वॉशिंगटन : अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) के हमले से देश की रक्षा के लिए प्रणाली विकसित करने के लिए पहला कदम उठाया है.
अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को अमेरिकी नौसेना के पोत से इंटरसेप्टर मिसाइल (मिसाइल को रोकने वाली मिसाइल) छोड़ा गया, जिसने समुद्र में प्रायोगिक आईसीबीएम को मार गिराया.
इससे पहले आईसीबीएम को निशाना बनाने के लिए भूमिगत केंद्र से इंटरसेप्टर मिसाइल को लॉन्च किया गया था और इसकी अगली कड़ी में अधिक चुनौतीपूर्ण पोत के आधार से दुश्मन की लंबी दूरी की मिसाइल को गिराने का सफल परीक्षण किया गया, जिससे पेंटागन की मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता और उस पर भरोसा बढ़ा है.
अमेरिका द्वारा मंगलवार को किए गए परीक्षण से उत्तर कोरिया का ध्यान आकर्षित होगा, जो अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु हथियार विकसित कर रहा है और जिसकी वजह से पेंटागन पिछले एक दशक से मिसाइल रक्षा प्रणाली को मजबूत कर रहा है.
उत्तर कोरिया ने हाल में आईसीबीएम मिसाइलों के परीक्षण से बचने और परमाणु परीक्षण जारी नहीं रखने की घोषणा की है, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड ट्रम्प के उत्तराधिकारी के तौर पर जो बाइडेन के चुने जाने के बाद प्योंगयोग के शासक किम जोंग उन की मंशा को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.
नौसेना के वाइस एडमिरल और पेंटागन के मिसाइल रक्षा एजेंसी के निदेशक जॉन हिल ने कहा कि मंगलवार को मिसाइल परीक्षण शानदार और कार्यक्रम के लिए अहम उपलब्धि है.
उन्होंने कहा कि पोत आधारित मिसाइल रक्षा प्रणाली दुश्मन की मिसाइल का पता लगाने और उसपर नजर रखने में अधिक सक्षम है और यह अविश्वसनीय तरीके से बडे़ मिसाइल हमले के खतरे से निपटने में अमेरिका को बढ़त देगा. हालांकि, इस दौरान उन्होंने उत्तर कोरिया का नाम नहीं लिया.
पेंटागन के मुताबिक मंगलवार को परीक्षण के दौरान एजिस एसएम-3 मिसाइल के अद्यतन संस्करण को प्रशांत महासागर में हवाई द्वीप के पूर्वोत्तर में तैनात अमेरिकी नौसेना के डेस्ट्रॉयर ने छोड़ा और उसका लक्ष्य अमेरिका के मार्शल द्वीप के क्वाजलेन अटोल परीक्षण रेंज से छोड़ा गया आईसीबीएम का प्रतिरूप था.
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हालांकि, लक्षित आईसीबीएम जटिल तकनीकों से लैस नहीं था, जिसका सामना अमेरिकी इंटरसेप्टर मिसाइल को वास्तविक हमले के दौरान करना पड़ेगा.
अधिकारियों ने बताया कि यह परीक्षण पिछले वसंत ऋतु में होना था, लेकिन कोरोना वायरस की महामारी की वजह से लागू पाबंदियों के चलते इसमें देरी हुई.