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बिहार में RTI का हाल: 2 साल से बंद पड़ा है कॉल सेंटर, वेबसाइट भी नहीं है UPDATED

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Published : Oct 19, 2019, 9:54 AM IST

Updated : Oct 23, 2019, 4:28 PM IST

आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय कहते हैं पिछले तकरीबन 6 महीने से बिहार में मुख्य सूचना आयुक्त का पद क्यों रिक्त है या समझ नहीं आता. इसके लिए वर्तमान की सरकार जिम्मेदार है. यह सरकार अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए इस तरह का रवैया अपना रही है.

बिहार में RTI का हाल

पटना: भारत में सूचना का अधिकार कानून 2006 में लाया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2007 में जानकारी कॉल सेंटर के तहत सूचना का अधिकार कानून को और मजबूती से बिहार में लागू किया था. जानकारी कॉल सेंटर चलाने पर बिहार सरकार को पुरस्कार भी मिल चुका है. लेकिन आज वही पुरस्कार पाने वाले नीतीश कुमार का विभाग आम जनता के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है.

काले कारनामे हुए उजागर
दरअसल, पिछले 2 वर्षों से जानकारी कॉल सेंटर बिहार में बंद पड़ा है. स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि बिहार सूचना आयोग का वेबसाइट भी दो साल से अपडेट नहीं हुआ है. इस बारे में आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय बताते हैं कि शुरुआत के दिनों में इस कानून का इस्तेमाल कर बड़े-बड़े घोटालों को उजागर किया गया था. इसके माध्यम से आम जनता के बीच काले कारनामे आन लगे. जिसके कारण इस कानून को लगातार कमजोर किया जा रहा है.

2 सालों से बंद पड़ा है कॉल सेंटर

वर्तमान की सरकार जिम्मेदार
शिव प्रकाश राय कहते हैं पिछले तकरीबन 6 महीने से बिहार में मुख्य सूचना आयुक्त का पद क्यों रिक्त है या समझ नहीं आता. इसके लिए वर्तमान की सरकार जिम्मेदार है. यह सरकार अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए इस तरह का रवैया अपना रही है.

समाज के लिए खतरनाक
इस मामले पर पूर्व एमएलसी प्रेम कुमार मणि ने कहा कि जो लोग उत्साहित होकर आरटीआई का स्वागत कर रहे थे आखिर आज वह इस तरह हरकत क्यों कर रहे हैं ? पूर्व एमएलसी कहते हैं कि सरकार कुछ गलत कर रही है जिसके कारण उसे छुपाने में लगी हुई है. किसी भी सरकार को पारदर्शी होनी चाहिए और पारदर्शिता का सबसे बड़ा माध्यम सूचना का अधिकार है. लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा सूचना का अधिकार को लेकर जिस तरह का रवैया अपनाया जा रहा है वह समाज के लिए खतरनाक है.

पटना: भारत में सूचना का अधिकार कानून 2006 में लाया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2007 में जानकारी कॉल सेंटर के तहत सूचना का अधिकार कानून को और मजबूती से बिहार में लागू किया था. जानकारी कॉल सेंटर चलाने पर बिहार सरकार को पुरस्कार भी मिल चुका है. लेकिन आज वही पुरस्कार पाने वाले नीतीश कुमार का विभाग आम जनता के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है.

काले कारनामे हुए उजागर
दरअसल, पिछले 2 वर्षों से जानकारी कॉल सेंटर बिहार में बंद पड़ा है. स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि बिहार सूचना आयोग का वेबसाइट भी दो साल से अपडेट नहीं हुआ है. इस बारे में आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय बताते हैं कि शुरुआत के दिनों में इस कानून का इस्तेमाल कर बड़े-बड़े घोटालों को उजागर किया गया था. इसके माध्यम से आम जनता के बीच काले कारनामे आन लगे. जिसके कारण इस कानून को लगातार कमजोर किया जा रहा है.

2 सालों से बंद पड़ा है कॉल सेंटर

वर्तमान की सरकार जिम्मेदार
शिव प्रकाश राय कहते हैं पिछले तकरीबन 6 महीने से बिहार में मुख्य सूचना आयुक्त का पद क्यों रिक्त है या समझ नहीं आता. इसके लिए वर्तमान की सरकार जिम्मेदार है. यह सरकार अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए इस तरह का रवैया अपना रही है.

समाज के लिए खतरनाक
इस मामले पर पूर्व एमएलसी प्रेम कुमार मणि ने कहा कि जो लोग उत्साहित होकर आरटीआई का स्वागत कर रहे थे आखिर आज वह इस तरह हरकत क्यों कर रहे हैं ? पूर्व एमएलसी कहते हैं कि सरकार कुछ गलत कर रही है जिसके कारण उसे छुपाने में लगी हुई है. किसी भी सरकार को पारदर्शी होनी चाहिए और पारदर्शिता का सबसे बड़ा माध्यम सूचना का अधिकार है. लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा सूचना का अधिकार को लेकर जिस तरह का रवैया अपनाया जा रहा है वह समाज के लिए खतरनाक है.

Intro:2006 में भारत में सूचना का अधिकार कानून लाया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2007 में जानकारी कॉल सेंटर के तहत सूचना का अधिकार कानून को और मजबूती से बिहार में लागू किया था। जानकारी कॉल सेंटर चलाने पर बिहार सरकार को पुरस्कार भी मिल चुका है। लेकिन आज वही पुरस्कार पाने वाले नितीश कुमार का विभाग आम जनता के लिए परेशानी बनता जा रहा है। पिछले 2 वर्षों से जानकारी कॉल सेंटर बिहार में बंद पड़ा है। स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि बिहार सूचना आयोग का वेबसाइट भी 2 साल से अपडेट नहीं हुआ है।


Body:आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय बताते हैं कि शुरुआत के दिनों में इस कानून का इस्तेमाल कर बड़े-बड़े घोटालों को उजागर किया गया था। लेकिन बाद के दिनों में वर्तमान सरकार गिरने लगी कि उनके काले कारनामे आरटीआई के माध्यम से आम जनता के बीच आ जाएंगे। जिसके कारण इस कानून को लगातार कमजोर किया जा रहा है। शिव प्रकाश राय कहते हैं पिछले तकरीबन 6 महीने से बिहार में मुख्य सूचना आयुक्त का पद क्यों रिक्त है या समझ नहीं आता। इनका सीधा आरोप वर्तमान सरकार पर है कि यह सरकार अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए इस तरह का रवैया अपना रही है।

शिव प्रकाश मिश्र अपने जमीन के कागजात को सुधार के लिए लगातार आरटीआई का दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं। मिश्र बताते हैं कि उनकी एक जमीन जो पहले उनके माता के नाम थी बाद में किसी और के नाम कर दिया गया। आरटीआई में माध्य्म से मामले को की गहन जानकारी लेनी चाही, तो पुराने दस्तावेज को गायब कर दिया गया। स्थिति इतनी खतरनाक हो गई है कि अधिकारी सीधी बात भी नहीं करते।


Conclusion:वह इस मामले पर पूर्व एमएलसी प्रेम कुमार मणि का सीधा मानना है कि जो लोग उत्साहित होकर आरटीआई का स्वागत कर रहे थे आखिर आज भी इस तरह की हरकत क्यों कर रहे हैं ? मनी कहते हैं कि सरकार कुछ गलत कर रही है जिसके कारण उसे छुपाने में लगी हुई है। किसी भी सरकार को पारदर्शी होनी चाहिए और पारदर्शिता का सबसे बड़ा माध्यम सूचना का अधिकार है। लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा सूचना का अधिकार को लेकर जिस तरह का रवैया अपनाया जा रहा है वह समाज के लिए खतरनाक है।
Last Updated : Oct 23, 2019, 4:28 PM IST
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