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कोरोना... पहला केस... लॉकडाउन.. साल भर पूरे... लड़ाई जारी है

बिहार में कोरोना का पहला केस 22 मार्च को आया था. तब से लेकर अबतक बिहार इससे लड़ रहा है. पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट...

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Published : Mar 22, 2021, 12:28 PM IST

Updated : Mar 22, 2021, 12:56 PM IST

पटना: कहते हैं समय कभी रुकता नहीं. इसका पहिया निरंतर चलता रहता है. तभी तो देखते-देखते एक साल बीत गया, उस 22 मार्च 2020 को जब पीएम मोदी ने कोरोना की आहट को भांपते हुए जनता कर्फ्यू लगाया था.

लॉकडाउन की तरफ बढ़ा देश

देशभर से लोगों का समर्थन केन्द्र सरकार को मिला और धीरे-धीरे लॉकडॉउन की तरफ देश बढ़ गया. इस लॉकडाउन ने आमलोगों के जीवन को इस कदर तोड़ा कि जिसकी कल्पना सपनों में नहीं की गयी होगी वो हकीकत की जमीन पर उतड़ आया. लोग उदर की प्यास बुझाने और जींदगी को बचाने के लिए सैकड़ों कीलोमीटर की दूरी मापने में लग गए.

देखें रिपोर्ट.

अपने घरों की तरफ लोगों ने किया रुख

बिहार की बदनसीबी यहां भी सबसे ज्यादा देखने को मिली. लाखों की संख्या में बिहारी अपने घरों की ओर रुख कर गए. कोई रिक्शा से चल पड़ा तो कोई साइकिल से. जिसको कुछ नसीब नहीं हुआ वो पैदल ही घर को मांपने लगा. धूप-छांव की परवाह किए बगैर लोग गांव आने लगे.

क्वारंटीन सेंटरों पर व्यवस्था की कमी

प्रवासी बिहारी के लिए बिहार में पर्याप्त संसाधनों की कमी भी देखने को मिली. सरकार ने क्वारंटीन सेंटरों पर हर व्यवस्था मुहैया कराने की बात की, पर कई जगहों पर बस ये कागजी जुमला ही दिखाई पड़ा. लोग परेशान दिखाई पड़ रहे थे.

22 मार्च को पहले कोरोना मरीज की पुष्टि

इसी बीच आज के दिन ही बिहार में पहला कोरोना मरीज की पुष्टि हुई. मुंगेर से पहला कोरोना मरीज सामने आया जिसकी मौत भी हो गयी. इसके बाद तो कोरोना मरीजों की संख्या में जैसे बाढ़ सी आ गयी. बिहार में पहले तो कोरोना जांच में समस्या आयी. जब जांच ने रफ्तार पकड़ा तो मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी.

बिहार में रिकवरी रेट 99.21 प्रतिशत

सरकार की तैयारी नाकाफी साबित हो रही थी. लेकिन बिहार धैर्य का पर्यायवाची है. इसीलिए सरकार ने लोगों से धैर्य रखने को कहा और इसी बीच काफी कुछ बदला-बदला सा भी नजर आने लगा. इसी का नतीजा रहा कि बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2,63,569 पहुंची पर मृत्यु अब तक सिर्फ 1559 की हुई. रिकवरी रेट 99.21 प्रतिशत है.

तीन मोर्चों पर लड़ा बिहार

लॉकडाउन में सिर्फ कोरोना से बिहार नहीं लड़ रहा था. तीन मोर्चों पर उसकी लड़ाई एक साथ चल रही थी. बाढ़ की वीभिषका और बेरोजगारी ने बिहारवासियों की कमर तोड़ दी. लोग त्राहिमाम कर रहे थे. लोग तो लोग बेजुबां जानवर भी परेशान थे.

गाइडलाइन को पालन करना जरूरी

खैर, एक साल तो बीत गए हैं. पर खतरा अभी टला नहीं है. एक बार फिर से कोरोना ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. फिर से प्रतिदिन लगभग 100 के आसपास मरीज पॉजिटिव हो रहे हैं. ऐसे में गाइडलाइन को पालन करना जरूरी है. नहीं तो किए कराए पर पानी फिर जाएगा.

'कोरोना को हराना है बिहार को जीताना है'

ईटीवी भारत बिहार उन लोगों को श्रद्धांजलि देता है जो असमय काल कल्वित हुए. साथ ही उनलोगों के हौसले को समलाम करता है जो कोरोना के समय अपनों के लिए लड़ते रहे. ऐसे में कोरोना को हराना है तो बिहार को जीतना होगा. इसके लिए मजबूत संकल्प ही एक मात्र राह है.

