पटना: देश में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन (Single Use Plastic Ban In Country) लगने के बाद प्लास्टिक से बनी हुई कोई चीजें 1 जुलाई से मिलनी बंद हो गई हैं. इससे रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली कई चीजें शामिल हैं. बता दें कि सिंगल यूज प्लास्टिक यानी प्लास्टिक से बनी ऐसी चीज है जिसका हम सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल करते हैं या फिर इस्तेमाल करके फेंक देते हैं. इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. सरकार द्वारा जिन सिंगल यूज प्लास्टिक की चीजों पर बैन लगा है. उनमें प्लास्टिक कैरी बैग, पॉलिथीन (75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले), प्लास्टिक, स्टिक वाले ईयर बड, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, थर्मोकोल, प्लास्टिक की प्लेट, प्लास्टिक के कप, प्लास्टिक के गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, सिगरेट के पैकेट, ट्रे, स्ट्रा, मिठाई के डिब्बों पर रैप करने वाली फिल्म, इनविटेशन कार्ड, 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर और स्टीकर शामिल हैं.
ये भी पढ़ें- बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन की समय सीमा बढ़ी, 1 जुलाई 2022 से लगेगा प्रतिबंध
देश में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन : बैन लगने के पहले दिन शहर में लोगों का रिएक्शन कैसा रहा और वह किस तरीके से अपने सामान की खरीदारी करना चाहते थे हैं? इसका जायजा हमारे संवाददाता ने लिया. जिसमें कई चीजें सामने निकल कर आई. शहर के व्यस्ततम इलाकों में शुमार बोरिंग रोड में एक कपड़े की दुकान के ऑनर प्रिंस से जब यह पूछा गया कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लग चुकी है. अब आप ग्राहकों को सामान किस में देते हैं ? उनका कहना था कि- 'जब मैंने दुकान खोला था तो शुरू के एकाध साल मैं प्लास्टिक में लोगों को सम्मान देता था, लेकिन करीब तीन-चार सालों से मैं कपड़े के बने थैले में ही लोगों को सम्मान देता हूं. सरकार का या पहल स्वागत योग्य है. प्लास्टिक से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है.'
सिंगल यूज प्लास्टिक प्रार्यवरण के लिए नुकसानदायक : इसी प्रकार जब शहर की सबसे बड़ी सब्जी मंडी में शुमार अंटा घाट में लोगों की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई और यह देखने की कोशिश की गई कि आखिर बिकने वाली सब्जियां किस चीज में बिक रही है. वहां एक साथ कई चीजें देखने को मिली. इस सब्जी मंडी में सब्जी खरीदने आए लोगों में ज्यादातर तो अपने साथ कपड़े का थैला या जूट का बैग लेकर आए थे लेकिन कई ऐसे लोग भी मिले जो प्लास्टिक के थैले में ही सब्जी खरीद कर ले जा रहे थे. यहां सब्जी बेच रहे भरत राय कहते हैं- 'कपड़े वाले बैग में सब्जी बेच रहा हूं. साथ ही कस्टमर को भी कह रहा हूं कि आप लोग अपने साथ थैला लेकर आए.'. इसी बाजार में सब्जी खरीदने आए ग्राहक अमर कुमार कहते हैं- 'मौजूदा हालात में प्लास्टिक बंद होना काफी जरूरी है. इससे आम जनजीवन काफी प्रभावित हो रहा है. बरसात में यह नाली को जाम कर देता है. यह जीवन में कभी खत्म होने वाला नहीं है. यह जहर से भी ज्यादा खतरनाक है.'
सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल पर बैन : पटना नगर निगम की तरफ से सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल पर बैन लगने के बाद दुकानों पर नजर रखने के लिए टास्क फोर्स की टीम एवं धावा दल का गठन किया गया है. यह टीम दुकानों और विभिन्न जगहों पर जांच करेगी. पटना नगर निगम द्वारा लोगों से प्लास्टिक के बजाय इको फ्रेंडली विकल्प चुनने का अनुरोध किया गया है. लोगों से यह कहा गया है कि वह प्लास्टिक की थैलियों के बजाय कपड़े, कॉटन एवं जूट की थैलियों का इस्तेमाल करें. निगम द्वारा इसके लिए सर्कुलर भी जारी किया गया है. जिसमें यह कहा गया है कि प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़ों के बने सामानों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
सिंगल यूज प्लास्टिक यूज करने पर लगेगा जुर्माना : ज्ञात हो कि सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल पर प्रतिबंध लागू होने के बाद इसका उत्पादन आयात, भंडारण और बिक्री को अपराध माना जाएगा और ऐसा करने पर जुर्माना और जेल हो सकता है. भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने अगस्त 2021 में ही सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर बैन लगाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. साथ ही करीब 1 वर्ष का समय इस उद्योग से जुड़े लोगों को दिया गया था ताकि वे अपना स्टॉक खत्म कर ले और इसके विकल्प का इस्तेमाल करें. 1 जुलाई से प्रतिबंध लगने के बाद सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने पर आम लोगों पर 500 से 2000 रुपए और औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पादन आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा. ऐसे लोगों पर 20 हजार से 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या 5 वर्ष तक की जेल या दोनों की सजा दी जा सकती है. इसके अलावा उत्पादों को सीज करना, पर्यावरण क्षति को लेकर जुर्माना लगाना, इनके उत्पादन से जुड़े उद्योग को बंद करने जैसी कार्रवाई भी शामिल है.
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का प्रभाव
1. पूरे बिहार में सालाना दो सौ करोड़ का होता है कारोबार.
2. पूरे राज्य में प्लास्टिक के सामान बनाने की 28 फैक्ट्रियां, जिनमें से चार पटना में.
3. हर रोज करीब 45 टन प्लास्टिक के गिलास का उत्पादन.
4. पूरे बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक इस कार्य में संलग्न
5. इन श्रमिकों में करीब 80 % महिला शामिल.
6. 1 जुलाई के बाद नहीं बन सकेंगे थर्मोकोल से बने ग्लास, चम्मच, कांटा, प्लेट व कटोरी.
7. पूरे पटना में हर रोज करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है.
8. पूरे बिहार में सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचड़ा निकलता है.
ये भी पढ़ें- TATA Workers Union High School के बच्चों ने बेकार प्लास्टिक बोतल से बनाया साइंस पार्क
ये भी पढ़ें- बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल पर बैन, खरीदने और बेचने पर लगेगा जुर्माना