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CM के बयान पर सम्राट चौधरी का पलटवार, बोले- 'दल बदलू कौन सब जानते हैं, 32 साल का लूंगा हिसाब'

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Published : Oct 8, 2022, 9:15 PM IST

बिहार नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ों को आरक्षण देने के सवाल पर भाजपा और जदयू में तल्खी बढ़ती जा रही है. दोनों ओर से जुबानी जंग जारी है. बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी और सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) दोनों आमने-सामने हैं. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. पढ़ें पूरी खबर..

सम्राट चौधरी
सीएम नीतीश कुमार

पटना: बिहार में नगर निकाय चुनाव (Bihar Municipal Election) में अति पिछड़ों को आरक्षण देने के सवाल पर बिहार में सियासी संग्राम मचा है. भाजपा और जदयू के बीच तल्खी भी बढ़ गई है. दोनों ओर से बयानों के तीर चलाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी (Leader Of Opposition Samrat Choudhary) के बीच आमने-सामने की लड़ाई छिड़ गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि (Jayaprakash Narayan Death Anniversary) पर गांधी मैदान स्थित जेपी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद मीडिया से बात की. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना हाईकोर्ट के ईबीसी आरक्षण के मुद्दे पर नगर पालिका चुनाव रोकने को लेकर कहा कि हमारे यहां से फिर एक बार अनुरोध होगा कि इसको देख लीजिए.

ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार के खिलाफ कोर्ट के अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिएः सम्राट चौधरी

CM नीतीश कुमार ने सम्राट चौधरी पर कसा तंज : सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वहां पर तो कोई नया चीज लागू नहीं हुआ है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सब ने अप्रूवल दिया गया था तो फिर नया चीज कैसे हो सकता है?. लोग क्या करते हैं भाई?. सारे लोग ओबीसी, अति पिछड़ों के खिलाफ हो गए हैं. आज कुछ-कुछ बोलते रहते हैं, यह 2006 से शुरू किया गया. सीएम नीतीश कुमार सबसे अधिक परेशान विपक्ष में नेता विरोधी दल नेता सम्राट चौधरी के बयानों से थे. भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी के आक्रामक बयानों से वे इतने परेशान दिखे कि बिना नाम लिये कहा कि बीजेपी वाला एक लड़का लाया है, वो क्या-क्या बोल रहा है.

'2007 में नगर निकाय का चुनाव हुआ. सभी लोगों से राय-मशविरा करके लागू किया गया, उस समय विभाग उनका था. जो कुछ भी किया गया उसके बाद चार बार पंचायत का और तीन बार नगर निकाय का चुनाव हुआ. इसके बारे में कुछ बोलना मुझे तो आश्चर्य होता है. क्या बात है भाई, कैसी-कैसी बातें करते रहते हैं लोग.' - नीतीश कुमार, सीएम

सम्राट चौधरी ने CM के बायन पर किया पलटवार : मुख्यमंत्री के आरोपों पर सम्राट चौधरी ने भी पलटवार करते (Samrat Chaudhary On Statement Of CM Nitish Kumar) हुए कहा कि नीतीश कुमार ने कहा है, मैंने समता पार्टी का निर्माण किया जो बिल्कुल झूठ है. मनगढ़न्त और सत्य से परे है. वास्तविवकता यह है कि जॉर्ज फर्नांडीस साहब की सहमति से मेरे पिता शकुनी चौधरी जी के समता पार्टी बनाने के सुझाव पर बना था. यह बात बिहार विधान परिषद में नेता विपक्ष सम्राट चौधरी ने बिहार विधान परिषद में में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा. आगे चौधरी ने बताया कि जनता दल से 14 सांसद अलग हुए थे, तो नीतीश कुमार को बिहार घूमने की क्षमता नहीं थी. लालू प्रसाद जी के गुण्डों ने वैशाली के गौरौल में जानलेवा हमला किया था, किसी तरह जान बचाकर भागे. लालू जी के डर से नीतीश कुमार बिहार घूमना बन्द कर दिए. फिर मेरे पिता शकुनी चौधरी जी का पैर-हाथ पकड़कर समता पार्टी निर्माण के बाद साथ घूमना शुरू किए.

'बिहार सीएम को 32 साल का देना होगा हिसाब' : समता पार्टी बनने के बाद यदि सबसे अधिक यातना किन्हीं को बिहार में मिला तो वह मेरा परिवार है. मेरे शरीर पर लालू के पुलिसिया गुंडों द्वारा हजारों लाठियां बरसाई गई, जेल में डाला गया और मेरे परिवार के 22 सदस्यों को झूठा केस में फंसाकार जेल भेजा गया. मेरे घर की कुर्की के नाम पर खिडकी, केवाड़ी उखाड़ कर खण्डहर बना दिया. कुंआ में जहर डाल दिया और पेसाब कर दिया. हजारों मन के अनाज को एक साथ मिलाकर जला हुआ मोबिल डाल दिया. जिसकी जांच मानवाधिकार आयोग दिल्ली के तत्कालीन डीआईजी श्री शिवाजी सिंह ने खुद किया. घटना को सही पाकर सरकार को आर्थिक जुर्माना किया और नीतीश कुमार समता पार्टी बनाने का दम्भ भरते हैं. मेरे पिता श्री शकुनी चौधरी जी समता पार्टी में नहीं होते तो नीतीश कुमार को औकात नहीं था कि बिहार में लालू जी के खिलाफ चूं बोल देते.

