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PMCH में PPE किट के लिए नहीं है डाउनिंग-ड्रॉपिंग रूम, खुले में पड़े किट संक्रमण को दे रहे न्योता

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Published : Jul 18, 2020, 7:15 PM IST

पीएमसीएच के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के पास सबसे ज्यादा यूज्ड पीपीई किट बिखरे पड़े हैं. आलम ये है कि अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग या इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में जाना हो, तो यूज्ड पीपीई किट के वेस्ट पर आपके पैर पड़ ही जाएंगे. भले ही अस्पताल में मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए जगह और व्यवस्था निर्धारित है, लेकिन इसके ठिकाने की किसी को जानकारी नहीं कि यह व्यवस्था कहां है.

PMCH
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पटना: राजधानी का सबसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल पीएमसीएच हॉस्पिटल कोरोना संक्रमण का हॉट-स्पॉट बनता जा रहा है. अस्पताल में चारों तरफ यूज्ड पीपीई किट यूं बी खुले में फेंके हुए देखे जा रहे हैं. इनको कौए और आवारा पशु इधर-उधर लेकर जाते रहते हैं, जिससे पूरे पीएमसीएच परिसर और आसपास के इलाके में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ गया है.

मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल नहीं
पीएमसीएच के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के पास सबसे ज्यादा यूज्ड पीपीई किट बिखरे पड़े हैं. आलम ये है कि अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग या इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में जाना हो, तो यूज्ड पीपीई किट के वेस्ट पर आपके पैर पड़ ही जाएंगे. हैरानी की बात तो ये है कि भले ही अस्पताल में मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए जगह और व्यवस्था निर्धारित है, लेकिन इसके ठिकाने की किसी को जानकारी नहीं कि यह व्यवस्था कहां है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पीएमसीएच में यूज्ड पीपीई किट की गंदगी
इसके पास में ही धनवंतरी हॉस्टल है, जहां एमबीबीएस के छात्र रहते हैं. चाणक्य पीजी हॉस्टल है जहां जूनियर डॉक्टर रहते हैं. पीएमसीएच में जिस तरह यूज्ड पीपीई किट की गंदगी देखने को मिल रही है, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर क्या वजह है कि पटना के दूसरे मेडिकल कॉलेजों की तुलना में पीएमसीएच के जूनियर और सीनियर डॉक्टर कोरोना के ज्यादा शिकार हुए हैं.

मेडिकल वेस्ट डिस्पोज करने की कोई तैयारी नहीं
पीएमसीएच के पैथोलॉजी विभाग के पास की गंदगी की तस्वीरें ईटीवी भारत ने कुछ दिनों पहले भी प्रमुखता से दिखाई थी. इसके बावजूद भी अबतक अस्पताल प्रबंधन ने इस मसले को लेकर कोई पहल नहीं की. अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह से फेल और शिथिल नजर आ रहा है. यहां मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने का कोई भी उपाय नजर नहीं आता. पीपीई कीट के अलावा कई दूसरे मेडिकल वेस्ट भी यहां-वहां खुले में फेंक दिए जाते हैं.

PMCH
पीएमसीएच के डॉक्टर्स

पीपीई किट उतारने के लिए डाउनिंग-ड्रॉपिंग रूम नहीं
पीएमसीएच में गंदगी से अस्पताल में आने वाले लोगों और अस्पताल परिसर में रहने वाले जूनियर डॉक्टरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ कुंदन सुमन ने बताया कि अस्पताल में पीपीई किट उतारने के लिए कहीं कोई डाउनिंग-ड्रॉपिंग रूम की व्यवस्था नहीं है. डाउनिंग ड्रॉपिंग रूम वो रुम है जहां पीपीई किट को पहना और उतारा जाता है.

वायरस के फैलने की संभावना बहुत ज्यादा
ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ कुंदन सुमन ने कहा कि इसकी व्यवस्था ना होने से ही यहां-वहां पीपीई किट बिखरे हुए नजर आते हैं. उन्होंने कहा कि जो पीपीई किट हम वायरस पार्टिकल से सुरक्षा के लिए पहनते हैं, अगर उसे इधर-उधर फेंका जाता है तो इससे वायरस के फैलने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है.

PMCH
पीएमसीएच परिसर में बिखरे मेडिकल वेस्ट

सुपरिटेंडेंट और प्रिंसिपल को भी है जानकारी
डॉ सुमन ने कहा कि यहीं जूनियर डॉक्टरों का रेजिडेंस है और हमेशा उन्हें इन्हीं रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसे में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि अपने इन मांगों को लेकर वह कई बार सुपरिटेंडेंट और प्रिंसिपल को जानकारी दे चुके हैं, लेकिन इस मामले पर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है.

