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जल्द बहाली की मांग कर रहे शिक्षक अभ्यर्थी, शपथ पत्र के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग

बिहार के हजारों शिक्षक अभ्यर्थी पिछले करीब 3 साल से नौकरी के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं, लेकिन अब तक किसी न किसी वजह से उनकी नियुक्ति टलती रही है. इस बार पंचायत चुनाव की वजह से सवा लाख शिक्षकों के नियोजन का मामला अधर में लटका है. अब शिक्षक अभ्यर्थियों को यह चिंता सता रही है कि एक तरफ चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच समय पर नहीं हुई, दूसरी तरफ पंचायत चुनाव के बाद भी क्या उनका नियोजन हो पाएगा. पढ़ें खास रिपोर्ट...

शिक्षक अभ्यर्थी
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Published : Nov 9, 2021, 6:45 PM IST

पटना: बिहार में वर्ष 2019 में सरकार ने करीब 90 हजार प्राइमरी और 30,000 माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन (Shikshak Niyojan) की घोषणा की थी. वर्ष 2019 के जुलाई महीने में छठे चरण के नियोजन के तहत प्राथमिक के 90762, जबकि माध्यमिक उच्च माध्यमिक के 30020 शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन उसके बाद से लगातार यह नियोजन प्रक्रिया किसी न किसी विवाद की वजह से आगे बढ़ती रही.

ये भी पढ़ें: शिक्षक नियोजन समेत कई चुनौतियों से अब तक पार नहीं पाया शिक्षा विभाग, बढ़ रही शिकायतें

इस वर्ष जब पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने नियोजन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया तो शिक्षक अभ्यर्थियों की उम्मीद बंधी थी कि अब उन्हें नौकरी मिल जाएगी, लेकिन दो राउंड की काउंसलिंग के बाद प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया पंचायत चुनाव के फेर में पड़ गई. वहीं जिन 38000 अभ्यर्थियों का चयन किया गया, उनके सर्टिफिकेट की जांच सरकार द्वारा तय 31 अक्टूबर के समय सीमा में भी नहीं हो पाई है.

देखें रिपोर्ट

इस बीच शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलों से चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट जांच की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, लेकिन यह तय है कि चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच कई जिलों में शुरू भी नहीं हुई और इसकी बड़ी वजह पंचायत चुनाव मानी जा रही है. जिसमें सरकार के तमाम पदाधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह से व्यस्त हैं, लेकिन चयनित अभ्यर्थियों को इस बात का अंदेशा है कि लेट लतीफी के चक्कर में यह मामला लंबा खिंच सकता है.

चयनित शिक्षक अभ्यर्थी श्रद्धा शिवांगी ने ईटीवी भारत को बताया की महिलाओं को सरकार रिजर्वेशन देकर आगे बढ़ाने का दावा करती है, लेकिन पिछले कई महीनों से हम चयनित होकर भी नियुक्ति के लिए इंतजार कर रहे हैं. श्रद्धा ने सरकार से मांग की है कि वह शपथ पत्र लेकर हमारी नियुक्ति करें और सर्टिफिकेट जाली पाए जाने पर हम पर कानूनी कार्रवाई करें

वहीं, एक और शिक्षक अभ्यर्थी और एनआईओएस डीएलएड संघ के अध्यक्ष पप्पू कुमार ने बताया कि सरकार शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ ना जाने क्यों पक्षपात कर रही है. उन्होंने कहा कि दूसरे विभागों में धड़ल्ले से नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है लेकिन शिक्षक नियोजन के मामले में पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए नियुक्ति पत्र और काउंसलिंग पर रोक लगाई गई है. पप्पू कुमार ने सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द शिक्षकों की काउंसलिंग कराई जाए और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाए.

ये भी पढ़ें: करोड़ों खर्च के बावजूद कुछ नहीं बदला! बिहार के सरकारी स्कूलों में शौचालय और पेयजल तक की व्यवस्था नहीं

इस बारे में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद दूसरे राउंड की बची हुई 1368 नियोजन इकाइयों की 12495 सीटों पर काउंसलिंग कराई जाएगी और उसके बाद जो सीट बच जाएगी वह सातवें राउंड में शिफ्ट की जाएंगी. वहीं चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट जांच को लेकर अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि पंचायत चुनाव में व्यस्त होने की वजह से सर्टिफिकेट जांच पूरी नहीं हो पाई है लेकिन इतना तय है कि जब तक सभी अभ्यर्थियों की सर्टिफिकेट जांच नहीं होगी तब तक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाएगा.