'वर्ष 1998 में नीतीश कुमार को अटल जी और जॉर्ज साहब अपने मंत्रिमंडल में लेने से मना कर दिए. कहा गया कि जब आप बिहार की सत्ता सम्भालना चाहते है तो केन्द्र में मंत्री नहीं बनाया जायेगा. जॉर्ज साहब और मेरे पिता श्री शकुनी चौधरी जी का पैर पकड़कर भारत सरकार में मंत्री बने. फिर जॉर्ज साहब जैसे महान व्यक्ति के साथ जो दगा किए, जग जाहिर है. 1998 में पिता श्री शकुनी चौधरी जी के खगड़िया लोक सभा से सांसद बनने के बाद जब तारापुर विधान सभा से समता पार्टी के टिकट पर मेरी माता स्व. पार्वती देवी जी चुनाव लड़ रही थी, तो नीतीश कुमार ने विरोध किया था. 1998 में स्व. अटल जी के मंत्रिमंडल विस्तार के क्रम में जब मेरे पिता जी को मंत्री बनाया जाना प्रस्तावित था, तो मध्य रात्रि में जॉर्ज साहब को विवश कर मंत्री बनने से रोकवाकर पीठ में छूरा घोंपने का काम किया. नीतीश कुमार किस प्रकार के दल बदलू हैं, उसका कुछ बानगी इस प्रकार है- सर्वप्रथम जनता पार्टी, फिर जनता पार्टी सेक्यूलर, लोक दल, जनता दल, जनता दल जॉर्ज, समता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) है.' - सम्राट चौधरी, नेता विपक्ष, बिहार विधान परिषद

नगर पालिका चुनाव 2022 स्थगित : गौरतलब है कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने अगले आदेश तक के लिए नगर पालिका चुनाव 2022 को स्थगित कर दिया (Bihar Municipal Election Postponed) है. पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया है. नगर पालिका आम निर्वाचन 2022 के पहले और दूसरे चरण के लिए 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तिथि को तत्काल स्थगित कर दिया है. जानकारी दी गयी है कि स्थगित निर्वाचन की अगली तिथि जल्द ही सूचित की जाएगी.

तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला : बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.

पटना: बिहार में नगर निकाय चुनाव (Bihar Municipal Election) में अति पिछड़ों को आरक्षण देने के सवाल पर बिहार में सियासी संग्राम मचा है. भाजपा और जदयू के बीच तल्खी भी बढ़ गई है. दोनों ओर से बयानों के तीर चलाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी (Leader Of Opposition Samrat Choudhary) के बीच आमने-सामने की लड़ाई छिड़ गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि (Jayaprakash Narayan Death Anniversary) पर गांधी मैदान स्थित जेपी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद मीडिया से बात की. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना हाईकोर्ट के ईबीसी आरक्षण के मुद्दे पर नगर पालिका चुनाव रोकने को लेकर कहा कि हमारे यहां से फिर एक बार अनुरोध होगा कि इसको देख लीजिए.

ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार के खिलाफ कोर्ट के अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिएः सम्राट चौधरी

CM नीतीश कुमार ने सम्राट चौधरी पर कसा तंज : सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वहां पर तो कोई नया चीज लागू नहीं हुआ है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सब ने अप्रूवल दिया गया था तो फिर नया चीज कैसे हो सकता है?. लोग क्या करते हैं भाई?. सारे लोग ओबीसी, अति पिछड़ों के खिलाफ हो गए हैं. आज कुछ-कुछ बोलते रहते हैं, यह 2006 से शुरू किया गया. सीएम नीतीश कुमार सबसे अधिक परेशान विपक्ष में नेता विरोधी दल नेता सम्राट चौधरी के बयानों से थे. भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी के आक्रामक बयानों से वे इतने परेशान दिखे कि बिना नाम लिये कहा कि बीजेपी वाला एक लड़का लाया है, वो क्या-क्या बोल रहा है.

