पटना: वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) को लेकर बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के नेता ऊहापोह की स्थिति में हैं. अकेले लड़ने के अपने फैसले से सहनी ने बिहार विधान परिषद चुनाव में बीजेपी और जेडीयू के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है. यूपी में बीजेपी के खिलाफ प्रत्याशी उतारकर उन्होंने पहले ही भारतीय जनता पार्टी से नाराजगी मोल ले रखी है.
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एनडीए से मुकेश सहनी नाराज: बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) में सीट नहीं मिलने के कारण मुकेश सहनी ने नाराजगी जाहिर करते हुए यहां तक कह दिया था कि मुझे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने बाहर कर दिया है. अब मैं विधान परिषद चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने के लिए स्वतंत्र हूं. संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने ने यह भी कह दिया था कि वह अलग राजनीतिक विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं. मुकेश सहनी ने ये कहकर सबको चौंका दिया कि मैं अगर लालू प्रसाद यादव की बात मान ली होती तो आज बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार नहीं बनती.
मुकेश सहनी पर सस्पेंस: एनडीए में मुकेश सहनी पर सस्पेंस बरकरार है. वे फिलहाल बिहार सरकार में मंत्री हैं. वहीं, जुलाई महीने में विधान परिषद का उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और वे 6 साल के लिए पूरा कार्यकाल चाहते हैं. शायद इस वजह से भी वह लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं.
बीजेपी का गोलमोल जवाब: हालांकि मुकेश सहनी के रुख पर बीजेपी ने गोलमोल जवाब दिया है. विधायक संजय सरावगी ने कहा है कि मुकेश सहनी फिलहाल एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन वह कब तक एनडीए में रहेंगे यह तो भगवान ही जानता है.
सहनी का स्वागत करेंगे-आरजेडी: उधर, आरजेडी प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में मजबूती से चुनाव लड़ा है. ऐसे में फिलहाल तो वो एनडीए में हैं लेकिन अगर वे हमारे साथ आना चाहेंगे तो उनका स्वागत है.
सहनी के विधायक भी अंजान: इधर, मुकेश सहनी की पार्टी के विधायक राजू सिंह का कहना है कि मैं तो एनडीए के साथ हूं लेकिन मुकेश सहनी का फैसला क्या होगा, यह मुझे मालूम नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बारे में उनसे बात करने के बाद ही मैं कुछ बता पाऊंगा.
सहनी की दबाव की राजनीति: मुकेश सहनी को लेकर जारी सस्पेंस पर वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का कहना है कि मुकेश सहनी फिलहाल दबाव की राजनीति कर रहे हैं. वह कितने दिन एनडीए में रहेंगे, यह कहना मुश्किल है. वे कहते हैं कि अगर बीजेपी उन्हें विधान परिषद नहीं भेजती है तो वह एनडीए से अलग हो जाएंगे और फिर उसके बाद अलग राजनीतिक राह की तलाश करेंगे.
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