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कृषि रोडमैप पर खर्च की गई राशि की होगी जांच, मंत्री सुधाकर सिंह का बड़ा बयान - Agriculture Road Map of Bihar

पटना में कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने बयान (Statement of Agriculture Minister Sudhakar Singh) दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि रोड मैप को लेकर बिहार में जो पैसे खर्च किए गए हैं, उसकी जांच कराई जाएगी. पढ़ें पूरी खबर..

कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का कृषि रोडमैप पर बयान
कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का कृषि रोडमैप पर बयान
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Published : Sep 25, 2022, 1:31 PM IST

पटना: बिहार सरकार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Agriculture Minister Sudhakar Singh) ने अपने मंत्रालय के पूर्व के कार्यकलापों पर सवाल उठाया है. उन्होंने बिहार में तीन कृषि रोडमैप के अंतर्गत जो राशि खर्च की गई है, उसकी जांच करवाने की बात कही है. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंत्री बनते ही कृषि विभाग के कार्यकलापों पर सवाल उठाया था. उसके बाद बिहार में तीन बार बनें कृषि रोडमैप को लेकर भी कई सवाल किए थे. उन्होंने साफ कह दिया है कि कृषि रोडमैप के तहत जो पैसे खर्चे किए गए हैं, उसकी जांच निश्चित तौर पर हम करवाएंगे. उन्होंने कहा कि कृषि रोडमैप लागू करने के बाद भी बिहार के किसानों का उत्पादन नहीं बढ़ा.

ये भी पढे़ंः चौथे कृषि रोडमैप से अलग रहेंगे अधिकारी, कृषि मंत्री ने कहा-विशेषज्ञों से हो रही बातचीत

किसानों को नहीं हुआ फायदाः कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि रोडमैप लागू करने के बाद भी न तो उत्पादन बढ़ी और न ही किसानों के जीवन स्तर में कोई सुधार हुआ. यह बहुत बड़ी बात है और यही कारण है कि हमें इस कृषि रोड मैप में खर्च की गई राशि की जांच करवानी पड़ रही है. कृषि मंत्री ने कहा कि वर्ष 2011-12 में बिहार में कुल 10 करोड़ 77 लाख टन फसल का उत्पादन हुआ था. इस बार जब मैं मंत्री बना हूं और विभागीय आंकड़ा देखा तो पता चला कि वर्ष 2020 और 21 में एक करोड़ 76 लाख टन ही फसल का उत्पादन हुआ है. निश्चित तौर पर पिछले 10 सालों में उत्पादन में बढ़ोतरी के बजाय कमी ही आई है. यह चिंताजनक बात है और यही कारण है कि किसानों की आय नहीं बढ़ पाई है.

कृषि रोडमैप का उद्देश्य है किसानों की आय बढ़ानाः कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार में कृषि रोडमैप लाने का मुख्य उद्देश्य था, किसानों की आय को बढ़ाना. इस उद्देश्य को बिना लागू किए रोडमैप बना दिया गया और पिछले दस सालों में आबादी तो बढ़ी, लेकिन फसल का उत्पादन नहीं बढ़ पाया. इस बार चतुर्थ कृषि रोड मैप लाना है. यह रोडमैप पिछले सभी रोडमैप से से अलग होगा. जिस तरह हम तैयारी कर रहे हैं और जो नया कृषि रोडमैप होगा, वह उत्तर भारत के लिए रोल मॉडल होगा. उन्होंने साफ कहा है कि दूसरे कृषि रोडमैप और तीसरे कृषि रोड मैप में जो राशि खर्च की गई है, उससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिला है. इसलिए मैं उसकी जांच कराउंगा.