'2007 में नगर निकाय का चुनाव हुआ. सभी लोगों से राय-मशविरा करके लागू किया गया, उस समय विभाग उनका था. जो कुछ भी किया गया उसके बाद चार बार पंचायत का और तीन बार नगर निकाय का चुनाव हुआ. इसके बारे में कुछ बोलना मुझे तो आश्चर्य होता है. क्या बात है भाई, कैसी-कैसी बातें करते रहते हैं लोग.' - नीतीश कुमार, सीएम

सम्राट चौधरी ने CM के बायन पर किया पलटवार : मुख्यमंत्री के आरोपों पर सम्राट चौधरी ने भी पलटवार करते (Samrat Chaudhary On Statement Of CM Nitish Kumar) हुए कहा कि नीतीश कुमार ने कहा है, मैंने समता पार्टी का निर्माण किया जो बिल्कुल झूठ है. मनगढ़न्त और सत्य से परे है. वास्तविवकता यह है कि जॉर्ज फर्नांडीस साहब की सहमति से मेरे पिता शकुनी चौधरी जी के समता पार्टी बनाने के सुझाव पर बना था. यह बात बिहार विधान परिषद में नेता विपक्ष सम्राट चौधरी ने बिहार विधान परिषद में में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा. आगे चौधरी ने बताया कि जनता दल से 14 सांसद अलग हुए थे, तो नीतीश कुमार को बिहार घूमने की क्षमता नहीं थी. लालू प्रसाद जी के गुण्डों ने वैशाली के गौरौल में जानलेवा हमला किया था, किसी तरह जान बचाकर भागे. लालू जी के डर से नीतीश कुमार बिहार घूमना बन्द कर दिए. फिर मेरे पिता शकुनी चौधरी जी का पैर-हाथ पकड़कर समता पार्टी निर्माण के बाद साथ घूमना शुरू किए.

'बिहार सीएम को 32 साल का देना होगा हिसाब' : समता पार्टी बनने के बाद यदि सबसे अधिक यातना किन्हीं को बिहार में मिला तो वह मेरा परिवार है. मेरे शरीर पर लालू के पुलिसिया गुंडों द्वारा हजारों लाठियां बरसाई गई, जेल में डाला गया और मेरे परिवार के 22 सदस्यों को झूठा केस में फंसाकार जेल भेजा गया. मेरे घर की कुर्की के नाम पर खिडकी, केवाड़ी उखाड़ कर खण्डहर बना दिया. कुंआ में जहर डाल दिया और पेसाब कर दिया. हजारों मन के अनाज को एक साथ मिलाकर जला हुआ मोबिल डाल दिया. जिसकी जांच मानवाधिकार आयोग दिल्ली के तत्कालीन डीआईजी श्री शिवाजी सिंह ने खुद किया. घटना को सही पाकर सरकार को आर्थिक जुर्माना किया और नीतीश कुमार समता पार्टी बनाने का दम्भ भरते हैं. मेरे पिता श्री शकुनी चौधरी जी समता पार्टी में नहीं होते तो नीतीश कुमार को औकात नहीं था कि बिहार में लालू जी के खिलाफ चूं बोल देते.

'वर्ष 1998 में नीतीश कुमार को अटल जी और जॉर्ज साहब अपने मंत्रिमंडल में लेने से मना कर दिए. कहा गया कि जब आप बिहार की सत्ता सम्भालना चाहते है तो केन्द्र में मंत्री नहीं बनाया जायेगा. जॉर्ज साहब और मेरे पिता श्री शकुनी चौधरी जी का पैर पकड़कर भारत सरकार में मंत्री बने. फिर जॉर्ज साहब जैसे महान व्यक्ति के साथ जो दगा किए, जग जाहिर है. 1998 में पिता श्री शकुनी चौधरी जी के खगड़िया लोक सभा से सांसद बनने के बाद जब तारापुर विधान सभा से समता पार्टी के टिकट पर मेरी माता स्व. पार्वती देवी जी चुनाव लड़ रही थी, तो नीतीश कुमार ने विरोध किया था. 1998 में स्व. अटल जी के मंत्रिमंडल विस्तार के क्रम में जब मेरे पिता जी को मंत्री बनाया जाना प्रस्तावित था, तो मध्य रात्रि में जॉर्ज साहब को विवश कर मंत्री बनने से रोकवाकर पीठ में छूरा घोंपने का काम किया. नीतीश कुमार किस प्रकार के दल बदलू हैं, उसका कुछ बानगी इस प्रकार है- सर्वप्रथम जनता पार्टी, फिर जनता पार्टी सेक्यूलर, लोक दल, जनता दल, जनता दल जॉर्ज, समता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) है.' - सम्राट चौधरी, नेता विपक्ष, बिहार विधान परिषद

नगर पालिका चुनाव 2022 स्थगित : गौरतलब है कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने अगले आदेश तक के लिए नगर पालिका चुनाव 2022 को स्थगित कर दिया (Bihar Municipal Election Postponed) है. पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया है. नगर पालिका आम निर्वाचन 2022 के पहले और दूसरे चरण के लिए 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तिथि को तत्काल स्थगित कर दिया है. जानकारी दी गयी है कि स्थगित निर्वाचन की अगली तिथि जल्द ही सूचित की जाएगी.

तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला : बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.

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