पटना : विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahni) इन दिनों जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं. उन्होंने द्रास में कारगिल वार मेमोरियल जाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और शहीदों को याद (Mukesh Sahni Homage to Martyrs At Kargil War Memorial ) किया. उन्होंने कहा कि द्रास में जब से 'कारगिल वॉर मेमोरियल' बना, कारगिल एक तरह से तीर्थस्थल बन गया है.
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''देश की सीमा को सुरक्षित रखने के लिए वीर जवानों ने अपनी प्राणों की आहुति दी. इन शहीद जवानों ने देश की रक्षा के लिए हंसते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी, लेकिन आज देश के अंदर ही धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है. कारगिल वार मेमोरियल में द्वार पर उकेरी 'जब आप घर जाएं तो लोगों को जरूर बताएं कि आपके कल के लिए हमने अपना आज कुर्बान किया है' ये पंक्तियां किसी भी भारतीय को गौरवान्वित करती है.''- मुकेश सहनी, वीआईपी प्रमुख
'धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा' : वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा कि देश में आज धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है और राजनीति की रोटी सेंकी जा रही है. देश की पहचान धर्मनिरपेक्षता रही है, जहां सभी समाज, धर्म के लोग साथ रहते हैं. आज इसी पहचान को मिटाया जा रहा है.
द्रास में कारगिल वॉर मेमोरियल : जम्मू कश्मीर के द्रास में 'कारगिल वॉर मेमोरियल' एक तरह से तीर्थस्थल बन गया है. 9 नवंबर 2004 को इस वॉर मेमोरियल को देश को समर्पित किया गया था. जहां पर तिरंगा लहराता है, उसके ठीक पीछे आपको एक तरफ टाइगर-हिल तो दूसरी ओर तोलोलिंग हिल नजर आता है. यहां गुलाबी रंग की इमारत में अमर जवान ज्योति जलती रहती है. पीछे की ओर एक बड़ी-सी दीवार पर सभी शहीदों के नाम लिखे हुए हैं. बगल में सभी शहीदों के नाम के साथ उनकी बटालियन लिखे हुए पत्थर भी लगाए गए हैं.
कारगिल युद्ध में 527 जवान शहीद हुए थे : कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है. पाकिस्तान की सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी. जिसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान की नापाक इरादों को धवस्त करते हुए उसे पीछे खदेड़ दिया. हालांकि इसमें 527 बहादुर जवान शहीद हो गए थे. 1300 जवान घायल भी हुए थे.
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