पटना: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बिहार में सियासी घमासान (Political Turmoil Over Presidential Election In Bihar) मचा हुआ है. इसी क्रम में प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए (Presidential Election In India) विपक्ष की तरफ से घोषित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पटना पहुंचे. उन्होंने बिहार में विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की और प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र सरकार और बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा. महागठबंधन के विधायकों, सांसदों से अपने लिए समर्थन मांगने आए यशवंत सिन्हा ने एक तरफ जहां वर्तमान केंद्र सरकार पर निशाना (Yashwant Sinha Target Central Government) साधा, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) पर तंज कसा और कहा कि शायद मैं उनके स्टेटस के लायक नहीं हूं. इसलिए उन्होंने मेरा कॉल रिसीव नहीं किया.
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यशवंत सिन्हा ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना : सांसदों और विधायकों से मीटिंग करने के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए यशवंत सिन्हा ने सबसे पहले अपना बिहार से गहरा रिश्ता नाता होने का इमोशनल कार्ड खेला. उन्होंने कहा कि इसी पटना के लोहानीपुर में मेरा जन्म हुआ था और पढ़ाई-लिखाई के बाद मैं पटना यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बना. उसके बाद से जब मैं आईएएस बना तो मुझे बिहार कैडर मिला. बहुत दिनों तक एक आईएएस ऑफिसर के रूप में मैंने इस राज्य में अपनी सेवाएं दी थी. मुझे बिहारी होने पर गर्व है और मुझे इस बात की खुशी है कि इस अभियान के सिलसिले में मैं अपने जन्म स्थान पर आया हूं.
'ऐसे तो हर 5 साल पर राष्ट्रपति का चुनाव होता है. लेकिन इस बार का चुनाव बहुत ही विशेष परिस्थिति में हो रहा है. देश की लोकशाही इतने खतरे में कभी नहीं थी, जितनी आज के तारीख में है. रोज उसका एक नया प्रमाण हमारे सामने आ रहा है. विधानसभा और लोकसभा ऐसे हाउसेस हैं, जहां सीधे चुनकर लोग जनता के बीच सही पहुंचते हैं. हर देश में जहां पर प्रजातंत्र है. वहां पर विधानसभा या लोकसभा को प्रजातंत्र का मंदिर कहा जाता है. वहां के सदस्यों को पूरी छूट रहती है कि वह अपनी बात सदन में रख सके. बहुत सारे शब्दों को असंसदीय बना दिया गया है. अब तानाशाह, जुमलेबाजी शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. 18 जुलाई से पार्लियामेंट का सत्र शुरू हो रहा है तो क्या दृश्य होगा? यही होगा कि एक सदस्य बोलने के लिए खड़ा होगा और उसके हर वाक्य पर सत्तारूढ़ दल के लोग और चेयर पर बैठे हुए व्यक्ति कहेंगे कि आप रुक जाइए, आप असंसदीय भाषा का प्रयोग कर रहे हैं.' - यशवंत सिन्हा, विपक्षी राष्ट्रपति उम्मीदवार
यशवंत सिन्हा ने बिहार सरकार पर कसा तंज : यशवंत सिन्हा ने अपने हमलों के दौर को जारी रखते हुए कहा कि इसी के साथ ही अभी खबर आई है कि पार्लियामेंट परिसर के अंदर कोई धरना भी नहीं दे सकता है. उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार को अब यह भी आदेश पारित करना चाहिए कि सांसद क्या कपड़ा पहन के आएंगे, एक लाइन में बैठ जाएंगे और उसके मुंह पर पट्टी लगी होगी. देश की संसद का इतना पंगु बनते हुए मैंने नहीं देखा. यशवंत सिन्हा ने कहा कि इस देश में प्रजातंत्र समाप्त हो गया है. अगर देश की जनता नहीं जागी तो इससे भी भयंकर रूप देखने को मिल सकता है. पार्लियामेंट्री सिस्टम में एक फायदा यह होता है कि सरकार सबको बुलाकर उसकी राय लेती है, उसके बाद एक मत बना कर आगे बढ़ा जाता है. लेकिन आज की भारत सरकार सहमति बनाने में यकीन नहीं रखती है. वह बिना सोचे-समझे अपनी बात चलाना चाहती है.
