पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखे अभी तय नहीं है लेकिन यहां राजनीति अब करवटें लेने लगी हैं. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्षी पार्टी आरजेडी में भूचाल आ गया है.
रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी से दिया इस्तीफा
आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि आरजेडी में रामा सिंह की एंट्री और तेजस्वी यादव के मनमाने रवैये से नाराज चल रहे थे. हालांकि, पार्टी की तरफ से उन्हें मनाने की लोगातार कोशिश की गई. आखिरकार उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
आरजेडी सुप्रीमो को चिट्ठी
रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस संबंध में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को एक चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में उन्होंने लिखा- 'जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे-पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं. पार्टी नेता कार्यकर्ता और आमजनों ने बड़ा स्नेह दिया. मुझे क्षमा करें.'
रघुवंश बाबू की नाराजगी क्यों?
रामा सिंह की पार्टी में एंट्री को लेकर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के संकटमोचक रहे रघुवंश प्रसाद सिंह नाराज चल रहे थे. रघुवंश की नाराजगी पर नमक छिड़कने का काम लालू के बेटे तेज प्रताप यादव यादव ने किया. तेज प्रताप ने रघुवंश बाबू को पार्टी के समंदर में एक लोटा पानी कह उनकी औकात बता दी. इधर, लालू यादव को जब इसकी खबर लगी तो उन्होंने तेज प्रताप यादव को समझाने के लिए रांची बुलाया. उधर, रघुवंश के समर्थकों ने राबड़ी देवी के आवास के बाहर रामा सिंह का जम कर विरोध किया था.
रघुवंश प्रसाद Vs रामा सिंह...राजनीतिक प्रतिद्वंदिता
जानकार कहते है कि वैशाली जिला में रघुवंश प्रसाद और रामा सिंह के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता है. जैसे एक जंगल में दो शेर और एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती उसी तरह वैशाली में दो नेता यानी रघुवंश प्रसाद और रामा सिंह एक दल में नहीं रह सकते है.
रामा सिंह 2014 में वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह को हराकर सांसद बने थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्हें वैशाली से हार मिली. उन्हें लोक जनशक्ति पार्टी ने टिकट दिया था. हालांकि 2019 आते-आते लोजपा से उन्होंने दूरी बना ली. कुछ दिन पहले ही रामा सिंह ने आरजेडी का दामन थामा है.
RJD के बाद कहां....?
इस बीच कयास लगाए जा रहे है कि रघुवंश बाबू आगे क्या करेंगे? जेडीयू में इसलिए क्योंकी नीतीश कुमार की पार्टी में समाजवादी लोग हैं और रघुवंश खुद भी समाजवादी हैं. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि ने नीतीश के साथ जाएंगे.
लालू और रघुवंश प्रसाद
रघुवंश प्रसाद सिंह की गिनती RJD के उन नेताओं में होती है जिन्होंने बुरे से बुरे दौर में भी लालू यादव का साथ नहीं छोड़ा था. रघुवंश प्रसाद को जमीन से जुड़ा हुआ नेता माना जाता है. जब लालू जेल गए तो पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की कमी हो गई. ऐसे में रघुवंश प्रसाद ही वह चेहरा बनकर उभरे जिन्होंने वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़े रखा. लेकिन, लालू की गैरमौजूदगी अब आरजेडी में वह अनफिट बैठ रहे थे.
रघुवंश प्रसाद सिंह...
- रघुवंश प्रसाद ने गणित में एमएससी और पीएचडी किया है.
- रघुवंश प्रसाद समाजवादी विचारधारा के नेता माने जाते है.
- लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलनों में भाग लिया.
- 1973 में उन्हें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का सचिव नियुक्त किया गया.
- रघुवंश प्रसाद पहली बार 1977 में विधायक बने.
- 1977 से 1985 तक विधायक रहें.
- 1995 में लालू मंत्रिमंडल में रघुवंश प्रसाद सिंह ऊर्जा और पुनर्विकास मंत्री बने.
- 1996 में बिहार के वैशाली से चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे.
- एच डी देवगौड़ा की सरकार में बिहार कोटे से राज्य मंत्री बनें.
- इंद्र कुमार गुजराल सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई.
- अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में आरजेडी ने संसदीय दल का अध्यक्ष बनाया.
- मनमोहन सिंह की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया.
- ग्रामीण विकास मंत्री रहते मनरेगा कानून को बनवाने और पास करवाने में अहम भूमिका निभाई.
रघुवंश प्रसाद सिंह के आरजेडी से इस्तीफा देने के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. फिलहाल, रघुवंश प्रसाद सिंह दिल्ली एम्स में भर्ती हैं.