पीएमसीएच प्रशासन का साफ सफाई की ओर ध्यान नहीं
पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर डॉ सुबोध कुमार ने बताया कि यहां किसी प्रकार की मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. पीएमसीएच अस्पताल और कॉलेज प्रशासन का साफ सफाई की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है. वह पूरी तरह से पंगु बन चुका है. उन्होंने कहा कि पटना के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सर्वाधिक चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी पीएमसीएच के ही संक्रमित हुए हैं. परिसर में फैली ये गंदगी इसकी एक प्रमुख वजह है.

पटना: राजधानी का सबसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल पीएमसीएच हॉस्पिटल कोरोना संक्रमण का हॉट-स्पॉट बनता जा रहा है. अस्पताल में चारों तरफ यूज्ड पीपीई किट यूं बी खुले में फेंके हुए देखे जा रहे हैं. इनको कौए और आवारा पशु इधर-उधर लेकर जाते रहते हैं, जिससे पूरे पीएमसीएच परिसर और आसपास के इलाके में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ गया है.

मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल नहीं
पीएमसीएच के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के पास सबसे ज्यादा यूज्ड पीपीई किट बिखरे पड़े हैं. आलम ये है कि अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग या इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में जाना हो, तो यूज्ड पीपीई किट के वेस्ट पर आपके पैर पड़ ही जाएंगे. हैरानी की बात तो ये है कि भले ही अस्पताल में मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए जगह और व्यवस्था निर्धारित है, लेकिन इसके ठिकाने की किसी को जानकारी नहीं कि यह व्यवस्था कहां है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पीएमसीएच में यूज्ड पीपीई किट की गंदगी
इसके पास में ही धनवंतरी हॉस्टल है, जहां एमबीबीएस के छात्र रहते हैं. चाणक्य पीजी हॉस्टल है जहां जूनियर डॉक्टर रहते हैं. पीएमसीएच में जिस तरह यूज्ड पीपीई किट की गंदगी देखने को मिल रही है, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर क्या वजह है कि पटना के दूसरे मेडिकल कॉलेजों की तुलना में पीएमसीएच के जूनियर और सीनियर डॉक्टर कोरोना के ज्यादा शिकार हुए हैं.

मेडिकल वेस्ट डिस्पोज करने की कोई तैयारी नहीं
पीएमसीएच के पैथोलॉजी विभाग के पास की गंदगी की तस्वीरें ईटीवी भारत ने कुछ दिनों पहले भी प्रमुखता से दिखाई थी. इसके बावजूद भी अबतक अस्पताल प्रबंधन ने इस मसले को लेकर कोई पहल नहीं की. अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह से फेल और शिथिल नजर आ रहा है. यहां मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने का कोई भी उपाय नजर नहीं आता. पीपीई कीट के अलावा कई दूसरे मेडिकल वेस्ट भी यहां-वहां खुले में फेंक दिए जाते हैं.

PMCH
पीएमसीएच के डॉक्टर्स

पीपीई किट उतारने के लिए डाउनिंग-ड्रॉपिंग रूम नहीं
पीएमसीएच में गंदगी से अस्पताल में आने वाले लोगों और अस्पताल परिसर में रहने वाले जूनियर डॉक्टरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ कुंदन सुमन ने बताया कि अस्पताल में पीपीई किट उतारने के लिए कहीं कोई डाउनिंग-ड्रॉपिंग रूम की व्यवस्था नहीं है. डाउनिंग ड्रॉपिंग रूम वो रुम है जहां पीपीई किट को पहना और उतारा जाता है.

वायरस के फैलने की संभावना बहुत ज्यादा
ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ कुंदन सुमन ने कहा कि इसकी व्यवस्था ना होने से ही यहां-वहां पीपीई किट बिखरे हुए नजर आते हैं. उन्होंने कहा कि जो पीपीई किट हम वायरस पार्टिकल से सुरक्षा के लिए पहनते हैं, अगर उसे इधर-उधर फेंका जाता है तो इससे वायरस के फैलने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है.

PMCH
पीएमसीएच परिसर में बिखरे मेडिकल वेस्ट

सुपरिटेंडेंट और प्रिंसिपल को भी है जानकारी
डॉ सुमन ने कहा कि यहीं जूनियर डॉक्टरों का रेजिडेंस है और हमेशा उन्हें इन्हीं रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसे में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि अपने इन मांगों को लेकर वह कई बार सुपरिटेंडेंट और प्रिंसिपल को जानकारी दे चुके हैं, लेकिन इस मामले पर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है.

पीएमसीएच प्रशासन का साफ सफाई की ओर ध्यान नहीं
पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर डॉ सुबोध कुमार ने बताया कि यहां किसी प्रकार की मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. पीएमसीएच अस्पताल और कॉलेज प्रशासन का साफ सफाई की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है. वह पूरी तरह से पंगु बन चुका है. उन्होंने कहा कि पटना के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सर्वाधिक चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी पीएमसीएच के ही संक्रमित हुए हैं. परिसर में फैली ये गंदगी इसकी एक प्रमुख वजह है.

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