अग्निपथ स्कीम को लेकर केंद्र सरकार को घेरा : अपने संबोधन के दौरान अग्नीपथ स्कीम का जिक्र करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि इसे लेकर सबसे ज्यादा बवाल बिहार में हुआ. उन्होंने कहा कि दुनिया के हर देश में एक तरीका होता है कि एक आर्मी होती है, उसमें लोग भर्ती होते हैं और एक नेशनल सर्विस होती है. अग्नीपथ राष्ट्रीय सेवा भी नहीं है और फौज भी नहीं है. 4 साल के बाद वह नौजवान कहां जाएगा?. अग्निवीर बाद में सड़क वीर बनेगा. उसके बाद देश की सड़कों पर उत्पात होगा, उसकी कल्पना हम आज नहीं कर सकते. अपने संबोधन में लगातार हमला जारी रखते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति का पद बहुत गरिमा का पद होता है. संविधान में उसे बहुत अधिकार नहीं दिए गए हैं. लेकिन राष्ट्रीय पद की जो गरिमा है, उससे बहुत कुछ अधिकार है. वह प्रधानमंत्री को बुलाकर अपनी बात कह सकते हैं. सरकार को सही और गलत की जानकारी दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति इस तरह का होना चाहिए जो प्रधानमंत्री को बुलाकर स्पष्ट तरीके से अपनी बातों को रख सके. अगर राष्ट्रपति रबड़ स्टैंप है और प्रधानमंत्री के हाथों का कठपुतली है तो संविधान का दायित्व पूरा नहीं होगा. इसलिए आज के दिन का राष्ट्रपति चुनाव महत्वपूर्ण हो जाता है. अगर इस चुनाव में कोई ऐसा राष्ट्रपति बनता है जो रबर स्टैंप हो, तो इस सरकार को गलती करने और ज्यादा करने से कोई रोक नहीं सकता है.
यशवंत सिंहा ने इस राष्ट्रपति चुनाव को बताया अहम : यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं बिहार की धरती पर आया हूं. मैं यहां का पुत्र हूं, इसलिए मेरा यहां अधिकार भी बनता है. मैं बिहार के सारे सांसदों, विधायकों से कहना चाहता हूं कि यह एक ऐसा मौका है कि आपको अपने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए वोट देना होगा. राष्ट्रपति के चुनाव में कोई व्हीप जारी नहीं होता. पार्टियों को यह अधिकार नहीं होता है कि वह व्हीप लागू करे और वोट भी सीक्रेट बॉक्स में डाला जाता है. यह प्रावधान संविधान के निर्माताओं ने इसलिए किया है कि वह चाहते थे कि जनता के जो चुने हुए प्रतिनिधि हैं, वह इस चुनाव में अपने विवेक का इस्तेमाल करें.
'विधायक, सासंद वोटिंग के वक्त अपने विवेक का करे इस्तेमाल' : यशवंत सिन्हा ने आगे कहा कि मैं बिहार के सारे विधायकों सांसदों से कहना चाहता हूं कि वह अपनी अंतरात्मा को सुनें. अगर नए राष्ट्रपति चुना जाता हूं तो राजेंद्र बाबू के राष्ट्रपति चुने जाने के 60 साल के बाद कोई यहां से राष्ट्रपति बनेगा. मुझे पूरा विश्वास है कि अगर विधायक और संसद अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनते हैं तो उनका वोट मुझे ही जाएगा. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का जिक्र करते हुए कहा कि मैं तेजस्वी यादव को बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने यहां विपक्षी दलों को एकजुट करने का कार्य किया है. मुझे पूरा विश्वास है कि यहां के सारे दल तेजस्वी जी के नेतृत्व में इकट्ठे रहेंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता इस विपक्षी एकता को आगे बढ़ाएगी.
