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कोरोना संकट काल में राष्ट्रीय औसत से दोगुने स्तर पर पहुंची राज्य की बेरोजगारी दर

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Published : Sep 10, 2020, 7:55 PM IST

बिहार में बेरोजगारी अपनी चरम पर है. कोरोना संकटकाल में भयावह तस्वीर उभरकर सामने आई. बिहार में बेरोजगारी फिलहाल 31.2 प्रतिशत से बढ़कर 46.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है. अप्रैल 2020 के इस आंकड़े के साथ राज्य बेरोजगारी के मामले में तमिलनाडु और झारखंड के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.

Unemployment in Bihar
Unemployment in Bihar

पटना: बिहार के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. इसके कारण पलायन बदस्तूर जारी है. कोरोना संकटकाल में पलायन की कई तस्वीर भी सामने आई. बावजूद इसके बेरोजगारी अब तक चुनावी मुद्दा नहीं बन पाई. हालांकि विपक्ष इस बार विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे को हवा देने में जुटी है.

बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से दुगनी
बिहार में बेरोजगारी अपनी चरम पर है. कोरोना काल में भयावह तस्वीर उभरकर सामने आई. बिहार में बेरोजगारी फिलहाल 31.2 प्रतिशत से बढ़कर 46.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है. अप्रैल 2020 के इस आंकड़े के साथ राज्य बेरोजगारी के मामले में तमिलनाडु और झारखंड के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कोरोना काल में बिहार लौटे 40 लाख प्रवासी मजदूर
एक अनुमान के मुताबिक 40 लाख प्रवासी मजदूर कोरोना संकट काल में बिहार लौटे. सरकार की तरफ से दावा किया गया, कि बिहार में ही सब को रोजगार दिया जाएगा. लेकिन दावों की पोल तब खुल गई जब मजदूर रोजगार के अभाव में फिर वापस लौटने लगे.

14 करोड़ से अधिक के रोजगार सृजन का दावा
बिहार सरकार का दावा है कि राज्य में संकटकाल के दौरान 14 करोड़ से अधिक का रोजगार सृजन हुआ है. बिहार में राजनीतिक दलों और सरकार के लिए बेरोजगारी कभी भी विकास का एजेंडा नहीं रहा. आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं.

साल बेरोजगारी दर %
1993-1994 6.3%
1999-20006.9%
2004-20057.1%
2015-2016 6%
2019-2020(जून) 46%

इसे भी पढ़ें-बिहार विधानसभा चुनाव में रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष उठाएगा सवाल, सरकार पर होगा दबाव

ये भी है आंकड़े

  • 2006-7 में फैक्ट्री में 8 हजार 785 लोग काम करते थे 2009-2010 आंकड़ा बढ़कर 94 हजार 595 हो गया.
  • 2017-18 तक ये आंकड़ा बढ़कर 7 लाख 79 हजार 718 तक पहुंच गया.
  • हर साल लोगों को औसतन एक लाख से कम रोजगार मिले.
  • बिहार में श्रम शक्ति का 38% लेबर फ़ोर्स है.
  • राज्य में स्वरोजगार में 56% लोग लगे हैं और 11. 9% लोग नौकरी में हैं.
  • वहीं दिहाड़ी मजदूर कुल मिलाकर 32% है.
  • कोरोना संकटकाल में यह आंकड़ा और भी बढ़ गया है.
  • बिहार में मनरेगा जॉब कार्ड एक करोड़ 55 लाख लोगों को दिए गए, जिसमें 29 लाख को रोजगार मिले.
  • कुल मिलाकर 18.71% जॉब कार्ड धारी को ही रोजगार मिले.
  • औसतन एक व्यक्ति को साल में 12 दिन काम मिला.

विपक्ष ने बेरोजगारी को बनाया चुनावी मुद्दा
बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रही है. आरजेडी नेता आलोक मेहता ने कहा है कि रोजगार को लेकर सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. प्रवासी मजदूर संकटकाल में अपने घर वापस लौटे तो थे, लेकिन रोजगार नहीं मिलने पर फिर वह पलायन कर रहे हैं.

Unemployment in Bihar
आरजेडी नेता आलोक मेहता

श्रम संसाधन मंत्री का पलटवार
विपक्ष के आरोपों पर श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा ने पलटवार किया. मंत्री ने कहा है कि आरजेडी के शासनकाल में फाउंडेशन ही खराब हो गया था, लेकिन हम उसे ठीक कर रहे हैं. दो करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया गया है.

Unemployment in Bihar
श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा

'प्रवासी मजदूरों के लिए चिंतित है नीतीश सरकार'
उद्योग मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा है नीतीश सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर चिंतित है. योजनाएं भी बनाई गई हैं, इसके अलावा सरकार ने दलितों को रोजगार देने के लिए परिवहन योजना को स्वीकृति दी.

