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तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पास, JDU ने बनाई दूरी - Central Government

पिछले 6 महीने में दूसरी बार लोकसभा में तीन तलाक विधेयक को मंजूरी मिली है. इससे पहले लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में मामला अटक गया था. कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी, टीडीपी और जेडीयू ने इस बिल का विरोध किया. इस बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े

तीन तलाक बिल पर JDU ने बनाई दूरी
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Published : Jul 25, 2019, 7:42 PM IST

नई दिल्ली/पटना: मोदी सरकार की बहुचर्चित विधेयक तीन तलाक एक बार फिर लोकसभा में पास कर दिया गया है. लेकिन, एनडीए में बीजेपी की अहम सहयोगी जेडीयू ने इससे दूरी बना ली है. बहस के दौरान जेडीयू के सांसद वॉक आउट कर गये.

JDU ने किया वॉकआउट
जेडीयू पहले से भी तीन तलाक के मुद्दे पर अलग मत रख रही थी. पार्टी की ओर से पहले ही स्पष्ट किया गया था कि तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार को जेडीयू का साथ नहीं मिलेगा. बता दें कि पिछले 6 महीने में दूसरी बार लोकसभा में तीन तलाक विधेयक को मंजूरी मिली है. इससे पहले लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में मामला अटक गया था.

'बिना तलाक लिए अपनी पत्नियों को छोड़ने पर भी कानून बने'
इसके पहले जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलियावी ने कहा था कि सरकार को पहले यह बताना चाहिए कि तीन तलाक के साथ साथ उन पतियों को लेकर क्यों नहीं कानून बनाया गया जो बिना तलाक लिए अपनी पत्नियों को छोड़ देते हैं. अगर ऐसा कोई प्रावधान नहीं है तो इस पर भी विचार करके नियम बनाए जाने चाहिए.

'पार्टी अपने स्टैंड पर कायम है और रहेगी'
जेडीयू नेता ने कहा कि पूरे देश में जितने भी राजनीतिक दल हैं उन सबमें से जेडीयू ने अपने पार्टी फोरम में राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर तीन तलाक, बाबरी मस्जिद, राम जन्मभूमि विवाद, एनआरसी, सिविल कोड जैसे मुद्दों से अपने आप को अलग करने का ऐलान बहुत पहले किया है. पार्टी उसी स्टैंड पर कायम है और उसी पर रहेगी.

बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट
लोकसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को ट्रिपल तलाक बिल दिन भर चली बहस के बाद लोकसभा में पास हो गया. इस बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े. इसके साथ ही बिल पास हो गया. इससे पहले ओवैसी द्वारा लाए गए संशोधन को लोकसभा में ध्‍वनिमत से खारिज कर दिया गया. कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी, टीडीपी और जेडीयू ने इस बिल का विरोध किया.

क्या है प्रावधान
बता दें कि विधेयक में एक साथ तीन तलाक कहकर तलाक दिए जाने को अपराध करार दिया गया है. इसके साथ ही दोषी को जेल की सजा का भी प्रावधान है. सरकार पार्ट टू में मई में इस बिल का मसौदा पेश किया गया था. कई विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

राज्यसभा से बिल पास कराना टेढ़ी खीर
हालांकि लोकसभा इस बिल को पास करा लिया गया है, लेकिन राज्यसभा से इसे पास कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. पिछले दोनों बार ही लोकसभा से पारित ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में अटक जाता है.

नई दिल्ली/पटना: मोदी सरकार की बहुचर्चित विधेयक तीन तलाक एक बार फिर लोकसभा में पास कर दिया गया है. लेकिन, एनडीए में बीजेपी की अहम सहयोगी जेडीयू ने इससे दूरी बना ली है. बहस के दौरान जेडीयू के सांसद वॉक आउट कर गये.

JDU ने किया वॉकआउट
जेडीयू पहले से भी तीन तलाक के मुद्दे पर अलग मत रख रही थी. पार्टी की ओर से पहले ही स्पष्ट किया गया था कि तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार को जेडीयू का साथ नहीं मिलेगा. बता दें कि पिछले 6 महीने में दूसरी बार लोकसभा में तीन तलाक विधेयक को मंजूरी मिली है. इससे पहले लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में मामला अटक गया था.

'बिना तलाक लिए अपनी पत्नियों को छोड़ने पर भी कानून बने'
इसके पहले जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलियावी ने कहा था कि सरकार को पहले यह बताना चाहिए कि तीन तलाक के साथ साथ उन पतियों को लेकर क्यों नहीं कानून बनाया गया जो बिना तलाक लिए अपनी पत्नियों को छोड़ देते हैं. अगर ऐसा कोई प्रावधान नहीं है तो इस पर भी विचार करके नियम बनाए जाने चाहिए.

'पार्टी अपने स्टैंड पर कायम है और रहेगी'
जेडीयू नेता ने कहा कि पूरे देश में जितने भी राजनीतिक दल हैं उन सबमें से जेडीयू ने अपने पार्टी फोरम में राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर तीन तलाक, बाबरी मस्जिद, राम जन्मभूमि विवाद, एनआरसी, सिविल कोड जैसे मुद्दों से अपने आप को अलग करने का ऐलान बहुत पहले किया है. पार्टी उसी स्टैंड पर कायम है और उसी पर रहेगी.

बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट
लोकसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को ट्रिपल तलाक बिल दिन भर चली बहस के बाद लोकसभा में पास हो गया. इस बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े. इसके साथ ही बिल पास हो गया. इससे पहले ओवैसी द्वारा लाए गए संशोधन को लोकसभा में ध्‍वनिमत से खारिज कर दिया गया. कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी, टीडीपी और जेडीयू ने इस बिल का विरोध किया.

क्या है प्रावधान
बता दें कि विधेयक में एक साथ तीन तलाक कहकर तलाक दिए जाने को अपराध करार दिया गया है. इसके साथ ही दोषी को जेल की सजा का भी प्रावधान है. सरकार पार्ट टू में मई में इस बिल का मसौदा पेश किया गया था. कई विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

राज्यसभा से बिल पास कराना टेढ़ी खीर
हालांकि लोकसभा इस बिल को पास करा लिया गया है, लेकिन राज्यसभा से इसे पास कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. पिछले दोनों बार ही लोकसभा से पारित ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में अटक जाता है.

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triple talaq bill passed in loksabha jdu walked out of the house


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