पटना: साल 2021 समाप्ति की ओर है और बीते साल की यादों के साथ 2022 के नये दौर की तरफ बढ़ रहा है. बिहार में राजनीति की दृष्टि से देखें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2021 में बिहार का 15 साल मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ है. अब नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री हो गए हैं. 2021 में नीतीश कुमार ने सरकार और संगठन के स्तर पर भी कई बड़े फैसले लिए हैं.
ये भी पढ़ें- CM नीतीश के 'नवरत्न'! जिन्हें लेकर बिहार में आया राजनीतिक बवंडर
संगठन स्तर पर बड़े बदलाव
नीतीश कुमार के लिए 2021 मिली जुली उपलब्धियों के लिए जाना जाएगा. सरकार और संगठन के स्तर पर कई बड़े कदम मुख्यमंत्री ने उठाए हैं. 2020 चुनाव में खराब परफॉरमेंस के बाद सबक लेते हुए नीतीश कुमार ने पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन किए. नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाईटेड की कमान जहां अपने पुराने नजदीकियों में से एक ललन सिंह को सौंप दी तो, वहीं प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी उमेश कुशवाहा को दी. सबसे बड़ा फैसला अपने पुराने सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा को फिर से पार्टी में शामिल कराने का रहा, जिसे कोइरी कुर्मी वोट बैंक को लेकर नीतीश कुमार का बड़ा कदम माना जा रहा है.
संगठन स्तर पर लिए गए फैसलों का असर भी हुआ. विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी को बड़ी जीत मिली. हालांकि, यह भी चर्चा होती रही कि पार्टी गुटों में बंटी हुई है. आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद उनका अलग गुट पार्टी में काम कर रहा है और पार्टी में ललन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा का अलग गुट है. ललन सिंह के आने के बाद आरसीपी सिंह के नजदीकियों को बाहर का रास्ता भी दिखाया गया है.
सुशासन के लिए CM की कवायद
वहीं, सरकार के स्तर पर लोगों से संवाद के लिए नीतीश कुमार ने 5 साल बाद लोगों से संवाद के लिए फिर से जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम (Nitish Kumar Janata Darbar) की शुरुआत की. 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता दरबार लगाकर बंद कर दिया था, उनका कहना था कि लोगों को लोक शिकायत अधिकार कानून दे दिया है, अब जनता दरबार की जरूरत नहीं है. लेकिन, 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू के खराब परफॉरमेंस के बाद लोगों से संवाद के लिए 5 साल बाद फिर से जनता दरबार शुरू करने का बड़ा फैसला लिया. 12 जुलाई से जनता दरबार लगातार चल रहा है, हालांकि अभी सीमित संख्या में ही लोग आ रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायतों का जनता दरबार में ही समाधान करने की कोशिश मुख्यमंत्री कर रहे हैं.
विशेष सशस्त्र पुलिस पर विधानसभा में हंगामा
पुलिस बिल को लेकर खूब विवाद भी हुआ. बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 (Bihar Special Armed Police) बजट सत्र में पेश किया गया. विधानसभा परिषद को पुलिस ने अपने सुरक्षा घेरे में लिया. विपक्ष की ओर से लगातार इस बिल का विरोध किया जाता रहा. हालांकि, काफी हंगामे के बीच इस बिल को दोनों सदनों से पास करा लिया गया. 23 मार्च 2021 को जिस तरीके की घटना बिहार विधानसभा में हुई उसने बिहार की छवि को पूरे देश में प्रभावित किया.
ये भी पढ़ें- स्पेशल स्टेटस पर बीजेपी से जेडीयू नाराज, क्या चुनावों से पहले चौंकाने वाले निर्णय लेंगे नीतीश कुमार?
शराबबंदी को लेकर एक्शन में सरकार
बिहार में शराबबंदी को लेकर भी बिहार में खूब चर्चा होती रही. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समीक्षा के बाद पुलिस एक्शन में है और उस पर भी सवाल उठ रहे हैं. नीतीश कुमार ने शराबबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कड़क आईएएस अधिकारी को भी लगाया है. शराबबंदी कानून सही ढंग से लागू हो इसके लिए मुख्यमंत्री खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं, क्योंकि लगातार शराब की बड़ी खेप बरामद हो रही हैं. जहरीली शराब से भी पिछले दिनों बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. इन सब को लेकर नीतीश निशाने पर थे और इसलिए नीतीश पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं.
इन सभी बड़े फैसलों के बीच सीएम नीतीश कुमार ने 3 नए विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा भी की. कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया गया. कोरोना के कारण सरकार के कामकाज पर भी असर पड़ा. कोरोना के मामलों को लेकर विपक्ष के हमलों का सामना भी करना पड़ा. हालांकि, साल के अंतिम महीनों में कोरोना पूरी तरह से नियंत्रण में आ गया और सरकार के लिए यह बड़ी राहत की बात रही. मुख्यमंत्री 2021 की विदाई समाज सुधार अभियान यात्रा से कर रहे हैं. साल का अंतिम कैबिनेट राजधानी पटना से बाहर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर में करने के बाद मुख्यमंत्री ने अपनी यात्रा की शुरुआत की. कुल मिलाकर देखें तो नीतीश कुमार की 2021 में मिली जुली उपलब्धियां रही, तो कुछ मुद्दों पर विवाद भी रहा.
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP