पटना: बिहार के चुनावी महासंग्राम में इस बार नीतीश कुमार की अग्नि परीक्षा है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन नेता एक बार फिर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. लेकिन इस बार की राह आसान नहीं दिखाई दे रही है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्र के दौरान तीन रैलियां कर अपने इरादे जाहिर कर दिए. साथ ही बिहार के राजनीति को नया मोड़ दे दिया.
पीएम मोदी के सहारे नीतीश कुमार
एक वक्त था जब नीतीश कुमार चमकता सितारा हुआ करते थे. एनडीए के साथ रहते नीतीश को कभी बीजेपी के किसी बड़े नेता की जरूरत महसूस नहीं हुई. बिहार चुनाव में इस बार नीतीश कुमार को पीएम मोदी की जरूरत महसूस हो रही है. देसी जाट नीतीश कुमार पीएम मोदी के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से एनडीए में विश्वास बढ़ा है और कन्फ्यूजन की स्थिति से मुक्ति मिली है- डॉ.राम सागर सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
प्रधानमंत्री के दौरे से चुनाव के नैरेटिव बदले है प्रधानमंत्री ने साफ संकेत दिया कि बिहार में एनडीए है तभी विकास है. नीतीश कुमार को एक और मौका दिया गया तो केंद्र के सहयोग से बिहार में विकास के नए आयाम देखने को मिलेंगे- डॉ.संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
नीतीश तीन बार बन चुके मुख्यमंत्री
पहली बार 2005 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चुनाव जीते और मुख्यमंत्री बने. दूसरी बार परफॉरमेंस ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया और तीसरी बार बड़े भाई लालू के सहारे नीति सीएम की कुर्सी तक पहुंचे.
जेडीयू का कार्यकाल | साल |
2005-2010 (NDA) | 5 |
2010-2015 (NDA) | 5 |
2015-2020 (महागठबंधन/NDA) | 5 |
कभी नीतीश को नापसंद थे पीएम मोदी
2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को बिहार आने से मना कर दिया था और कहा था कि यहां पहले से मोदी हैं दूसरे किसी मोदी की जरूरत नहीं है. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीतीश कुमार की जरूरत बन चुके हैं. एनडीए नेताओं को लग रहा है कि प्रधानमंत्री उनके तारणहार हो सकते हैं.