पटना: बिहार में कमजोर मानसून का सीधा असर खेती पर पड़ता दिख रहा है. किसान आसमान की ओर से देख रहे और झमाझम बारिश का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, अभी तक हालात ये संकेत दे रहे कि इस बार राज्य में सूखे का संकट मंडरा रहा है. राज्य के 36 जिलों में मानसून की बेरुखी (Drought condition in 36 districts of Bihar) से अब तक कम बारिश हुई है. ऐसे में अगर एक-दो दिन में बारिश नहीं हुई तो हालात और बिगड़ सकते हैं. कृषि विभाग की मानें तो राज्य में बारिश तो हुई है, लेकिन इतनी अच्छी भी बारिश नहीं हुई है कि खेतों को धान की रोपनी के लायक तैयार किया जा सके. धान की खेती करने वाले किसानों के माथों पर परेशानी की लकीरें (Rain Deficiency Hits Farmers in Bihar) दिखने लगी हैं. इस बीच, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव किसानों के बीच पहुंचे.
ये भी पढ़ें: बिहार में इस बार भी कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ के हैं हालात, किसान परेशान
-
किसानों से संवाद कर उनकी समस्याओं को जाना।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
बिहार के 35 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।प्रदेश के 62% से अधिक सरकारी नलकूप खराब है।राज्य भर में खेती-किसानी का संकट है। लोग पलायन कर रहे है।सूखे के कारण कहीं धान रोपनी में देरी है तो कहीं खेतो में ही धान के बिचड़े सूखने लगे है। pic.twitter.com/nxKjF4NFIZ
">किसानों से संवाद कर उनकी समस्याओं को जाना।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 18, 2022
बिहार के 35 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।प्रदेश के 62% से अधिक सरकारी नलकूप खराब है।राज्य भर में खेती-किसानी का संकट है। लोग पलायन कर रहे है।सूखे के कारण कहीं धान रोपनी में देरी है तो कहीं खेतो में ही धान के बिचड़े सूखने लगे है। pic.twitter.com/nxKjF4NFIZकिसानों से संवाद कर उनकी समस्याओं को जाना।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 18, 2022
बिहार के 35 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।प्रदेश के 62% से अधिक सरकारी नलकूप खराब है।राज्य भर में खेती-किसानी का संकट है। लोग पलायन कर रहे है।सूखे के कारण कहीं धान रोपनी में देरी है तो कहीं खेतो में ही धान के बिचड़े सूखने लगे है। pic.twitter.com/nxKjF4NFIZ
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा- ''किसानों से संवाद कर उनकी समस्याओं को जाना. बिहार के 35 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. प्रदेश के 62% से अधिक सरकारी नलकूप खराब है. राज्य भर में खेती-किसानी का संकट है. लोग पलायन कर रहे है. सूखे के कारण कहीं धान रोपनी में देरी है तो कहीं खेतो में ही धान के बिचड़े सूखने लगे है.'' साथ ही तेजस्वी ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि किसानों को डीजल अनुदान मिल नहीं रहा है. डबल इंजन सरकार किसानों की समस्या पर अविलंब ध्यान दें.
पटना मौसम विभाग की माने तो मानसून सीजन में बिहार में 1017.2 मिलीमीटर बारिश का मानक है और इस दौरान 55 से 60 दिन बारिश होती है, लेकिन इस वर्ष अभी तक प्रदेश में बारिश बहुत कम देखने को मिल रही है. मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 1 जून से 14 जुलाई तक 324 मिलीमीटर सामान्य बारिश का मानक है लेकिन अभी तक मात्र 193.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है जो सामान्य से 40 फ़ीसद कम है. प्रदेश में पिछले 3 साल से बारिश की स्थिति अच्छी रही थी लेकिन इससे पहले 2017 और 2018 में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई थी.
''प्रदेश में मानसून समय पर आ गया लेकिन ड्राइ स्पेल काफी लंबा हो गया है और अभी भी ड्राई स्पेल चल रहा है. जो लगभग 4 दिनों तक चलेगा. प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से काफी कम वर्षा पात दर्ज की गई है. अब तक बिहार में सामान्य से 36 फीसदी कम बरसात दर्ज की गई है. अगर पूर्वानुमान की बात करें तो अगले 5 दिनों तक कहीं-कहीं बरसात देखने को मिलेगी. 20 जुलाई के बाद प्रदेश में वर्षा चक्र सक्रिय होने के आसार बन रहे हैं.'' - आनंद शंकर, मौसम वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान केंद्र पटना
पटना स्थित मौसम विज्ञान केंद्र की मानें तो गत 24 घंटे के दौरान प्रदेश के उत्तर पश्चिमी और दक्षिण भागों के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश दर्ज की गई है. सिसवन में सर्वाधिक 10.4 मिलीमीटर बारिश बीते 24 घंटे में दर्ज की गई है. गत 24 घंटे के दौरान प्रदेश का उत्तर मध्य और उत्तर पूर्व भाग उमस की चपेट में रहा. सर्वाधिक तापमान सीतामढ़ी में 38.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम विभाग के अनुसार 19 जुलाई से प्रदेश में अच्छी बारिश होने के आसार बनते दिख रहे हैं.
मौसम विभाग से रविवार के प्राप्त संख्यात्मक मॉडल और अन्य मौसमी विश्लेषण के अनुसार, लगता है कि पूरे प्रदेश में पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी हवा का प्रवाह सतह से 1.5 किलोमीटर ऊपर तक बना हुआ है जिसकी गति लगभग 10 से 12 किलोमीटर प्रति घंटे की है. इसके साथ ही मानसून ट्रफ लाइन सौराष्ट्र के तटीय क्षेत्र के उत्तर पूर्व अरब सागर पर बने दबाव के क्षेत्र से उत्तरी ओडिशा क्षेत्र से होते हुए दक्षिण पूर्व दिशा की ओर पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी होते हुए गुजर रही है. यह समुद्र तल से 1.5 किलोमीटर ऊपर तक फैली हुई है.
कृषि विभाग के अनुसार, राज्य में बारिश नहीं होने के कारण धान और मक्का की खेती पर असर पड़ना अब तय माना जा रहा है. कहा जाता है कि आद्र्रा नक्षत्र में झमाझम बारिश होने के बाद धान की रोपनी होने के बाद धान की उपज अच्छी होती है, लेकिन आद्र्रा नक्षत्र गुजर जाने के बाद भी कहीं भी झमाझम बारिश नहीं हुई है. बिहार में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण सूखे की आशंका प्रबल हो गई है. रूठे मानसून के कारण किसान मायूस हो गए हैं. राज्य के पटना ग्रामीण, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, कैमूर, वैशाली, भागलपुर सहित कई ऐसे जिले हैं, जिनकी पहचान धान की अच्छी उपज के रूप में की जाती है, लेकिन इन जिलों में भी आवश्यकता से कम बारिश होने के कारण किसान मायूस हो गए हैं.
''पिछले 10 वर्षों से धान की खेती के मौसम में ऐसी ही स्थिति बनती रही है. धान की फसल के लिए कई तरह के आधुनिक तकनीक के बीज आ गए हैं. अब धान की सीधी बुआई यानी गेहूं की तरह बुआई करना ही एकमात्र विकल्प है. कई प्रकार के बीज कम समय में ही तैयार होते हैं.'' - एन के सिंह, कृषि वैज्ञानिक, पूसा राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय
क्या कहते हैं कृषि सचिव? : इस बीच, कृषि विभाग के सचिव एन सरवण का कहना है बिहार में किसानों के लिए अगले कुछ दिन क्राइसिस वाले है. बिहार में अभी 30 फीसदी औसत से कम बारिश दर्ज की गई है और कई जिले ऐसे हैं जहां 40 फीसदी से 64 फीसदी तक और सबसे कम बारिश हुई है. अररिया, किशनगंज सुपौल में औसत से अधिक बारिश दर्ज की गई है. ऐसे में सूखे की बन रही स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने भी समीक्षा की है और कई दिशा निर्देश दिये है.
ये भी पढ़ें: गया में रुठे इंद्रदेव: सुखाड़ से परेशान किसान देख रहे आसमान