पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona Infection in Bihar) की वजह से 12 हजार से अधिक मौतें हुई हैं. कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए बिहार में 4.50 लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान है. (Compensation on Death Due to Corona in Bihar) जिसमें 50 हजार रुपये की राशि तत्काल दी जाती है और तमाम कागज को वेरिफाई करने के बाद एकमुश्त 4 लाख रुपये दी जाती है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के मुख्य सचिव को मुआवजे के मामले में तलब भी किया था.
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मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि प्रदेश में कोरोना से मौत होने पर मुआवजे के लिए आने वाले आवेदन के आलोक में 90% आवेदन को स्वीकृत करके मुआवजा दिया जा चुका है. लेकिन, धरातल पर स्थिति अलग नजर आती है. काफी संख्या में लोग प्रदेश के विभिन्न जिलों में जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यालय और जिला प्रशासन के कार्यालय में मुआवजे के लिए चक्कर काटते नजर आ रहे हैं. राजधानी पटना के जिला स्वास्थ्य समिति का भी यही हाल है.
पटना के गर्दनीबाग स्थित जिला स्वास्थ समिति के कार्यालय में भी मुआवजे के लिए लोगों की लंबी लाइन नजर आ रही है. मुआवजे की स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिए काउंटर पर कतार में जो लोग खड़े थे, उनमें वही लोग थे जिनके स्वजन कोरोना की दूसरी लहर में अप्रैल और मई के समय संक्रमण की चपेट में आने से मरे थे. कतार पर अपने मुआवजे की स्टेटस की जानकारी के लिए खड़े महेश कुमार ने बताया कि 24 अप्रैल 2021 को उनके पिताजी का कोरोना से देहांत हुआ. उसके बाद, मुआवजे के लिए स्वस्थ विभाग से जो कुछ भी डॉक्यूमेंट मांगा गया, सबको उन्होंने जमा किया.
'3 महीने पहले तक मुआवजे की जो स्टेटस थी, आज भी वही है. 2 महीने पहले मुआवजे के बारे में जो जानकारी उन्हें दी गई वही जानकारी आज भी मिल रही है. कमेटी से अभी पास नहीं हुआ है और राज्य स्वास्थ्य समिति में आवेदन पड़ा हुआ है. डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की भी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और वार्ड पार्षद के माध्यम से जिला परिषद कार्यालय में भी तमाम डॉक्यूमेंट जमा करा दिए गए हैं. कब तक मुआवजा मिलेगा इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है. हर सप्ताह स्वास्थ्य विभाग में आकर मुआवजे के बारे में जानकारी लेने के लिए चक्कर लगाते हैं.' - महेश कुमार, स्थानीय
उन्होंने कहा कि कोई क्लियर यह नहीं बता रहा कि मुआवजा कब तक मिलेगा. ऐसे में सरकार एक बार खुलकर बोल दे कि उन्हें मुआवजा मिलेगा या फिर नहीं. मुआवजे के लिए दिए आवेदन की स्थिति की जानकारी जानने के लिए जिला स्वस्थ्य समिति के काउंटर पर खड़े राकेश कुमार चंद्र ने बताया कि उनकी माता का बीते साल 29 अप्रैल को कोरोना से देहांत हो गया. सभी डॉक्यूमेंट जमा किए और कोरोना से मृतकों की सूची वाले स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर भी उनका नाम दर्ज हो गया है.
'पिछले 3 महीने से उन्हें यही कहकर दौरा दिया जा रहा है कि जिस प्राइवेट जांच केंद्र में उन्होंने कोरोना की जांच करायी थी. वह लैब संचालक स्वास्थ विभाग में आकर सत्यापित करें कि उसने कोरोना जांच किया है. उन्होंने बताया कि लैब को कोरोना जांच की अनुमति प्राप्त थी, तभी उन्होंने जांच कराया था और अब वह विभाग का चक्कर लगा रहे हैं.' - राकेश कुमार, स्थानीय
'पिताजी का देहांत पिछले साल अप्रैल महीने में हुआ था और अब तक मुआवजा नहीं मिला है. वो दो-तीन बार स्वास्थ्य विभाग का चक्कर काट चुके हैं, लेकिन कुछ स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है और कभी बताया जाता है कि जिला आपदा शाखा में जाएं तो कभी राज्य स्वास्थ्य समिति तो वहां से जिला स्वास्थ समिति भेजा जाता है.' - राजेश कुमार, स्थानीय
वहीं, इस मामले पर जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों ने बताया कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मुआवजे की राशि जिला आपदा कक्ष से ही मिलेगी. राज्य स्वास्थ्य समिति से डॉक्यूमेंट जिला स्वास्थ समिति आता है और वहां से वेरिफाई होने के बाद डॉक्यूमेंट का फिर से डबल वेरिफिकेशन होता है. उन लोगों के पास जो कुछ भी डॉक्यूमेंट आता है. चेक करने के बाद वो आगे फॉरवर्ड कर देते हैं. सच्चाई क्या है भगवान जानें. लेकिन, ये तय है कि कोरोना मृतक के परिजनों को मुआवजा समय पर नहीं मिल रहा है और मुआवजे पाने के लिए सरकारी कार्यालय का लगातार चक्कर लगा रहे हैं.
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