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फिर डूबेगी राजधानी! पटना में छोटे नालों की 50% भी नहीं हुई उड़ाही

पिछसे कुछ सालों से बिहार की राजधानी पटना में जलजमान की समस्या (Water Logging Problem in Patna)लगातार देखने को मिल रही है. हालांकि 2019 के हालात से सीख लेते हुए जिला प्रशासन और पटना नगर निगम पिछले साल काफी सक्रिया हो गया था लेकिन इस साल नालों की साफ-सफाई और उड़ाही काम काफी पिछड़ा हुआ है. इससे जलजमाव की समस्या तय मानी जा रही है. पढ़ें पूरी खबर.

पटना नगर निगम
पटना नगर निगम
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Published : May 2, 2022, 3:18 PM IST

पटना: पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) ने 2019 के जलजमाव से शिक्षा लेते हुए 2020 से काफी सक्रियता दिखाई थी. नाले की उड़ाई पर पटना नगर निगम की ओर से विशेष जोर दिया गया. निगम ने निर्णय लिया युद्ध स्तर पर तीन बार नालों की बृहद पैमाने पर साफ-सफाई और उड़ाही का काम किया जाएगा जिसमें प्री मॉनसून उड़ाही, मानसून के समय उड़ाही और पोस्ट मानसून उड़ाही शामिल है. 2020 और 2021 में नालों की साफ-सफाई और उड़ाही का काम अच्छे तरीके से किया गया. इसका फायदा भी देखने को मिला और जलजमाव की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई.

ये भी पढ़ें: 'स्वच्छांगनी' की महिलाओं ने संभाला पटना की सफाई का जिम्मा

नहीं मिल रहे दैनिक मजदूर: दूसरी तरफ 2022 में प्री मॉनसून नाले की साफ-सफाई और उड़ाही का काम काफी पीछे रह गया है. प्री मॉनसून नाला उड़ाही 1 मार्च से शुरू हुआ और 15 मई तक चलना है. वर्तमान स्थिति यह है कि बड़े नालों की उड़ाही तो मशीन के माध्यम से करा ली गई लेकिन छोटे नालों की उड़ाही अब तक 50 फीसदी भी पूरी नहीं हुई है. अधिकांश वार्डों में 15 से 20 फीसदी ही उड़ाही का काम हुआ है और वजह यह है कि निगम को दैनिक मजदूर नहीं मिल रहे हैं. वार्ड पार्षदों का कहना है कि इस बार नालों की उड़ाई नहीं होने की वजह से यदि 2019 जैसी जलजमाव की स्थिति उत्पन्न होती है तो इसके लिए सीधे तौर पर नगर आयुक्त और नगर निगम के कार्यपालक अभियंता जिम्मेदार होंगे.

सुस्त पड़ गया उड़ाही का काम: पटना के वार्ड 44 की पार्षद माला सिन्हा ने बताया कि नाला उड़ाही अभियान काफी तेज गति से शुरू हुआ था लेकिन चंद दिनों में ही यह सुस्त पड़ गया. इसके पीछे वजह यह है कि बड़े नालों की साफ-सफाई तो मशीन के माध्यम से हो जा रही है लेकिन छोटे नालों की उड़ाही और साफ-सफाई के लिए दैनिक मजदूर नहीं मिल रहे हैं. 3 साल पहले भी दैनिक मजदूरों को 400 रुपये रोजाना मिलते थे और आज भी यही रेट है जबकि घरेलू गैस सिलेंडर, खाद्य तेल, पेट्रोल आदि की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. महंगाई काफी बढ़ गई है.

नहीं बढ़ी मजदूरी: ऐसे में मजदूरों का कहना है कि वह दूसरे जगह मजदूरी कर 600 रुपये प्रतिदिन कमा रहे हैं. ऐसे में वह 400 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी पर नहीं करेंगे. माला सिन्हा ने कहा कि निगम के जो अपने मजदूर हैं, उन के माध्यम से साफ-सफाई चल रही है लेकिन जब उड़ाही का अभियान चलता है तब प्रतिदिन 35 से 40 मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है. उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी की समस्या को लेकर वहां कई बार निगम की बैठक में मुद्दा उठा चुकी हैं. कंकड़बाग क्षेत्र के सभी वार्ड पार्षदों इस समस्या से हाल ही में नगर आयुक्त को अवगत कराया था लेकिन इसका निदान अब तक नहीं हुआ है.

