पटना : कहते हैं राजनीति में कब कौन सी चाल किसके लिए उलटी पड़ जाए यह कोई नहीं जानता. अब देखिए ना, जिस आरसीपी सिंह को जेडीयू में नीतीश कुमार के बाद सेकेंड इन चीफ कहा जाता (JDU Leader RCP Singh) था. लेकिन अब आज के बाद यानी 7 जुलाई वो क्या करेंगे इसको लेकर राजनीतिक फिजा में चर्चाएं गर्म हैं. हालांकि आरसीपी सिंह इस वक्त चुप्पी साधे बैठे हैं.
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आरसीपी सिंह क्या करेंगे? : सबकी नजर आज पर टिकी है कि आज के बाद आरसीपी सिंह क्या फैसला लेते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हैं? अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हैं तो फिर आगे क्या करेंगे? जेडीयू में बस एक कार्यकर्ता की तरह बने रहेंगे या फिर बीजेपी के कमल को थामेंगे? हालांकि बीजेपी आरसीपी सिंह को लेने का जोखिम लेगी इसकी संभावना कम है, क्योंकि फिर जेडीयू से उसकी दूरी हो जाएगी. बीजेपी कतई नहीं चाहेगी कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कोई खटास पैदा हो. ऐसे में एक बार फिर वही यक्ष प्रश्न बरकरार रहा कि 6 जुलाई के बाद आरसीपी सिंह क्या करेंगे?
वेट एंड वॉच कर रहे हैं RCP सिंह : हैदराबाद से दिल्ली लौटे आरसीपी सिंह ने बीजेपी तेलंगाना के ट्वीट और कैबिनेट से इस्तीफे के सवाल पर चुप्पी साध ली. मंगलवार को वे लगातार सवालों से बचते नजर आए. आरसीपी सिंह इस्तीफा दे रहे हैं या वे मंत्री बने रहेंगे, इस पर भी उन्होंने चुप्पी साध ली. ऐसा माना जा रहा है कि आरसीपी वेट एंड वॉच की मुद्रा में हैं और फिलहाल चुप्पी साधने में ही वे अपनी भलाई समझ रहे हैं.
सवालों पर RCP ने साधी चुप्पी: नई दिल्ली में पत्रकारों ने केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह से कई तरह के सवाल पूछे लेकिन उन्होंने किसी भी सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हैदराबाद में बीजेपी नेताओं के साथ की तस्वीर सच्चाई क्या है? 7 जुलाई को राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा, क्या आप मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे? क्या सच में बीजेपी ज्वाइन करने वाले हैं और जेडीयू छोड़ने वाले हैं? किसी भी सवाल पर आरसीपी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हालांकि बीजेपी ज्वाइन करने वाले सवाल पर उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान दिखी.
JDU ने खीरू महतो को राज्यसभा भेजा : दरअसल, आरसीपी सिंह का राज्यसभा में बतौर सांसद कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है. बिना सांसद रहे कोई भी व्यक्ति अधिक से अधिक 6 महीने तक ही मंत्री रह सकता है. अब ऐसे में वह इस्तीफा देते हैं कि नहीं इसपर सबकी नजर रहेगी. अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं और केन्द्रीय इस्पात मंत्री (Union Minister RCP Singh) पद पर बने रहते हैं, तो इसका संकेत साफ मिलेगा कि बीजेपी से सांठगांठ हो गयी है. क्योंकि जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा सांसद नहीं बनाया है. खीरू महतो को जेडीयू ने राज्यसभा पहुंचाया है.
''पार्टी में आरसीपी सिंह की स्थिति कमजोर हुई है, क्योंकि अध्यक्ष ललन सिंह पसंद नहीं करते हैं. उनके खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं. अब तो सवाल यह है कि 6 जुलाई के बाद केंद्र में मंत्री नहीं रहेंगे तो क्या करेंगे? सामान्य कार्यकर्ता के रूप में जेडीयू में उनका रहना संभव होगा क्या? नीतीश कुमार के कृपा पात्र नहीं रहे तो घर बैठेंगे या फिर राजनीति में रहेंगे. लेकिन कौन सा आधार होगा क्योंकि जेडीयू में नीतीश कुमार के जन्मदिन पर उन्होंने कार्यक्रम करने की घोषणा की थी लेकिन पार्टी ने रोक दिया तब नालंदा में जाकर छोटा-मोटा कार्यक्रम कर लिया था. नीतीश कुमार की कृपा भी नहीं रही और ललन सिंह का रवैया उनके खिलाफ जगजाहिर है. ऐसे में आरसीपी सिंह के लिए पार्टी में सम्मानजनक स्थिति अब नहीं है. बीजेपी के साथ उनकी नजदीकियां तो बढ़ी है और उसके कारण भी उन्हें नुकसान हुआ है. लेकिन यह सच्चाई है कि नीतीश कुमार के रहते बीजेपी आरसीपी सिंह को क्यों गले लगाएगी क्योंकि 2024 का चुनाव महत्वपूर्ण है और बीजेपी के लिए नीतीश कुमार मजबूरी है.''- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