पटना: देश की आर्थिक मंदी को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को अपने बयान पर काफी फजीहल झेलनी पड़ रही है. बुधवार को मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी के बाद अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट के जरिए सुमो पर कटाक्ष किया है.
'बिहार के सबसे बड़े कुतर्क मास्टर सुशील मोदी'
तेजस्वी यादव ने लिखा है कि बिहार के सबसे बड़े कुतर्क मास्टर सुशील मोदी कभी कहते हैं कि सावन-भादो की वजह से मंदी है. कभी कहते हैं पितृ पक्ष के कारण मंदी है, कभी खरमास, कभी बाढ़-सुखाड़. तो कभी बिगड़ती कानून व्यवस्था, प्राकृतिक आपदा की वजह से मंदी है. इनके बेतुके कुतर्कों का मतलब है कि युवा घबराएं नहीं अगले 30 साल में नौकरी का इंतजाम कर देंगे.
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15 साल राज करने के बाद भी अफ़वाह महाशय कह रहे है कि बिहार ग़रीब राज्य है। नीतीश सरकार स्वयं विफलताएँ स्वीकार कर अपनी प्रचंड नाकामी की अपनी ही ज़ुबानी गवाही दे रही है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) September 19, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
बिहार में लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं हो रही है और ये महोदय टीवी पर बिस्कुट-केक खाने की परिकथाएँ सुना रहे है।
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— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) September 19, 2019
बिहार में लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं हो रही है और ये महोदय टीवी पर बिस्कुट-केक खाने की परिकथाएँ सुना रहे है।15 साल राज करने के बाद भी अफ़वाह महाशय कह रहे है कि बिहार ग़रीब राज्य है। नीतीश सरकार स्वयं विफलताएँ स्वीकार कर अपनी प्रचंड नाकामी की अपनी ही ज़ुबानी गवाही दे रही है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) September 19, 2019
बिहार में लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं हो रही है और ये महोदय टीवी पर बिस्कुट-केक खाने की परिकथाएँ सुना रहे है।
विफलताओं की गवाही खुद दे रही सरकार- तेजस्वी
लालू के लाल यहीं नहीं रुके. उन्होंने एक और ट्वीट किया. इसमें आरजेडी नेता ने लिखा कि 15 साल राज करने के बाद भी अफवाह महाशय कह रहे है कि बिहार गरीब राज्य है. नीतीश सरकार अपनी विफलताएं मान कर अपनी बड़ी नाकामी की अपनी ही जुबानी गवाही दे रही हैं. बिहार में लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं हो रही है और ये महोदय टीवी पर बिस्कुट-केक खाने की परिकथाएं सुना रहे हैं.
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बिहार के सबसे बड़े कुतर्क मास्टर सुशील मोदी कभी कहते है सावन-भादो की वजह से मंदी है। कभी कहते है पितृ पक्ष, कभी खरमास, कभी बाढ़-सुखाड़ तो कभी क़ानून व्यवस्था-प्राकृतिक आपदा की वजह से मंदी है। इनके बेतुके कुतर्कों का भावार्थ है कि युवा घबराए नहीं अगले 30 वर्ष में नौकरी मिल जाएगी।
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">बिहार के सबसे बड़े कुतर्क मास्टर सुशील मोदी कभी कहते है सावन-भादो की वजह से मंदी है। कभी कहते है पितृ पक्ष, कभी खरमास, कभी बाढ़-सुखाड़ तो कभी क़ानून व्यवस्था-प्राकृतिक आपदा की वजह से मंदी है। इनके बेतुके कुतर्कों का भावार्थ है कि युवा घबराए नहीं अगले 30 वर्ष में नौकरी मिल जाएगी।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) September 19, 2019बिहार के सबसे बड़े कुतर्क मास्टर सुशील मोदी कभी कहते है सावन-भादो की वजह से मंदी है। कभी कहते है पितृ पक्ष, कभी खरमास, कभी बाढ़-सुखाड़ तो कभी क़ानून व्यवस्था-प्राकृतिक आपदा की वजह से मंदी है। इनके बेतुके कुतर्कों का भावार्थ है कि युवा घबराए नहीं अगले 30 वर्ष में नौकरी मिल जाएगी।
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औद्योगिक घराना लॉबियों पर आरोप
बता दें कि सुशील मोदी ने कहा था कि मीडिया में ऑटोमोबाइल और दूसरे क्षेत्रों के बारे में जो रिपोर्ट देखने को मिलती है वह औद्योगिक घराना लॉबियों की ओर से टैक्स रेट को कम करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की एक चाल है. उन्होंने कहा कि पारले-जी का उदाहरण लें. बिहार में इसकी मांग बढ़ी है. ऐसे में चौंकाने वाली बात है कि मांग में गिरावट कैसे आई. केरल और तमिलनाडु जैसे विकसित राज्यों में इन बिस्कुटों के स्थान पर पेस्ट्री खाना शुरू करने से क्या ऐसा संभव है?