चंद दिनों में समाप्त हो रहा नाला उड़ाही अभियान: पटना में नाला उड़ाही अभियान चंद दिनों में समाप्त हो रहा है. जल्द ही मानसून शुरू होने वाला है. उनके वार्ड की स्थिति है कि छोटे नालों की साफ-सफाई 20 फीसदी भी नहीं हुई है. इस बार अच्छी बारिश होती है तो जल जमाव तय माना जा रहा है. वार्ड पार्षद माला सिन्हा ने बताया कि बांकीपुर अंचल कार्यालय में हाल ही में सभी पार्षदों की बैठक हुई थी जिसमें यह मुद्दा उठाया गया कि उनके क्षेत्र में अभी 20 फीसदी भी छोटे नालों की सफाई नहीं हुई है. मजदूरों की कमी है. इसे दूर करने के लिए कार्यपालक अभियंता प्रयास करें.

देखें रिपोर्ट

कार्यपालक अभियंता की प्राथमिकता में पटना वासियों की समस्या नहीं: माला सिन्हा ने कहा कि इसके पूर्व जो कार्यपालक अभियंता थे, वह किसी प्रकार साफ सफाई का काम पूरा करा लेते थे. मजदूरों को मजदूरी का आश्वासन देकर काम कराने के बाद कुछ दिनों बाद पेमेंट हो जाता था. इस बार कार्यपालक अभियंता की तरफ से कोई पहल नहीं की गयी है. नालों की साफ-सफाई को लेकर. हाल ही में अभियंता का एक के वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें वह शराब पीते नजर आ रहे हैं. ऐसे में यह साफ है कि कार्यपालक अभियंता की प्राथमिकता में पटना वासियों की समस्या है ही नहीं.

उन्होंने कहा कि वह नगर आयुक्त से मिलकर दैनिक मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने की भी डिमांड की है ताकि को साफ-सफाई के काम के लिए मजदूर मिलें लेकिन इस पर अब तक कोई पहल नहीं की गयी है. वार्ड पार्षद माला सिन्हा ने बताया कि इस बार एक और सबसे बड़ी समस्या है, नमामि गंगे परियोजना का अनियोजित कार्य. नमामि गंगे परियोजना के तहत सड़क पर जगह-जगह गड्ढे खोल दिए गए हैं. ऐसे में कई जगह छोटे नाले डैमेज हो गए हैं. कई जगह सड़क के मलबे से नाले भर गए हैं.

छोटे नालों की साफ सफाई नहीं हुई तो जल जमाव तय: मानसून से पहले अगर इन तमाम छोटे नालों की साफ सफाई नहीं होती है तो मोहल्लों में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न होना तय है. लोग इसके लिए पटना नगर निगम को कोसेंगे जबकि इसके जिम्मेवार पूरी तरह नगर आयुक्त और नगर निगम के अधिकारी होंगे. उन्होंने बताया कि उन्होंने तमाम बैठकों में सभी संप हाउस के मेंटेनेंस का कार्य पूरा करा लिए जाने का सुझाव दिया था ताकि जलजमाव की स्थिति में संप पानी को तेजी से खींच सकें.

ये भी पढ़ें: 'अपने कार्यों की बदौलत लड़ूंगा पटना मेयर पद का चुनाव, छोटी सोच को बदलने की है जरूरत'

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पटना: पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) ने 2019 के जलजमाव से शिक्षा लेते हुए 2020 से काफी सक्रियता दिखाई थी. नाले की उड़ाई पर पटना नगर निगम की ओर से विशेष जोर दिया गया. निगम ने निर्णय लिया युद्ध स्तर पर तीन बार नालों की बृहद पैमाने पर साफ-सफाई और उड़ाही का काम किया जाएगा जिसमें प्री मॉनसून उड़ाही, मानसून के समय उड़ाही और पोस्ट मानसून उड़ाही शामिल है. 2020 और 2021 में नालों की साफ-सफाई और उड़ाही का काम अच्छे तरीके से किया गया. इसका फायदा भी देखने को मिला और जलजमाव की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई.

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नहीं मिल रहे दैनिक मजदूर: दूसरी तरफ 2022 में प्री मॉनसून नाले की साफ-सफाई और उड़ाही का काम काफी पीछे रह गया है. प्री मॉनसून नाला उड़ाही 1 मार्च से शुरू हुआ और 15 मई तक चलना है. वर्तमान स्थिति यह है कि बड़े नालों की उड़ाही तो मशीन के माध्यम से करा ली गई लेकिन छोटे नालों की उड़ाही अब तक 50 फीसदी भी पूरी नहीं हुई है. अधिकांश वार्डों में 15 से 20 फीसदी ही उड़ाही का काम हुआ है और वजह यह है कि निगम को दैनिक मजदूर नहीं मिल रहे हैं. वार्ड पार्षदों का कहना है कि इस बार नालों की उड़ाई नहीं होने की वजह से यदि 2019 जैसी जलजमाव की स्थिति उत्पन्न होती है तो इसके लिए सीधे तौर पर नगर आयुक्त और नगर निगम के कार्यपालक अभियंता जिम्मेदार होंगे.

