. इनमें जलवायु कार्रवाई काफी अहम है. महामारी और जलवायु परिवर्तन दोनों से निपटने के लिए वास्तविक और ईमानदार अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है.'

यह रेखांकित करते हुए कि महामारी के बाद की दुनिया को विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता है, जयशंकर ने कहा, 'यह आर्थिक विकास के अतिरिक्त माध्यमों को प्रोत्साहित करता है. यह अधिक विश्वास और पारदर्शिता पर भी जोर देता है. सीआईसीए इन सभी प्रयासों में उल्लेखनीय योगदान दे सकता है जिससे एशिया में सुरक्षा और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा.'

उन्होंने कहा, 'हमने हमेशा दुनिया को एक परिवार के रूप में देखा है, जिसे 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा में व्यक्त किया गया है. स्वाभाविक रूप से, यह एशिया के लिए और भी अधिक जरूरी है. हमारा विश्वास विभिन्न तरीकों से प्रदर्शित होता है, जिसमें चुनौतियों का सामना करना और एक साथ समाधान खोजना शामिल है. यह स्पष्ट रूप से कोविड महामारी के दौरान दिखा, जब हमने हमने 150 से अधिक देशों को टीके, दवाएं और चिकित्सा आपूर्ति के साथ-साथ विशेषज्ञता प्रदान की.'

जयशंकर ने सीआईसीए फोरम को मजबूत करने में कजाकिस्तान की पहल की भी सराहना की और आतंकवाद, महामारी तथा विश्व के लोगों की सुरक्षा सहित समकालीन चुनौतियों का समाधान करने में इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया.

जयशंकर मध्य एशिया के अपने तीन देशों के दौरे के दूसरे चरण में सोमवार को किर्गिस्तान से कजाकिस्तान पहुंचे थे.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Oct 12, 2021, 8:22 PM IST
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