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बिहार में नीलगायों की शुरू हुई नसबंदी, फसल बर्बादी को लेकर सरकार ने उठाया कदम

बिहार के किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब नीलगायों की नसबंदी की योजना की शुरुआत हो गई है. सोमवार को नीलगायों की नसबंदी के बाद मंत्री नीरज कुमार सिंह ने उन्हें वाल्मीकिनगर टाइजर रिजर्व के लिए रवाना कर दिया. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार में नीलगायों की शुरू हुई नसबंदी
बिहार में नीलगायों की शुरू हुई नसबंदी
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Published : Dec 27, 2021, 7:08 PM IST

पटना: राज्य के किसानों के लिए राहत की खबर है. बिहार सरकार ने घोड़परास यानि नीलगायों की नसबंदी का कार्य शुरू ( Sterilization of Nilgai started in Bihar ) कर दिया है. दरअसल, बिहार के कई जिलों में नील गायों के द्वारा फसल बर्बादी की समस्या को देखते हुए बिहार के वन पर्यावरण विभाग ने ये बड़ा कदम उठाया है.

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मंत्री नीरज कुमार सिंह (Minister Niraj Kumar Singh Sent Nilgai after sterilization ) सोमवार को पटना जू के गेट से नीलगायों के वाहन को हरी झंडी दिखाकर बेतिया स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के लिए रवाना किया. इस मौके पर वन विभाग के पीसीसीएफ आशुतोष, चीफ कंजरवेटर सह अपर सचिव सुधीर कुमार, मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक प्रभात कुमार गुप्ता, पटना जू के डायरेक्टर सत्यजीत कुमार और पटना प्रमंडल के डीएफओ रूचि सिंह भी मौजूद रहे.


'पहले बिहार सरकार ने इन्हें मारने का आदेश दिया था. लेकिन अब इसमें संशोधन करते हुए इनकी नसबंदी कराने का निर्णय लिया गया है. जिससे इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सके और फसलों का नुकसान भी कम होगा.' :- नीरज कुमार सिंह, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री

देखें वीडियो

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दरअसल, जंगली पशुओं के द्वारा बिहार के कई जिलों में किसानों के फसल को नुकसान पहुंचाने की खबर सरकार को मिल रही थी. किसान बार-बार वन विभाग से गुहार लगा रहे थे. आमतौर पर नीलगाय यानी घोड़परास और सूअरों के द्वारा फसल को क्षति पहुंचाने की शिकायत वन विभाग को मिलती रही है. वन विभाग के मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि किसानों की शिकायत पर वन संरक्षक के द्वारा राज्य सरकार ने आदेश में संशोधन करते हुए नीलगाय की नसबंदी का आदेश दिया गया है.

'राज्य में ही विशेष व्यवस्था के तहत उनकी नसबंदी की व्यवस्था विशेषज्ञ की देखरेख में की जाएगी. घोड़परास यानी नीलगाय की बड़ी संख्या में होने के कारण कृषि फसलों को क्षति पहुंचाने और अन्य उपायों से नियंत्रित नहीं होने के कारण नसबंदी करने का निर्णय लिया गया है. बिहटा एयर फोर्स स्टेशन एरिया से पकड़े गए 6 नीलगायों को नसबंदी के बाद वाल्मिकी टाइगर रिजर्व भेजा गया है. जिसके बाद इन्हें जंगलों में छोड़ दिया जाएगा ताकि किसानों के खेत तक यह ना पहुंच सके और क्षति को कम किया जा सके.' :- नीरज कुमार सिंह, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री


बता दें कि नीलगाय के कारण किसानों को होनेवाले नुकसान का मुद्दा बिहार में चर्चा का मुद्दा रहा है. 2019 में सरकार ने उन्हें मारने तक का आदेश दे दिया था. लेकिन सरकार की ओर से नीलगायों को गोली मारने के फैसले को लेकर कई संगठनों ने सवाल खड़े किए थे. जनवरी 2020 में पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की संस्था पीपुल फॉर एनिमल्स ने विभाग के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा था.