'CM नीतीश कुमार ने मेरा कॉल नहीं किया रिसीव' : यशवंत सिन्हा ने कहा कि जब विपक्षी दलों ने दिल्ली में यह तय किया कि राष्ट्रपति के चुनाव में मैं उनका साझा उम्मीदवार बनूंगा तो मैं कई लोगों को देश भर में फोन कर रहा था. बिहार के मुख्यमंत्री को भी मैंने कई बार कॉल किया, संदेश पहुंचाया कि मैं उनसे बात करना चाहता हूं. लेकिन स्टेटस की तुलना में शायद मैं इतना नीचे था, इसलिए उन्होंने मुझसे बात करना उचित नहीं समझा. मैं मानता हूं कि नीतीश जी को बिहार के बारे में सोचना चाहिए. अगर उम्मीदवार बिहार से हैं तो वह बिहार के उम्मीदवार के पक्ष में क्यों नहीं आए, यह मुझे समझ नहीं आया. उन्होंने बताया कि जिस दिन द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा हुई, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने साथ ही साथ घोषणा कर दी कि चुकी द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा की बेटी है तो वह समर्थन करेंगे. जब प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनी तो शिवसेना ने अपने लाइन से हटकर समर्थन किया था. अगर नीतीश जी बिहार का नहीं ब्रह्मांड का सोचते हैं तो मैं नहीं जानता हूं. एक अन्य सवाल के जवाब में यशवंत सिन्हा ने कहा कि अब मेरे पास महाराष्ट्र जाने का वक्त नहीं है. शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा उन दोनों विपक्ष की बैठक में मौजूद थे, जिसमें मेरे नाम के ऊपर सहमति बनी. उनकी क्या मजबूरी है वह बताएंगे. मैं भारत सरकार से एक राजनीतिक लड़ाई नहीं लड़ रहा हूं, मैं उन सारी भारत सरकार की शक्तियों से भी लड़ाई लड़ रहा हूं. एक अन्य सवाल के जवाब में यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं लड़ने वाला व्यक्ति हूं.
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बिहार में तैयारी तेज : गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होने हैं. चुनाव आयोग के अनुसार 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होंगे और 21 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे. 29 जून नामांकन की आखिरी तारीख थी. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से जहां द्रौपदी मुर्मू को (Presidential Candidate Draupadi Murmu) प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा गया है. यशवंत सिन्हा 15 जुलाई को बिहार दौरे हैं. जबकि द्रौपदी मुर्मू का बिहार दौरा हो चुका है. बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में चुने हुए प्रतिनिधि ही वोट डाल सकते हैं. विधान परिषद के सदस्यों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है. आबादी के हिसाब से जनप्रतिनिधियों के वोटों की कीमत तय होती है. राज्यसभा लोकसभा और विधानसभा का कुल 81687 मत बिहार के पास (Bihar connection of presidential election) है. वर्तमान परिस्थितियों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास 54540 मत है तो विपक्ष के खाते में 25024 मत है. भाजपा 28189, जदयू 21945, राजद 15980, कांग्रेस 4703 माले के पास 2076 वोट हैं.
एनडीए की राज्यों में स्थिति कमजोर : राज्यों में कुल मिलाकर 4033 विधायक हैं, जिनके 546000 पॉइंट्स हैं. 17 राज्यों में बीजेपी की सरकार है, लेकिन 9 राज्य ऐसे हैं जहां के विधायकों के वोटों की वैल्यू 30 पॉइंट से भी कम है. विपक्ष के पास 11 राज्यों में सरकार है, लेकिन 8 बड़े राज्य उनके खाते में है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पक्ष में राज्यों में कुल मिलाकर 220937 पॉइंट्स हैं. एनडीए के साथ 40.43% का समर्थन है, जबकि विपक्ष के पास विधानसभाओं में 324590 पॉइंट हैं. विधानसभा में विपक्ष के साथ 59.57% विधायकों का समर्थन है. राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के कुल 56 सांसद हिस्सा लेगें और विधायकों की संख्या 243 है. वोट के लिहाज से बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन जदयू की भूमिका भी अहम है. बिहार के एक विधायक का वोट वैल्यू 173 है. इस हिसाब से देखें तो विधायकों का वोट वैल्यू 42,039 है. वहीं, राज्यसभा और लोकसभा के सांसद का वोट वैल्यू 700 है. बिहार में 56 सांसद हैं, इसलिए आपसे सांसदों का वोट वैल्यू 39,200 है. बिहार में राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 81,230 वोट हैं. वोट के लिहाज से एनडीए की स्थिति मजबूत दिख रही है. जदयू, बीजेपी, हम और रालोजपा का वोट मिला दें, तो कुल मिलाकर 55,398 वोट होते हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन की बात करें तो, महागठबंधन के पास कुल मिलाकर 24,130 वोट है और इसमें अगर एआईएमआईएम के 5 विधायकों का वोट जोड़ दिया जाए तो विपक्ष के पास वोटों की संख्या 24,968 हो जाती है.