पटना: कहते हैं समय कभी रुकता नहीं. इसका पहिया निरंतर चलता रहता है. तभी तो देखते-देखते एक साल बीत गया, उस 22 मार्च 2020 को जब पीएम मोदी ने कोरोना की आहट को भांपते हुए जनता कर्फ्यू लगाया था.

लॉकडाउन की तरफ बढ़ा देश

देशभर से लोगों का समर्थन केन्द्र सरकार को मिला और धीरे-धीरे लॉकडॉउन की तरफ देश बढ़ गया. इस लॉकडाउन ने आमलोगों के जीवन को इस कदर तोड़ा कि जिसकी कल्पना सपनों में नहीं की गयी होगी वो हकीकत की जमीन पर उतड़ आया. लोग उदर की प्यास बुझाने और जींदगी को बचाने के लिए सैकड़ों कीलोमीटर की दूरी मापने में लग गए.

देखें रिपोर्ट.

अपने घरों की तरफ लोगों ने किया रुख

बिहार की बदनसीबी यहां भी सबसे ज्यादा देखने को मिली. लाखों की संख्या में बिहारी अपने घरों की ओर रुख कर गए. कोई रिक्शा से चल पड़ा तो कोई साइकिल से. जिसको कुछ नसीब नहीं हुआ वो पैदल ही घर को मांपने लगा. धूप-छांव की परवाह किए बगैर लोग गांव आने लगे.

क्वारंटीन सेंटरों पर व्यवस्था की कमी

प्रवासी बिहारी के लिए बिहार में पर्याप्त संसाधनों की कमी भी देखने को मिली. सरकार ने क्वारंटीन सेंटरों पर हर व्यवस्था मुहैया कराने की बात की, पर कई जगहों पर बस ये कागजी जुमला ही दिखाई पड़ा. लोग परेशान दिखाई पड़ रहे थे.

22 मार्च को पहले कोरोना मरीज की पुष्टि

इसी बीच आज के दिन ही बिहार में पहला कोरोना मरीज की पुष्टि हुई. मुंगेर से पहला कोरोना मरीज सामने आया जिसकी मौत भी हो गयी. इसके बाद तो कोरोना मरीजों की संख्या में जैसे बाढ़ सी आ गयी. बिहार में पहले तो कोरोना जांच में समस्या आयी. जब जांच ने रफ्तार पकड़ा तो मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी.

बिहार में रिकवरी रेट 99.21 प्रतिशत

सरकार की तैयारी नाकाफी साबित हो रही थी. लेकिन बिहार धैर्य का पर्यायवाची है. इसीलिए सरकार ने लोगों से धैर्य रखने को कहा और इसी बीच काफी कुछ बदला-बदला सा भी नजर आने लगा. इसी का नतीजा रहा कि बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2,63,569 पहुंची पर मृत्यु अब तक सिर्फ 1559 की हुई. रिकवरी रेट 99.21 प्रतिशत है.

तीन मोर्चों पर लड़ा बिहार

लॉकडाउन में सिर्फ कोरोना से बिहार नहीं लड़ रहा था. तीन मोर्चों पर उसकी लड़ाई एक साथ चल रही थी. बाढ़ की वीभिषका और बेरोजगारी ने बिहारवासियों की कमर तोड़ दी. लोग त्राहिमाम कर रहे थे. लोग तो लोग बेजुबां जानवर भी परेशान थे.

गाइडलाइन को पालन करना जरूरी

खैर, एक साल तो बीत गए हैं. पर खतरा अभी टला नहीं है. एक बार फिर से कोरोना ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. फिर से प्रतिदिन लगभग 100 के आसपास मरीज पॉजिटिव हो रहे हैं. ऐसे में गाइडलाइन को पालन करना जरूरी है. नहीं तो किए कराए पर पानी फिर जाएगा.

'कोरोना को हराना है बिहार को जीताना है'

ईटीवी भारत बिहार उन लोगों को श्रद्धांजलि देता है जो असमय काल कल्वित हुए. साथ ही उनलोगों के हौसले को समलाम करता है जो कोरोना के समय अपनों के लिए लड़ते रहे. ऐसे में कोरोना को हराना है तो बिहार को जीतना होगा. इसके लिए मजबूत संकल्प ही एक मात्र राह है.

Last Updated : Mar 22, 2021, 12:56 PM IST
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