संजय कुमार ने कहा कि बिहार में पहले शपथ पत्र देकर नियुक्ति पत्र देने का अंजाम सब देख चुके हैं. इसलिए इस बार सरकार कोई कोताही नहीं बरतेगी. जब तक सर्टिफिकेट की पूरी जांच नहीं हो जाएगी, तब तक नियुक्ति पत्र देना संभव नहीं है. इधर माध्यमिक शिक्षक नियोजन का मामला भी पंचायत चुनाव की वजह से पेंडिंग है. करीब 30 हजार से ज्यादा माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों के पद पर छठे चरण के नियोजन का काम आखिरी दौर में है. यह काम भी पंचायत चुनाव की समाप्ति के बाद शुरू होने की संभावना है.

पटना: बिहार में वर्ष 2019 में सरकार ने करीब 90 हजार प्राइमरी और 30,000 माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन (Shikshak Niyojan) की घोषणा की थी. वर्ष 2019 के जुलाई महीने में छठे चरण के नियोजन के तहत प्राथमिक के 90762, जबकि माध्यमिक उच्च माध्यमिक के 30020 शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन उसके बाद से लगातार यह नियोजन प्रक्रिया किसी न किसी विवाद की वजह से आगे बढ़ती रही.

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इस वर्ष जब पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने नियोजन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया तो शिक्षक अभ्यर्थियों की उम्मीद बंधी थी कि अब उन्हें नौकरी मिल जाएगी, लेकिन दो राउंड की काउंसलिंग के बाद प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया पंचायत चुनाव के फेर में पड़ गई. वहीं जिन 38000 अभ्यर्थियों का चयन किया गया, उनके सर्टिफिकेट की जांच सरकार द्वारा तय 31 अक्टूबर के समय सीमा में भी नहीं हो पाई है.

देखें रिपोर्ट

इस बीच शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलों से चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट जांच की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, लेकिन यह तय है कि चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच कई जिलों में शुरू भी नहीं हुई और इसकी बड़ी वजह पंचायत चुनाव मानी जा रही है. जिसमें सरकार के तमाम पदाधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह से व्यस्त हैं, लेकिन चयनित अभ्यर्थियों को इस बात का अंदेशा है कि लेट लतीफी के चक्कर में यह मामला लंबा खिंच सकता है.

चयनित शिक्षक अभ्यर्थी श्रद्धा शिवांगी ने ईटीवी भारत को बताया की महिलाओं को सरकार रिजर्वेशन देकर आगे बढ़ाने का दावा करती है, लेकिन पिछले कई महीनों से हम चयनित होकर भी नियुक्ति के लिए इंतजार कर रहे हैं. श्रद्धा ने सरकार से मांग की है कि वह शपथ पत्र लेकर हमारी नियुक्ति करें और सर्टिफिकेट जाली पाए जाने पर हम पर कानूनी कार्रवाई करें

वहीं, एक और शिक्षक अभ्यर्थी और एनआईओएस डीएलएड संघ के अध्यक्ष पप्पू कुमार ने बताया कि सरकार शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ ना जाने क्यों पक्षपात कर रही है. उन्होंने कहा कि दूसरे विभागों में धड़ल्ले से नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है लेकिन शिक्षक नियोजन के मामले में पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए नियुक्ति पत्र और काउंसलिंग पर रोक लगाई गई है. पप्पू कुमार ने सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द शिक्षकों की काउंसलिंग कराई जाए और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाए.

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इस बारे में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद दूसरे राउंड की बची हुई 1368 नियोजन इकाइयों की 12495 सीटों पर काउंसलिंग कराई जाएगी और उसके बाद जो सीट बच जाएगी वह सातवें राउंड में शिफ्ट की जाएंगी. वहीं चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट जांच को लेकर अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि पंचायत चुनाव में व्यस्त होने की वजह से सर्टिफिकेट जांच पूरी नहीं हो पाई है लेकिन इतना तय है कि जब तक सभी अभ्यर्थियों की सर्टिफिकेट जांच नहीं होगी तब तक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाएगा.

संजय कुमार ने कहा कि बिहार में पहले शपथ पत्र देकर नियुक्ति पत्र देने का अंजाम सब देख चुके हैं. इसलिए इस बार सरकार कोई कोताही नहीं बरतेगी. जब तक सर्टिफिकेट की पूरी जांच नहीं हो जाएगी, तब तक नियुक्ति पत्र देना संभव नहीं है. इधर माध्यमिक शिक्षक नियोजन का मामला भी पंचायत चुनाव की वजह से पेंडिंग है. करीब 30 हजार से ज्यादा माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों के पद पर छठे चरण के नियोजन का काम आखिरी दौर में है. यह काम भी पंचायत चुनाव की समाप्ति के बाद शुरू होने की संभावना है.

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