पटना: बिहार सरकार ने 20 अप्रैल से ही गेहूं की अधिप्राप्ति (Wheat procurement in Bihar) इस बार शुरू कर दी है. 30 मई तक गेहूं की अधिप्राप्ति की जाएगी. इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल है. इसी दर से अधिप्राप्ति की जा रही है. इसस बार बिहार में गेहूं अधिप्राप्ति लक्ष्य से काफी पीछे है. बिहार की खाद्य आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह (Bihar Food Supplies Minister Leshi Singh) का कहना है इस बार गेहूं अधिप्राप्ति का लक्ष्य 10 लाख मैट्रिक टन रखा गया है. 10 हजार से अधिक किसानों ने रजिस्ट्रेशन भी करवाया है. 790 मेट्रिक टन गेहूं की अधिप्राप्ति अभी तक हुई है.
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30 मई तक अधिप्राप्ति: उन्होंने कहा कि बाजार में किसानों को अधिक मूल्य मिल रहा है इसलिए अभी अधिप्राप्ति नहीं हो पा रही है. ऐसे 30 मई तक अधिप्राप्ति की जाएगी. अभी समय है. ऐसे सरकार का मकसद यही है कि किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले. जो न्यूनतम खरीद मूल है, हर हाल में किसानों को उससे कम ना मिले. बाजार में अभी किसानों को गेहूं का अधिक मूल्य मिल रहा है तो यह अच्छी बात है.
सीधे किसानों के खाते में भुगतान: बिहार सरकार की ओर से रैयत किसानों से अधिकतम 150 क्विंटल और गैर रैयत किसानों से अधिकतम 50 क्विंटल की गेहूं अधिप्राप्ति का प्रावधान रखा गया है. अधिप्राप्ति किए गए गेहूं का भुगतान किसानों के खाते में सीधे किया जाएगा. नगद राशि देने का कोई प्रावधान नहीं है. साथ ही किसानों को कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड भी करना होगा. बिहार में गेहूं की खरीद पैक्स और व्यापार मंडल के माध्यम से की जा रही है.
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