वाशिंगटन : अफगानिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास में मौजूद कर्मचारियों और उनके अफगान सहयोगियों को हवाई मार्ग से सुरक्षित निकालने के लिए मरीन सैनिकों का नया दस्ता शनिवार को काबुल पहुंचा है.
तालिबान की राजधानी काबुल के काफी समीप पर पहुंचने के बाद अपने कर्मचारियों को निकालने के लिए अमेरिका 3000 हजार सैनिकों को भेज रहा है जिसके तहत मरीन वहां पहुंचे.अंतिम समय में हजारों की संख्या में अमेरिकी सैनिकों को अमेरिका द्वारा भेजना स्थिति की गंभीरता को दर्शता है और इसके साथ ही यह सवाल पैदा हो गया है कि क्या राष्ट्रपति जो बाइडेन लड़ाकू सैनिकों की वापसी के लिए तय 31 अगस्त की समय सीमा को कायम रख पाएंगे.
अमेरिकी मध्य कमान के प्रवक्ता नौसेना के कैप्टर विलियम अर्बन ने बताया कि मरीन सैनिकों का प्रशिक्षित समूह शुक्रवार को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचा और इसके बाद दूसरा दस्ता आज पहुंचा.
परिचालन सुरक्षा के मद्देनजर अर्बन ने सैनिकों की संख्या बताने से इनकार कर दिया है. पेंटागन ने कहा था कि तीन हजार सैनिक,मरीन सैनिकों के दो बटालियन और थलसेना का एक बटालियन- इस सप्ताहांत तक अफगानिस्तान पहुंचेंगे.
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अधिकारियों ने कहा कि अफगानिस्तान पहुंच रहे सैनिकों का मिशन सीमित है और उन्हें दूतावास के कर्मियों और उनके अफगान सहयोगियों को हवाई मार्ग से निकालने के लिए भेजा जा रहा है और उम्मीद है कि वे इस मिशन को महीने के अंत तक पूरा कर लेंगे. हालांकि, तालिबान अगर काबुल स्थित दूतावास पर कब्जा करने की धमकी देता है तो इन सैनिकों को लंबे समय तक वहां रहना पड़ सकता है.
वहीं, काबुल की ओर बढ़ रहे तालिबान ने दो और प्रांतों को अपने कब्जे में ले लिया है. पेंटागन के प्रवक्ता जॉन कीर्बि ने कहा, उनके कार्यों से स्पष्ट है कि वे काबुल को अलग-थलग करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने यह टिप्पणी गत हफ्तों में तालिबान द्वारा तेजी से व प्रभावी तरीके से सूबों पर कब्जे करने के संदर्भ में की. बाइडेन ने अप्रैल में घोषणा की थी कि पेंटागन 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से बाकी बचे 2500 से 3000 अमेरिकी सैनिकों की वापसी करेगा.
यह संख्या 1000 के करीब रह गई थी हालांकि, गुरूवार को तीन हजार और सैनिकों को भेजने से अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के मुद्दे पर नया पेंच आ गया है. युद्ध से जुड़ने के मुद्दे पर अबतक फैसला नहीं किया गया है लेकिन आने वाले दिनों में सुरक्षा बलों की संख्या दूतावास खोलने और तालिबान के खतरे पर निर्भर करेगी.
(पीटीआई-भाषा)