पटना : बिहार की सत्ताधारी दल जेडीयू में आरसीपी सिंह को लेकर कई तरह की चर्चा लंबे समय से चल रही है. तेलंगाना में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान आरसीपी सिंह के हैदराबाद पहुंचने पर जिस प्रकार से स्वागत हुआ और उसकी तस्वीर जारी हुई उसको लेकर भी बिहार में बवाल मचा. बीजेपी के साथ आरसीपी सिंह की नजदीकियां कोई आज की बात नहीं है. इसके कारण ही आरसीपी सिंह को खामियाजा भी उठाना पड़ रहा है. इस तस्वीर के बाद जो उनका विरोधी खेमा है उसे एक और मौका मिल गया है. ऐसे में 6 जुलाई के बाद केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) का क्या भविष्य होगा इस पर राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि पार्टी में बने रहना उनके लिए आसान नहीं होगा उन्हें नया ठिकाना ढूंढना ही पड़ेगा.
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''पार्टी में आरसीपी सिंह की स्थिति कमजोर हुई है, क्योंकि अध्यक्ष ललन सिंह पसंद नहीं करते हैं. उनके खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं. अब तो सवाल यह है कि 6 जुलाई के बाद केंद्र में मंत्री नहीं रहेंगे तो क्या करेंगे? सामान्य कार्यकर्ता के रूप में जेडीयू में उनका रहना संभव होगा क्या? नीतीश कुमार के कृपा पात्र नहीं रहे तो घर बैठेंगे या फिर राजनीति में रहेंगे. लेकिन कौन सा आधार होगा क्योंकि जेडीयू में नीतीश कुमार के जन्मदिन पर उन्होंने कार्यक्रम करने की घोषणा की थी लेकिन पार्टी ने रोक दिया तब नालंदा में जाकर छोटा-मोटा कार्यक्रम कर लिया था. नीतीश कुमार की कृपा भी नहीं रही और ललन सिंह का रवैया उनके खिलाफ जगजाहिर है. ऐसे में आरसीपी सिंह के लिए पार्टी में सम्मानजनक स्थिति अब नहीं है. बीजेपी के साथ उनकी नजदीकियां तो बढ़ी है और उसके कारण भी उन्हें नुकसान हुआ है. लेकिन यह सच्चाई है कि नीतीश कुमार के रहते बीजेपी आरसीपी सिंह को क्यों गले लगाएगी क्योंकि 2024 का चुनाव महत्वपूर्ण है और बीजेपी के लिए नीतीश कुमार मजबूरी है.''- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ
क्या बोले BJP और JDU के नेता : बीजेपी के नेता जेडीयू का अंदरूनी मामला बता रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है यह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को देखना है कि आरसीपी सिंह को किस काम में लगाना है. इससे बीजेपी का कोई लेना देना नहीं. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा भी कह रहे हैं कि आरसीपी सिंह के कार्यकाल को लेकर हमारे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही बयान दिया था. इसके अलावा मुझे कोई जानकारी नहीं है. कुल मिलाकर जेडीयू के नेता 7 जुलाई तक इंतजार कर रहे हैं.
आरसीपी सिंह और ललन सिंह में दूरियां : जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. 6 जुलाई को उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है. ऐसे में 7 जुलाई से आरसीपी सिंह क्या करेंगे? बीजेपी से नजदीकियों के कारण आरसीपी सिंह पर कई तरह के आरोप भी लगते रहे हैं. जब से केंद्र में मंत्री बने हैं, पार्टी में उनके खिलाफ कई खेमा बन चुका है. ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अप्रत्यक्ष रूप से उनके खिलाफ अभियान भी चला रहे हैं. क्योंकि ललन सिंह खुद केंद्रीय मंत्री बनना चाहते थे लेकिन नहीं बने. इसलिए आरसीपी सिंह के साथ ललन सिंह का 36 का आंकड़ा बना हुआ है.
क्या करेंगे आरसीपी सिंह? : दरअसल, केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ही आरसीपी सिंह की पार्टी पर पकड़ कमजोर होती गई. ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में उनके लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो गई है. आरसीपी सिंह एक समय नीतीश कुमार के बाद दो नंबर की कुर्सी के दावेदार माने जाते थे लेकिन आज पार्टी में हाशिए पर पहुंच गए हैं. ऐसे में सबकी नजर 6 जुलाई पर टिकी है कि 6 जुलाई के बाद आरसीपी सिंह क्या फैसला लेते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हैं? अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हैं तो फिर आगे क्या कुछ करेंगे? लेकिन हाल में तेलंगाना बीजेपी के तरफ से जिस प्रकार से स्वागत किया गया और फोटो जारी किया गया उससे उनके विरोधी खेमे को पार्टी के अंदर अपनी स्थिति मजबूत करने का और मौका मिल गया है.