नोटिस में कहा गया था कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 साफ कहता है कि हम किसी भी जानवर पर अनावश्यक क्रूरता नहीं कर सकते. ऐसे में नीलगाय को गोली मारना क्रूरता है, यह आपराधिक कृत्य है. इसके बाद मार्च 2021 में वन एवं पर्यावरण विभाग मंत्री नीरज कुमार ने नीलगायों नसबंदी कराने की बात कही थी, जो आज विधिवत तौर पर शुरू हो गया.

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पटना: राज्य के किसानों के लिए राहत की खबर है. बिहार सरकार ने घोड़परास यानि नीलगायों की नसबंदी का कार्य शुरू ( Sterilization of Nilgai started in Bihar ) कर दिया है. दरअसल, बिहार के कई जिलों में नील गायों के द्वारा फसल बर्बादी की समस्या को देखते हुए बिहार के वन पर्यावरण विभाग ने ये बड़ा कदम उठाया है.

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मंत्री नीरज कुमार सिंह (Minister Niraj Kumar Singh Sent Nilgai after sterilization ) सोमवार को पटना जू के गेट से नीलगायों के वाहन को हरी झंडी दिखाकर बेतिया स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के लिए रवाना किया. इस मौके पर वन विभाग के पीसीसीएफ आशुतोष, चीफ कंजरवेटर सह अपर सचिव सुधीर कुमार, मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक प्रभात कुमार गुप्ता, पटना जू के डायरेक्टर सत्यजीत कुमार और पटना प्रमंडल के डीएफओ रूचि सिंह भी मौजूद रहे.


'पहले बिहार सरकार ने इन्हें मारने का आदेश दिया था. लेकिन अब इसमें संशोधन करते हुए इनकी नसबंदी कराने का निर्णय लिया गया है. जिससे इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सके और फसलों का नुकसान भी कम होगा.' :- नीरज कुमार सिंह, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री

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दरअसल, जंगली पशुओं के द्वारा बिहार के कई जिलों में किसानों के फसल को नुकसान पहुंचाने की खबर सरकार को मिल रही थी. किसान बार-बार वन विभाग से गुहार लगा रहे थे. आमतौर पर नीलगाय यानी घोड़परास और सूअरों के द्वारा फसल को क्षति पहुंचाने की शिकायत वन विभाग को मिलती रही है. वन विभाग के मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि किसानों की शिकायत पर वन संरक्षक के द्वारा राज्य सरकार ने आदेश में संशोधन करते हुए नीलगाय की नसबंदी का आदेश दिया गया है.

'राज्य में ही विशेष व्यवस्था के तहत उनकी नसबंदी की व्यवस्था विशेषज्ञ की देखरेख में की जाएगी. घोड़परास यानी नीलगाय की बड़ी संख्या में होने के कारण कृषि फसलों को क्षति पहुंचाने और अन्य उपायों से नियंत्रित नहीं होने के कारण नसबंदी करने का निर्णय लिया गया है. बिहटा एयर फोर्स स्टेशन एरिया से पकड़े गए 6 नीलगायों को नसबंदी के बाद वाल्मिकी टाइगर रिजर्व भेजा गया है. जिसके बाद इन्हें जंगलों में छोड़ दिया जाएगा ताकि किसानों के खेत तक यह ना पहुंच सके और क्षति को कम किया जा सके.' :- नीरज कुमार सिंह, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री


बता दें कि नीलगाय के कारण किसानों को होनेवाले नुकसान का मुद्दा बिहार में चर्चा का मुद्दा रहा है. 2019 में सरकार ने उन्हें मारने तक का आदेश दे दिया था. लेकिन सरकार की ओर से नीलगायों को गोली मारने के फैसले को लेकर कई संगठनों ने सवाल खड़े किए थे. जनवरी 2020 में पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की संस्था पीपुल फॉर एनिमल्स ने विभाग के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा था.

नोटिस में कहा गया था कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 साफ कहता है कि हम किसी भी जानवर पर अनावश्यक क्रूरता नहीं कर सकते. ऐसे में नीलगाय को गोली मारना क्रूरता है, यह आपराधिक कृत्य है. इसके बाद मार्च 2021 में वन एवं पर्यावरण विभाग मंत्री नीरज कुमार ने नीलगायों नसबंदी कराने की बात कही थी, जो आज विधिवत तौर पर शुरू हो गया.

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