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मंत्री श्याम रजक ने PM को लिखा पत्र, आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

भारत के संविधान का मूल स्वरूप समतामूलक समाज की स्थापना है. इसी संदर्भ में संविधान के अनुच्छेद 15 खंड 3 में यह प्रावधान है कि अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में विशेष अवसर दिया जाएगा.

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Published : Apr 25, 2020, 11:21 PM IST

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पटना

पटना: आरक्षण के मुद्दे पर देश में एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि आरक्षण और क्रीमी लेयर के विषय को उठाकर समाज में कटुता पैदा करने की साजिश चल रही है.

उद्योग मंत्री और भारतीय धोबी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम रजक ने कहा कि आरक्षण का मुद्दा उठाकर समाज के दलित वर्ग को तोड़ने की साजिश की जा रही है. श्याम रजक ने कहा कि आरक्षण के प्रावधान को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए. मंत्री ने कहा कि आज जब पूरा विश्व कोरोना संकट से गुजर रहा है, वहीं कुछ लोगों की तरफ से समाज को तोड़ने की कोशिश की जा रही है. भारत के संविधान का मूल स्वरूप समतामूलक समाज की स्थापना है. इसी संदर्भ में संविधान के अनुच्छेद 15 खंड 3 में यह प्रावधान है कि अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में विशेष अवसर दिया जाएगा.

कई बड़े नेताओं को पत्र
प्रोन्नति में आरक्षण का उद्देश्य है कि नीति निर्धारण और महत्वपूर्ण विभागीय फैसले लेने वाले पदों पर अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग भी पहुंच सकें. ऐसे में जबकि आरक्षित पदों पर बैकलॉग की स्थिति बनी रहती है, पद खाली रहते हैं. ऐसी स्थिति में पदोन्नति वर्तमान स्वरूप में उलटफेर से अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग उच्च पदों पर नहीं पहुंच पाएंगे. श्याम रजक ने इसके अलावा देश के कई बड़े नेताओं को भी पत्र लिखा है.

पटना: आरक्षण के मुद्दे पर देश में एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि आरक्षण और क्रीमी लेयर के विषय को उठाकर समाज में कटुता पैदा करने की साजिश चल रही है.

उद्योग मंत्री और भारतीय धोबी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम रजक ने कहा कि आरक्षण का मुद्दा उठाकर समाज के दलित वर्ग को तोड़ने की साजिश की जा रही है. श्याम रजक ने कहा कि आरक्षण के प्रावधान को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए. मंत्री ने कहा कि आज जब पूरा विश्व कोरोना संकट से गुजर रहा है, वहीं कुछ लोगों की तरफ से समाज को तोड़ने की कोशिश की जा रही है. भारत के संविधान का मूल स्वरूप समतामूलक समाज की स्थापना है. इसी संदर्भ में संविधान के अनुच्छेद 15 खंड 3 में यह प्रावधान है कि अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में विशेष अवसर दिया जाएगा.

कई बड़े नेताओं को पत्र
प्रोन्नति में आरक्षण का उद्देश्य है कि नीति निर्धारण और महत्वपूर्ण विभागीय फैसले लेने वाले पदों पर अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग भी पहुंच सकें. ऐसे में जबकि आरक्षित पदों पर बैकलॉग की स्थिति बनी रहती है, पद खाली रहते हैं. ऐसी स्थिति में पदोन्नति वर्तमान स्वरूप में उलटफेर से अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग उच्च पदों पर नहीं पहुंच पाएंगे. श्याम रजक ने इसके अलावा देश के कई बड़े नेताओं को भी पत्र लिखा है.

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