पटना: आईआईटी पटना कैंपस में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अनुसंधान अवसंरचना और उद्यमिता को बढ़ावा को लेकर तीन दिवसीय कार्यशाला (workshop at iit patna campus) का आयोजन विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विकास और संवर्धन के उद्देश्य से किया गया. इसका उद्घाटन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह (Union Minister RK Singh), राज्य सरकार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन एवं भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री आर के सिंह, उद्योग मंत्री शहनाज हुसैन एवं भवन मंत्री अशोक चौधरी ने -20 डिग्री पर चलने वाले इनवर्टर का भी लोकार्पण किया. इसे आईआईटी पटना के छात्रों ने बनाया है.
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम इनोवेशन और आईडेएशन को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया है. यहां नये-नये प्रोडक्ट का इन्वेशन हो, इसके बारे में यह क्रांफ्रेस था. यह गर्व की बात है कि हमारे यहां आईआईटी है. हम लोगों का यह प्रयास रहेगा कि इसको देश के अग्रणी आईआईटी में से एक बनायें. उसके लिए जो उर्जा मंत्रालय से जो भी सहायता जरुरत होगी, करेंगे. रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए सहायता देंगे.
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तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य वर्तमान युग में आर्थिक प्रगति एवं सामाजिक उत्थान के लिए तकनीकी क्षेत्र में विकास एवं लोकल स्तर पर सामाजिक समस्याओं के समाधान हेतु तकनीक के उपयोग बढ़ावा देना है. इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु विज्ञान एवं प्राविधिक क्षेत्र में तकनीक विकास एवं अविस्कार का कार्य लगातार चलाना चाहिए. देश की समृद्धी एवं समग्र विकास के लक्ष्य की पूर्ति तभी संभव है जब प्रत्येक राज्य विकास के पथ पर चलना प्रारम्भ करे. यह तभी संभव है जब विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान विकास एवं उत्पाद प्रसंस्करण की विधि विकसित करने के लिए सतत प्रयास चल रहा हो. इस कार्य के संपादन हेतु शिक्षण संस्थान, औद्योगिक प्रतिष्ठान एवं सरकार को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है.
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साथ ही इस कार्यशाला का उद्देश्य बिहार में शैक्षणिक संस्थानों के प्राध्यापकों, युवा छात्रों और उद्यमियों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि उन्हें अल्पकालिक और दीर्घकालिक परियोजनाओं के माध्यम से सामाजिक प्रासंगिकता के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास से संबंधित समस्याओं का व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए उत्प्रेरित किया जा सके. इस कार्यशाला में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड, डीआरडीओ, सीएसआईआर, शैक्षणिक संस्थानों, उद्योगों और वित्त पोषण एजेंसियों के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के व्याख्यान शामिल हैं.
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