"कृषि रोडमैप लागू करने के बाद भी न तो उत्पादन बढ़ी और न ही किसानों के जीवन स्तर में कोई सुधार हुआ. यह बहुत बड़ी बात है और यही कारण है कि हमें इस कृषि रोड मैप में खर्च की गई राशि की जांच करवानी पड़ रही है. कृषि रोडमैप लाने का मुख्य उद्देश्य था, किसानों की आय को बढ़ाना. मगर यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया" - सुधाकर सिंह, कृषि मंत्री, बिहार

ये भी पढ़ेंः बिहार में पुरानी मंडी व्यवस्था किसानों के लिए कितनी फायदेमंद? जानिये विशेषज्ञों की राय

पटना: बिहार सरकार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Agriculture Minister Sudhakar Singh) ने अपने मंत्रालय के पूर्व के कार्यकलापों पर सवाल उठाया है. उन्होंने बिहार में तीन कृषि रोडमैप के अंतर्गत जो राशि खर्च की गई है, उसकी जांच करवाने की बात कही है. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंत्री बनते ही कृषि विभाग के कार्यकलापों पर सवाल उठाया था. उसके बाद बिहार में तीन बार बनें कृषि रोडमैप को लेकर भी कई सवाल किए थे. उन्होंने साफ कह दिया है कि कृषि रोडमैप के तहत जो पैसे खर्चे किए गए हैं, उसकी जांच निश्चित तौर पर हम करवाएंगे. उन्होंने कहा कि कृषि रोडमैप लागू करने के बाद भी बिहार के किसानों का उत्पादन नहीं बढ़ा.

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किसानों को नहीं हुआ फायदाः कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि रोडमैप लागू करने के बाद भी न तो उत्पादन बढ़ी और न ही किसानों के जीवन स्तर में कोई सुधार हुआ. यह बहुत बड़ी बात है और यही कारण है कि हमें इस कृषि रोड मैप में खर्च की गई राशि की जांच करवानी पड़ रही है. कृषि मंत्री ने कहा कि वर्ष 2011-12 में बिहार में कुल 10 करोड़ 77 लाख टन फसल का उत्पादन हुआ था. इस बार जब मैं मंत्री बना हूं और विभागीय आंकड़ा देखा तो पता चला कि वर्ष 2020 और 21 में एक करोड़ 76 लाख टन ही फसल का उत्पादन हुआ है. निश्चित तौर पर पिछले 10 सालों में उत्पादन में बढ़ोतरी के बजाय कमी ही आई है. यह चिंताजनक बात है और यही कारण है कि किसानों की आय नहीं बढ़ पाई है.

कृषि रोडमैप का उद्देश्य है किसानों की आय बढ़ानाः कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार में कृषि रोडमैप लाने का मुख्य उद्देश्य था, किसानों की आय को बढ़ाना. इस उद्देश्य को बिना लागू किए रोडमैप बना दिया गया और पिछले दस सालों में आबादी तो बढ़ी, लेकिन फसल का उत्पादन नहीं बढ़ पाया. इस बार चतुर्थ कृषि रोड मैप लाना है. यह रोडमैप पिछले सभी रोडमैप से से अलग होगा. जिस तरह हम तैयारी कर रहे हैं और जो नया कृषि रोडमैप होगा, वह उत्तर भारत के लिए रोल मॉडल होगा. उन्होंने साफ कहा है कि दूसरे कृषि रोडमैप और तीसरे कृषि रोड मैप में जो राशि खर्च की गई है, उससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिला है. इसलिए मैं उसकी जांच कराउंगा.

"कृषि रोडमैप लागू करने के बाद भी न तो उत्पादन बढ़ी और न ही किसानों के जीवन स्तर में कोई सुधार हुआ. यह बहुत बड़ी बात है और यही कारण है कि हमें इस कृषि रोड मैप में खर्च की गई राशि की जांच करवानी पड़ रही है. कृषि रोडमैप लाने का मुख्य उद्देश्य था, किसानों की आय को बढ़ाना. मगर यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया" - सुधाकर सिंह, कृषि मंत्री, बिहार

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