Unemployment in Bihar
अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर

सरकार को चिंतन की जरूरत
हालांकि अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का कहना है कि जिस राज्य में 38% श्रम शक्ति हो उस राज्य में हर साल अगर एक लाख से भी कम आदमी को रोजगार के अवसर मिले तो यह स्थिति चिंताजनक है. रोजगार के लिए बाहर जाना बुरी बात नहीं है, लेकिन अवसाद की स्थिति में और विकल्प के अभाव में बदतर स्थिति में लोग अगर काम करने जाते हैं तो यह सामान्य स्थिति नहीं है. सरकार को इस पर चिंतन करने की जरूरत है.

पटना: बिहार के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. इसके कारण पलायन बदस्तूर जारी है. कोरोना संकटकाल में पलायन की कई तस्वीर भी सामने आई. बावजूद इसके बेरोजगारी अब तक चुनावी मुद्दा नहीं बन पाई. हालांकि विपक्ष इस बार विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे को हवा देने में जुटी है.

बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से दुगनी
बिहार में बेरोजगारी अपनी चरम पर है. कोरोना काल में भयावह तस्वीर उभरकर सामने आई. बिहार में बेरोजगारी फिलहाल 31.2 प्रतिशत से बढ़कर 46.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है. अप्रैल 2020 के इस आंकड़े के साथ राज्य बेरोजगारी के मामले में तमिलनाडु और झारखंड के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कोरोना काल में बिहार लौटे 40 लाख प्रवासी मजदूर
एक अनुमान के मुताबिक 40 लाख प्रवासी मजदूर कोरोना संकट काल में बिहार लौटे. सरकार की तरफ से दावा किया गया, कि बिहार में ही सब को रोजगार दिया जाएगा. लेकिन दावों की पोल तब खुल गई जब मजदूर रोजगार के अभाव में फिर वापस लौटने लगे.

14 करोड़ से अधिक के रोजगार सृजन का दावा
बिहार सरकार का दावा है कि राज्य में संकटकाल के दौरान 14 करोड़ से अधिक का रोजगार सृजन हुआ है. बिहार में राजनीतिक दलों और सरकार के लिए बेरोजगारी कभी भी विकास का एजेंडा नहीं रहा. आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं.

साल बेरोजगारी दर %
1993-1994 6.3%
1999-20006.9%
2004-20057.1%
2015-2016 6%
2019-2020(जून) 46%

इसे भी पढ़ें-बिहार विधानसभा चुनाव में रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष उठाएगा सवाल, सरकार पर होगा दबाव

ये भी है आंकड़े

  • 2006-7 में फैक्ट्री में 8 हजार 785 लोग काम करते थे 2009-2010 आंकड़ा बढ़कर 94 हजार 595 हो गया.
  • 2017-18 तक ये आंकड़ा बढ़कर 7 लाख 79 हजार 718 तक पहुंच गया.
  • हर साल लोगों को औसतन एक लाख से कम रोजगार मिले.
  • बिहार में श्रम शक्ति का 38% लेबर फ़ोर्स है.
  • राज्य में स्वरोजगार में 56% लोग लगे हैं और 11. 9% लोग नौकरी में हैं.
  • वहीं दिहाड़ी मजदूर कुल मिलाकर 32% है.
  • कोरोना संकटकाल में यह आंकड़ा और भी बढ़ गया है.
  • बिहार में मनरेगा जॉब कार्ड एक करोड़ 55 लाख लोगों को दिए गए, जिसमें 29 लाख को रोजगार मिले.
  • कुल मिलाकर 18.71% जॉब कार्ड धारी को ही रोजगार मिले.
  • औसतन एक व्यक्ति को साल में 12 दिन काम मिला.

विपक्ष ने बेरोजगारी को बनाया चुनावी मुद्दा
बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रही है. आरजेडी नेता आलोक मेहता ने कहा है कि रोजगार को लेकर सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. प्रवासी मजदूर संकटकाल में अपने घर वापस लौटे तो थे, लेकिन रोजगार नहीं मिलने पर फिर वह पलायन कर रहे हैं.

Unemployment in Bihar
आरजेडी नेता आलोक मेहता

श्रम संसाधन मंत्री का पलटवार
विपक्ष के आरोपों पर श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा ने पलटवार किया. मंत्री ने कहा है कि आरजेडी के शासनकाल में फाउंडेशन ही खराब हो गया था, लेकिन हम उसे ठीक कर रहे हैं. दो करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया गया है.

Unemployment in Bihar
श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा

'प्रवासी मजदूरों के लिए चिंतित है नीतीश सरकार'
उद्योग मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा है नीतीश सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर चिंतित है. योजनाएं भी बनाई गई हैं, इसके अलावा सरकार ने दलितों को रोजगार देने के लिए परिवहन योजना को स्वीकृति दी.

Unemployment in Bihar
अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर

सरकार को चिंतन की जरूरत
हालांकि अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का कहना है कि जिस राज्य में 38% श्रम शक्ति हो उस राज्य में हर साल अगर एक लाख से भी कम आदमी को रोजगार के अवसर मिले तो यह स्थिति चिंताजनक है. रोजगार के लिए बाहर जाना बुरी बात नहीं है, लेकिन अवसाद की स्थिति में और विकल्प के अभाव में बदतर स्थिति में लोग अगर काम करने जाते हैं तो यह सामान्य स्थिति नहीं है. सरकार को इस पर चिंतन करने की जरूरत है.

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