सुस्त पड़ गया उड़ाही का काम: पटना के वार्ड 44 की पार्षद माला सिन्हा ने बताया कि नाला उड़ाही अभियान काफी तेज गति से शुरू हुआ था लेकिन चंद दिनों में ही यह सुस्त पड़ गया. इसके पीछे वजह यह है कि बड़े नालों की साफ-सफाई तो मशीन के माध्यम से हो जा रही है लेकिन छोटे नालों की उड़ाही और साफ-सफाई के लिए दैनिक मजदूर नहीं मिल रहे हैं. 3 साल पहले भी दैनिक मजदूरों को 400 रुपये रोजाना मिलते थे और आज भी यही रेट है जबकि घरेलू गैस सिलेंडर, खाद्य तेल, पेट्रोल आदि की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. महंगाई काफी बढ़ गई है.

नहीं बढ़ी मजदूरी: ऐसे में मजदूरों का कहना है कि वह दूसरे जगह मजदूरी कर 600 रुपये प्रतिदिन कमा रहे हैं. ऐसे में वह 400 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी पर नहीं करेंगे. माला सिन्हा ने कहा कि निगम के जो अपने मजदूर हैं, उन के माध्यम से साफ-सफाई चल रही है लेकिन जब उड़ाही का अभियान चलता है तब प्रतिदिन 35 से 40 मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है. उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी की समस्या को लेकर वहां कई बार निगम की बैठक में मुद्दा उठा चुकी हैं. कंकड़बाग क्षेत्र के सभी वार्ड पार्षदों इस समस्या से हाल ही में नगर आयुक्त को अवगत कराया था लेकिन इसका निदान अब तक नहीं हुआ है.

चंद दिनों में समाप्त हो रहा नाला उड़ाही अभियान: पटना में नाला उड़ाही अभियान चंद दिनों में समाप्त हो रहा है. जल्द ही मानसून शुरू होने वाला है. उनके वार्ड की स्थिति है कि छोटे नालों की साफ-सफाई 20 फीसदी भी नहीं हुई है. इस बार अच्छी बारिश होती है तो जल जमाव तय माना जा रहा है. वार्ड पार्षद माला सिन्हा ने बताया कि बांकीपुर अंचल कार्यालय में हाल ही में सभी पार्षदों की बैठक हुई थी जिसमें यह मुद्दा उठाया गया कि उनके क्षेत्र में अभी 20 फीसदी भी छोटे नालों की सफाई नहीं हुई है. मजदूरों की कमी है. इसे दूर करने के लिए कार्यपालक अभियंता प्रयास करें.

देखें रिपोर्ट

कार्यपालक अभियंता की प्राथमिकता में पटना वासियों की समस्या नहीं: माला सिन्हा ने कहा कि इसके पूर्व जो कार्यपालक अभियंता थे, वह किसी प्रकार साफ सफाई का काम पूरा करा लेते थे. मजदूरों को मजदूरी का आश्वासन देकर काम कराने के बाद कुछ दिनों बाद पेमेंट हो जाता था. इस बार कार्यपालक अभियंता की तरफ से कोई पहल नहीं की गयी है. नालों की साफ-सफाई को लेकर. हाल ही में अभियंता का एक के वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें वह शराब पीते नजर आ रहे हैं. ऐसे में यह साफ है कि कार्यपालक अभियंता की प्राथमिकता में पटना वासियों की समस्या है ही नहीं.

उन्होंने कहा कि वह नगर आयुक्त से मिलकर दैनिक मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने की भी डिमांड की है ताकि को साफ-सफाई के काम के लिए मजदूर मिलें लेकिन इस पर अब तक कोई पहल नहीं की गयी है. वार्ड पार्षद माला सिन्हा ने बताया कि इस बार एक और सबसे बड़ी समस्या है, नमामि गंगे परियोजना का अनियोजित कार्य. नमामि गंगे परियोजना के तहत सड़क पर जगह-जगह गड्ढे खोल दिए गए हैं. ऐसे में कई जगह छोटे नाले डैमेज हो गए हैं. कई जगह सड़क के मलबे से नाले भर गए हैं.

छोटे नालों की साफ सफाई नहीं हुई तो जल जमाव तय: मानसून से पहले अगर इन तमाम छोटे नालों की साफ सफाई नहीं होती है तो मोहल्लों में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न होना तय है. लोग इसके लिए पटना नगर निगम को कोसेंगे जबकि इसके जिम्मेवार पूरी तरह नगर आयुक्त और नगर निगम के अधिकारी होंगे. उन्होंने बताया कि उन्होंने तमाम बैठकों में सभी संप हाउस के मेंटेनेंस का कार्य पूरा करा लिए जाने का सुझाव दिया था ताकि जलजमाव की स्थिति में संप पानी को तेजी से खींच सकें.

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