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जदयू प्रकोष्ठ की बैठक का दूसरा दिन, अमित शाह की रैली काे लेकर पार्टी तैयार कर रही रणनीति

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के सीमांचल दौरे काे लेकर बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है. जदयू के नेताओं की इस दौरे पर पैनी नजर है. जदयू के नेता ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा अमित शाह की यात्रा को लेकर मीडिया में लगातार बयान दे रहे हैं. जदयू प्रकाेष्ठ की बैठक में भी इस यात्रा को लेकर रणनीति बनायी जा रही है.

जदयू प्रकोष्ठ की बैठक
जदयू प्रकोष्ठ की बैठक
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Published : Sep 21, 2022, 5:25 PM IST

पटना: जदयू प्रकोष्ठ की बैठक का आज बुधवार काे दूसरा दिन है. आज की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, संसदीय बाेर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी मौजूद रहे. बैठक में अमित शाह की रैली (Amit Shah Seemanchal Visit) के बाद 27 सितंबर को पार्टी के होने वाले कार्यक्रम को लेकर मंथन किया गया. बता दें कि 27 सितंबर को जदयू की ओर से प्रखंड स्तर पर मार्च का आयोजन किया गया है.

इसे भी पढ़ेंः जानें क्यों मिशन 2024 के लिए अमित शाह ने सीमांचल को चुना, करारा जवाब देने के लिए CM नीतीश तैयार

जदयू प्रकोष्ठ की बैठक का दूसरा दिन.

प्रखंड स्तरीय मार्च काे सफल बनाने की तैयारीः अमित शाह पूर्णिया में 23 सितंबर को और फिर 24 सितंबर को किशनगंज में जनसभा करेंगे. इसके जवाब में जदयू ने भी रैली करने का फैसला कर लिया है. इसकी जानकारी जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने दी थी. आज की बैठक में जदयू ने पार्टी के सभी प्रकोष्ठ के नेताओं को इसे सफल बनाने की जिम्मेदारी दी है.

सभी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष से लिया जा रहा फीडबैकः जदयू अभी सदस्यता अभियान भी चल रहा है. पार्टी की पूरी कोशिश है अधिक से अधिक लोगों को सदस्य बनाया जाए. इसके लिए भी सभी प्रकोष्ठ को टास्क दिया गया है. लेकिन पार्टी की नजर 23 सितंबर और 24 सितंबर को सीमांचल में होने वाली अमित शाह की रैली पर है. इसलिए पार्टी ने इस रैली के बाद ही 27 सितंबर को प्रखंड स्तर पर मार्च का आयोजन किया है. जिसमें महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दे तो रहेंगे ही बीजेपी के खिलाफ मोर्चा भी खोला जाएगा. आज की बैठक में सभी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष से फीडबैक लिया जा रहा है और फिर उन्हें दिशानिर्देश भी दिया जाएगा.

इसे भी पढ़ेंः नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक, वन-पर्यावरण व जलवायु और श्रम संसाधन विभाग का रिव्यू करेंगे CM

अमित शाह के सीमांचल दौरे से जदयू चौकन्नाः जदयू नेताओं को लग रहा है कि अमित शाह के सीमांचल दौरे से भाजपा की सियासत को धार मिलने वाली है. ऐसे में डैमेज कंट्रोल के लिए नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक और पिछड़ों अति पिछड़ों को संदेश देने की कोशिश की हैं कि हम पूरी तरह आपके साथ हैं. आपको डरने की जरूरत नहीं है. पिछले कुछ साल से भाजपा की नजर अति पिछड़ा वोट बैंक पर है. रणनीति के तहत भाजपा ने अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले दो नेताओं को उप मुख्यमंत्री बनाया था. भाजपा ने धानुक जाति से आने वाले अति पिछड़ा समुदाय के नेता को राज्यसभा भी भेजा था.

पटना: जदयू प्रकोष्ठ की बैठक का आज बुधवार काे दूसरा दिन है. आज की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, संसदीय बाेर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी मौजूद रहे. बैठक में अमित शाह की रैली (Amit Shah Seemanchal Visit) के बाद 27 सितंबर को पार्टी के होने वाले कार्यक्रम को लेकर मंथन किया गया. बता दें कि 27 सितंबर को जदयू की ओर से प्रखंड स्तर पर मार्च का आयोजन किया गया है.

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जदयू प्रकोष्ठ की बैठक का दूसरा दिन.

प्रखंड स्तरीय मार्च काे सफल बनाने की तैयारीः अमित शाह पूर्णिया में 23 सितंबर को और फिर 24 सितंबर को किशनगंज में जनसभा करेंगे. इसके जवाब में जदयू ने भी रैली करने का फैसला कर लिया है. इसकी जानकारी जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने दी थी. आज की बैठक में जदयू ने पार्टी के सभी प्रकोष्ठ के नेताओं को इसे सफल बनाने की जिम्मेदारी दी है.

सभी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष से लिया जा रहा फीडबैकः जदयू अभी सदस्यता अभियान भी चल रहा है. पार्टी की पूरी कोशिश है अधिक से अधिक लोगों को सदस्य बनाया जाए. इसके लिए भी सभी प्रकोष्ठ को टास्क दिया गया है. लेकिन पार्टी की नजर 23 सितंबर और 24 सितंबर को सीमांचल में होने वाली अमित शाह की रैली पर है. इसलिए पार्टी ने इस रैली के बाद ही 27 सितंबर को प्रखंड स्तर पर मार्च का आयोजन किया है. जिसमें महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दे तो रहेंगे ही बीजेपी के खिलाफ मोर्चा भी खोला जाएगा. आज की बैठक में सभी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष से फीडबैक लिया जा रहा है और फिर उन्हें दिशानिर्देश भी दिया जाएगा.

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अमित शाह के सीमांचल दौरे से जदयू चौकन्नाः जदयू नेताओं को लग रहा है कि अमित शाह के सीमांचल दौरे से भाजपा की सियासत को धार मिलने वाली है. ऐसे में डैमेज कंट्रोल के लिए नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक और पिछड़ों अति पिछड़ों को संदेश देने की कोशिश की हैं कि हम पूरी तरह आपके साथ हैं. आपको डरने की जरूरत नहीं है. पिछले कुछ साल से भाजपा की नजर अति पिछड़ा वोट बैंक पर है. रणनीति के तहत भाजपा ने अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले दो नेताओं को उप मुख्यमंत्री बनाया था. भाजपा ने धानुक जाति से आने वाले अति पिछड़ा समुदाय के नेता को राज्यसभा भी भेजा था.

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